राजनीति

Annadurai के मंत्री की भूल, तमिलनाडु की बजाए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा पर साराभाई ने लगी दी मुहर, DMK सरकार के विज्ञापन वाले चूक ने कैेसे 60 साल पहले की यादें कर दी ताजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसरो के विज्ञापन में एक चीनी रॉकेट की तस्वीर पर एमके स्टालिन सरकार को फटकार लगाने के एक दिन बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता और तमिलनाडु की मंत्री अनीता राधाकृष्णन ने स्वीकार किया कि उन्होंने एक छोटी सी गलती की है। राधाकृष्णन ने कहा कि अधिकारियों ने विज्ञापन डिजाइन करने वालों की गलती को नजरअंदाज कर दिया। दरअसल, पीएम मोदी ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि डीएमके सरकार ने तमिलनाडु में इसरो की सुविधा के लिए झूठा श्रेय लेने के लिए चीन का स्टिकर चिपकाया। पीएम मोदी ने कहा कि डीएमके एक ऐसी पार्टी है जो काम नहीं करती है लेकिन झूठा श्रेय लेने के लिए आगे रहती है। ये लोग हमारी योजनाओं पर अपने स्टिकर चिपकाते हैं। अब उन्होंने हद पार कर दी है, उन्होंने तमिलनाडु में इसरो लॉन्च पैड का श्रेय लेने के लिए चीन का स्टिकर चिपका दिया है। à¤µà¤¹à¥€à¤‚ भाजपा के तमिलनाडु प्रमुख ने आगे आरोप लगाया कि तमिलनाडु ने आंध्र प्रदेश के हाथों सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र खोने का कारण द्रमुक को बताया। अन्नामलाई ने कहा की हमें उन्हें याद दिलाना चाहिए कि डीएमके की वजह से ही आज सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र आंध्र प्रदेश में है, तमिलनाडु में नहीं।

तमिलनाडु की गलती के कारण कैसे आंध्र के हाथों इसरो का स्पेसपोर्ट चला गया

वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने अपनी आत्मकथा ‘रेडी टू फायर: हाउ इंडिया एंड आई सर्वाइव द इसरो स्पाई केस’ में इस बात का जिक्र किया है कि कैसे श्रीहरिकोटा इसरो के स्पेसपोर्ट के लिए पहली पसंद बन गया। नारायणन ने अपनी किताब में बताया कि श्रीहरिकोटा लॉन्चपैड के लिए इसरो की पहली पसंद भी नहीं था। उनके अनुसार, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम वासगम ने स्पेसपोर्ट के लिए दो स्थानों की पहचान की थी और दोनों के दोनों तमिलनाडु में ही थे। इसमें नारायण बताते हैं कि ध्रुवीय उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए, यह हमारे लिए स्पष्ट था, हमारा लॉन्च पैड पूर्वी तट पर होना चाहिए। पृथ्वी की परिक्रमा के साथ रॉकेट प्रक्षेपित करने से लागत में भारी लाभ हुआ। पूर्व की ओर प्रारंभिक यात्रा के बाद रॉकेट को दक्षिण की ओर ले जाकर, हम किसी भी भूभाग पर उड़ान भरने से बचते हैं। 1960 के दशक के अंत में कन्याकुमारी की तटरेखा पर विचार किया गया था, लेकिन तमिलनाडु सरकार द्वारा भयानक गलत प्रबंधन और आंध्र प्रदेश द्वारा समय पर की गई पहल के कारण श्रीहरिकोटा पहली पसंद बन गया। 

अन्नादुरई ने अपनी जगह मंत्री मीटिंग के लिए भेजा

नंबी नारायणन के अनुसार, तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई को विक्रम साराभाई द्वारा प्रस्तावित शॉर्टलिस्ट में से एक साइट की पहचान करने के लिए विक्रम साराभाई और कुछ वैज्ञानिकों के साथ एक चर्चा में भाग लेना था। हालांकि, कंधे में तेज दर्द के कारण अन्नादुरई बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने अपनी जगह अपने एक मंत्री मथियाझागन को बैठक में शामिल होने के लिए भेजा। नंबी नारायणन के अनुसार, मथियाझागन ने साराभाई को इंतजार कराया। राजनेता ने अपनी असंभव मांगों और असंगतियों से साराभाई को बहुत परेशान किया। बैठक खत्म होने से बहुत पहले, साराभाई ने फैसला कर लिया था कि तमिलनाडु इसके लिए उपयुक्त जगह नहीं है। लगभग उसी समय, आंध्र प्रदेश ने इसरो को एक प्रस्ताव दिया, जिसे नंबी नारायणन के अनुसार, वो इनकार नहीं कर सके। भले ही तमिलनाडु कुलसेकरपट्टिनम में भारत के दूसरे स्पेसपोर्ट की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन राज्य सरकार की विज्ञापन विफलता ने 60 साल पहले की यादें ताजा कर दीं, जब डीएमके मंत्री की वजह से उसने देश के पहले स्पेसपोर्ट की मेजबानी करने का अवसर खो दिया था।

Source link

Most Popular

To Top