उद्योग/व्यापार

Budget 2024: इन 7 टर्म से आपके लिए बेहद आसान हो जाएगा बजट के बारे में समझना

फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगाी। यह आम चुनावों से पहले मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा। यहां यह भी बताना जरूरी है कि यह अगले वित्त वर्ष के लिए पूरा बजट नहीं है। इसका मतलब यह है कि बजट में पेश किए गए प्रस्ताव तब तक अमल में नहीं आएंगे, जब तक नई सरकार नहीं बन जाती। हम आपको यहां बजट से जुड़े कुछ अहम फाइनेंशियल टर्म के बारे में जानकारी पेश कर रहे हैं।

इकोनॉमिक सर्वे

बजट सेशन के दौरान पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण एक फ्लैगशिप डॉक्युमेंट होता है, जिसमें मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की परफॉर्मेंस का सार पेश किया जाता है। यह आगामी फाइनेंशियल ईयर के बजट के लिए आधार तैयार करता है।

इनफ्लेशन यानी महंगाई दर से आशय वस्तुओं, सेवाओं और कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रतिशत से है। किसी साल के दौरान इनफ्लेशन जितना ज्यादा रहेगा, उपभोक्ताओं की खरीदारी की क्षमता उतनी ही कम होगी।

डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स

डायरेक्ट टैक्स वैसे टैक्स होते हैं, जो टैक्सपेयर्स से सीधे तौर पर वसूले जाते हैं, मसलन इनकम टैक्स या कॉरपोरेट टैक्स। इस बीच, इनडायरेक्ट टैक्स उपभोक्ताओं पर अप्रत्यक्ष तरीके से लगाए जाते हैं, मसलन GST, VAT और एक्साइज ड्यूटी।

फाइनेंस बिल

सरकार नए टैक्स की पॉलिसी शुरू करने के लिए फाइनेंस बिल का इस्तेमाल करती है। इसके तहत मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए इस स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाता है।

कैपिटल एक्सपेंडिचर (capex)

किसी देश का कैपिटल एक्सपेंडिचर वह कुल रकम है, जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार विकास संबंधी गतिविधियों और उन मशीनरी और एसेट्स को खरीदने के लिए करती है, जिससे इकनॉमी को बढ़ावा मिल सके।

बजट अनुमान

मंत्रालयों, विभागों, सेक्टरों और योजनाओं के मद में आवंटित अनुमानित फंडों को बजट अनुमान कहा जाता है। इससे तय होता है कि फंड का कितना और कब इस्तेमाल किया जाना है और संबंधित अवधि में कितनी रकम खर्च की जाएगी।

फिस्कल डेफिसिट

फिस्कल डेफिसिट का मतलब पिछले फाइनेंशियल ईयर में सरकार के कुल खर्च और कुल रेवेन्यू का अंतर होता है। इस अंतर को दूर करने के लिए सरकार रिजर्व बैंक से उधार लेती है। अंतर को पाटने के लिए इसके अलावा भी कई और उपाय किए जाते हैं।

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