इजराइल-ईरान के बीच टेंशन और क्रूड ऑयल सहित कमोडिटी की बढ़ती कीमतों के बावजूद अप्रैल में बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों का प्रदर्शन अच्छा रहा। अप्रैल में अब तक बीएसई मिडकैप सूचकांक ने 5.7 फीसदी रिटर्न दिया है। यह दिसंबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक ने 9.7 फीसदी रिटर्न दिया है। यह फरवरी 2021 के बाद सबसे बड़ा उछाल है। अप्रैल 2023 से अब तक के प्रदर्शन को देखा जाए तो बीएसई मिडकैप इंडेक्स में सिर्फ पिछले साल अक्टूबर और दिसंबर में गिरावट आई। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स पिछले साल अक्टूबर और इस साल फरवरी और मार्च में गिरा।
अप्रैल में सेंसेक्स और निफ्टी का कमजोर प्रदर्शन
अप्रैल 2023 से अब तक बीएसई मिडकैप (BSE Midcap) और स्मॉलकैप (BSE Smallcap) सूचकांकों में से प्रत्येक ने करीब 75 फीसदी रिटर्न दिया है। अगर अप्रैल में सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) के रिटर्न को देखा जाए तो दोनों में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला। सेंसेक्स ने सिर्फ 0.11 फीसदी रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी का रिटर्न 0.44 फीसदी रहा। एनालिस्ट्स का कहना है कि इंडियन मार्केट में काफी समय तक तेजी के बाद फरवरी और मार्ट में मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में प्रॉफिटबुकिंग हुई। इसमें सेबी की चेतावनी का बड़ा हाथ रहा।
फरवरी और मार्च में स्मॉलकैप-मिडकैप का निगेटिव रिटर्न
इस साल फरवरी और मार्च में रिटर्न की बात की जाए तो स्मॉलकैप ने 70 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया, जबकि मिडकैप ने 63 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया। करीब 24 फीसदी स्मॉलकैप स्टॉक्स में 15 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई। इसके उलट दो-तिहाई लार्जकैप शेयरों में इस दौरान तेजी देखने को मिली। लोकसभा चुनावों से पहले इनवेस्टर्स सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि, बीजेपी के 370 से ज्यादा सीटें जीतने के दावा से मार्केट का सेंटिमेंट मजबूत है। ऐसे में इनवेस्टर्स अच्छी क्वालिटी के मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं। खासकर रेलवे, डिफेंस, कंस्ट्रक्शन, रूरल डेवलपमेंट और सोलर पैनल से जुड़ी कंपनियों में उनकी ज्यादा दिलचस्पी दिखी है।
मार्केट ऑल टाइम हाई पर होने के बावजूद सप्लाई का प्रेशर नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई सरकार बनने के बाद मौजूदा पॉलिसी जारी रहेगी। प्रोजेक्ट पूरे करने पर फोकस बढ़ेगा और हाउसिंग, आयुष्मान भारत और इंफ्रास्ट्रक्चर सरकार की प्राथमिकता में शामिल होंगे। सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और वन नेशन-वन इलेक्शन के वादों को पूरा करेगी। एक्सिस सिक्योरिटीज में टेक्निकल रिसर्च हेड राजेश पालवीय ने कहा कि सेंसेक्स और निफ्टी के लाइफ टाइम हाई के करीब होने के बावजूद सप्लाई प्रेशर नहीं दिख रहा। ज्यादातर कंपनियों के प्रॉफिट उम्मीद के मुताबिक रहे हैं।
इनवेस्टर्स खास सेक्टर की कंपनियों के स्टॉक्स में कर रहे निवेश
उन्होंने कहा कि मार्केट का सेंटिमेंट पॉजिटिव है। आने वाले महीनों में तेजी की संभावना को देखते हुए बाजार में खरीदारी जारी है। कई इनवेस्टर्स ने मार्ट में अपने टैक्स एडजस्टमेंट कर लिए हैं, जिसके बाद वे शॉर्ट और मिड टर्म के लिहाज से निवेश कर रहे हैं। निफ्टी जब तक 22,000 के स्तर से ऊपर बना रहता है तब तक मिडकैप और स्मॉलकैप में रैली जारी रहेगी। ऐसे में निफ्टी और सेंसेक्स के नए हाई लेवल पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
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अप्रैल में मार्केट पर दबाव की वजह
अप्रैल में मार्केट में उतारचढ़ाव रहा। इसकी वजह जियोपॉलिटिकल टेंशन और क्रूड ऑयल की ऊंची कीमतें रहीं। अमेरिका में इनफ्लेशन का डेटा हाई रहने से इंटरेस्ट रेट्स कुछ और समय तक हाई लेवल पर बने रहने की उम्मीद है। इंडिया-मॉरीशस टैक्स समझौते में संशोधन का असर भी विदेशी निवेश पर पड़ा। मार्केट की नजरें अमेरिकी में फेडरल रिजर्व की बैठक पर लगी हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार फेड के रेट कट करने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में निगाहें फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के कमेंट्री पर रहेंगी।