
इस युवक की मौत से पहले इलाज के दौरान परिजन शराब की बात कह रहे थे।
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सारण में शराब से मौतें जनवरी में भी हुईं, लेकिन 23 दिसंबर को जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम सारण से लौटी तो जिला प्रशासन की ओर से मौतों का आंकड़ा छिपाए जाने की खबरों के पीछे की हकीकत खंगालती हुई। जिला प्रशासन ने मौतों का आंकड़ा 42 बताया था। ‘अमर उजाला’ की ग्राउंड जीरो पर काम कर रही टीम ने 76 मृतकों के नाम रखे थे। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने पूरे तीन महीने बाद रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 77 मौतों की पुष्टि की गई है। विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान आई इस रिपोर्ट की गूंज अब शुक्रवार को सदन में भी सुनाई देगी।
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