दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने तिहाड़ जेल में इंसुलिन का उपयोग करने की अनुमति मांगने वाली अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार (19 अप्रैल) को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में कहा, “48 बार घर से भेजे गए खाने में वह केवल 3 आम खाए। एक बार नवरात्रि प्रसाद के रूप में आलू पुरी खाई।” इसके अलावा केजरीवाल ने अपने डॉक्टर के साथ प्रतिदिन 15 मिनट की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कंसल्टेशन की अनुमति का अनुरोध किया है।
केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर जेल में उनके खाने पर संकीर्ण सोच रखने और राजनीति करने का आरोप लगाते हुए अदालत के समक्ष कहा कि उन्होंने जो खाना खाया वो उनके डॉक्टर द्वारा तैयार किए गए आहार चार्ट के अनुरूप था। ED ने गुरुवार को अदालत के समक्ष दावा किया था कि केजरीवाल मेडिकल आधार पर जमानत के लिए जेल में रोजाना आम और मिठाई जैसे मीठे आहार ले रहे हैं जबकि उन्हें टाइप-2 डायबिटीज है।
एजेंसी ने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक मीठे भोजन कर रहे हैं ताकि वह अस्वस्थ हो जाएं और मेडिकल आधार पर जमानत मांग सकें। केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने अदालत से कहा, “ED ने दावा किया है कि मैं जमानत पाने के लिए अपना ब्लड शुगर लेवल बढ़ाना चाहता हूं। मैं क्या जमानत पाने के लिए लकवा होने का जोखिम उठाऊंगा? मैं जो भी भोजन कर रहा हूं वह गिरफ्तारी से पहले मेरे डॉक्टर द्वारा तैयार आहार चार्ट के अनुसार है।”
आम, मिठाई और आलू-पूरी खाने पर जवाब
पीटीआई के मुताबिक, केजरीवाल के जेल में नियमित रूप से आम, मिठाई, आलू-पूरी खाने के ED के दावे पर उन्होंने कहा कि उन्हें एक-दो बार ही ऐसा भोजन दिया गया। सिंघवी ने अदालत से कहा, “आरोप है कि मैं आम खा रहा हूं… घर से 48 बार भोजन भेजा गया जिसमें से केवल 3 बार आम भेजे गए। 8 अप्रैल के बाद कोई आम नहीं भेजा गया। आम को तो ऐसे दर्शाया गया है जैसे उसमें शुगर भरी पड़ी है। उनमें मीठे का स्तर ब्राउन राइस या सफेद चावल से बहुत कम होता है।”
उन्होंने अदालत से कहा, “मैं अपनी चाय में केवल शुगर फ्री लेता हूं। ED कितनी संकीर्ण, राजनीतिक और हास्यास्पद हो सकती है। उनके बयान पूरी तरह झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं। आपका मीडिया में बहुत ज्यादा प्रभाव है, केवल इसलिए आप यह प्रकाशित करवा रहे हैं कि मैं आलू-पूरी खा रहा हूं। जबकि ऐसा भोजन केवल एक बार पूजा के समय भेजा गया था।”
कंसल्टेशन की मांग
केजरीवाल ने अपनेशुगर लेवल में उतार-चढ़ाव के बारे में सप्ताह में तीन बार अपने मेडिकल से परामर्श लेने की याचिका गुरुवार को वापस ले ली थी। उन्होंने शुक्रवार को एक नई याचिका दायर कर हर दिन 15 मिनट के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श की मांग की।
सिंघवी ने कहा, “क्योंकि मैं कैदी हूं, इसलिए क्या मुझे गरिमापूर्ण जीवन जीने और अच्छी सेहत का अधिकार नहीं है? मैं क्या कुख्यात अपराधी हूं जो मुझे 15 मिनट भी अपने डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंस से परामर्श की अनुमति नहीं दी जा सकती? हमारे देश में 75 साल से लोकतंत्र है लेकिन मैं इस तरह का रुख पहली बार देख रहा हूं। इस तरह की संकीर्णता पहले कभी नहीं देखी।” अदालत ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।