Bihar Politics: बिहार (Bihar) में पिछले हफ्ते सत्ता गंवाने वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) के दूसरे सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस (Congress) के तीन विधायकों को छोड़कर सभी विधायक बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की तरफ से खरीद-फरोख्त किए जाने की आशंका के बीच रविवार को हैदराबाद पहुंच गए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश से संपर्क किया गया, तो उन्होंने न तो इसकी पुष्टि की और न ही इससे इनकार किया। हालांकि, उन्होंने कहा, “अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि कांग्रेस विधायक टूट जाएंगे, जबकि सच्चाई यह है कि जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक पार्टी के राजग में जाने के बाद मतदाताओं के गुस्से के कारण दबाव में हैं।”
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, प्रकाश ने कहा, “उन्हें (JDU) अपने विधायकों को एकजुट रखने की चिंता करनी चाहिए।” कांग्रेस की बिहार यूनिट के नेताओं ने दिल्ली में AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। खड़गे ने राज्य की स्थिति का जायजा लिया, जहां JDU के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने से महागठबंधन और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ को झटका लगा है।
कौन-कौन नहीं आया दिल्ली?
राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं, जिनमें से 16 खड़गे के साथ बैठक में शामिल हुए थे। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा व मदन मोहन झा भी शामिल हुए थे।
बिहार में पार्टी के एक पदाधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा, “जो लोग दिल्ली नहीं आए, उनमें अररिया के विधायक आबिद-उर- रहमान भी शामिल हैं। लेकिन, यह सर्वविदित है कि वह अपनी बेटी की देखभाल में व्यस्त हैं, जो पिछले कुछ समय से काफी अस्वस्थ है।”
हालांकि, बैठक में अनुपस्थित रहने वालों में मनिहारी के विधायक मनोहर प्रसाद सिंह भी शामिल हैं, जिनके “सोमवार तक हैदराबाद पहुंचने की उम्मीद है।”
इसके अलावा, बिक्रम विधानसभा क्षेत्र के विधायक और वर्तमान राज्य नेतृत्व के साथ मतभेद के लिए चर्चित सिद्धार्थ सौरव भी बैठक में शामिल नहीं हुए।
CPI(ML) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य ने PTI को फोन पर बताया, “मुझे कांग्रेस विधायकों को हैदराबाद ले जाए जाने की जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा है, तो भी बीजेपी की कार्यशैली को देखते हुए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।” भट्टाचार्य की पार्टी महागठबंधन का तीसरा सबसे बड़ा घटक है।
उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास (विधायकों को खरीदने) एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। इसके कारण, सभी दल अतिरिक्त सतर्क हैं। भगवा पार्टी कभी भी संदिग्ध रणनीति अपनाने से नहीं कतराती।” हालांकि, कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि उन्हें बीजेपी से ज्यादा JDU पर अपने विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का संदेह है।
लंबे समय से क्यों परेशान हैं नीतीश कुमार?
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा, “बीजेपी और JDU के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत है। लेकिन, JDU का संख्या बल BJP की तुलना में बहुत कम है, यह एक ऐसा तथ्य है, जो मुख्यमंत्री को लंबे समय से परेशान कर रहा है।
BJP के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, “हमें 12 फरवरी को होने वाले विश्वासत मत में सरकार बरकरार रखने के लिए अपना संख्याबल बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, अगर कांग्रेस के कुछ विधायक पाला बदलते हैं, तो इससे निश्चित रूप से पूरे विपक्षी खेमे का मनोबल गिरेगा, जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में RJD को मिलेगा।
वहीं, विधायकों के तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद पहुंचने के बाद प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि वे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बधाई देने आए हैं।
रेड्डी ने दिसंबर 2023 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है। सूत्रों ने बताया कि विधायकों के 11 फरवरी तक हैदराबाद में रहने की संभावना है।