आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में राज्य की वाईएसआर पार्टी के लिए पिछली जीतों को कायम रख पाना आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि जहां एक ओर भाजपा दक्षिणी राज्यों में विशेष तौर पर ध्यान दे रही है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने राज्य में चुनावी कमान सीएम जगनमोहन रेड्डी की बहन को सौंप दी है। बता दें कि पिछली बार राज्य में लोगों के मतदान का पैटर्न एक जैसा देखने को मिला था। जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करीब-करीब बराबर वोट मिले थे।
YSR की राह में BJP और कांग्रेस ने बढ़ाई मुश्किलें
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 49.89 फीसदी वोट मिले थे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार वाईएसआर के सामने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती होगी, तो वहीं भाजपा और कांग्रेस पार्टी की मुश्किलों को बढ़ाती जा रही है। क्योंकि भाजपा दक्षिणी राज्यों पर बहुत मेहनत कर रही है और जमीनी स्तर पर संगठन मजबूत करने पर जुटी है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने जगन मोहन की बहन वाईएस शर्मिला को प्रदेश की कमान सौंप दी है।
आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश में कांग्रेस रसातल में पहुंच चुकी है। ऐसे में वाईएस शर्मिला का साथ मिलने से राज्य में पार्टी को थोड़ी-बहुत संजीवनी मिल सकती है। साथ ही पार्टी राज्य की कुछ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
YSR कांग्रेस
आपको बता दें कि साल 2014 में राज्य के विभाजन के बाद प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभाव देखने को मिला था। इसी दौरान जगन मोहन के उभार ने राज्य से अन्य राजनीतिक दलों का लगभग सफाया कर दिया। प्रदेश में 25 लोकसभा और 175 विधानसभा की सीटे हैं। यहां पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। पिछले पांच सालों से जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में राज्य में वाइएसआर कांग्रेस सत्ता में बनी है।
टीडीपी
वहीं राज्य के तीन बार सीएम रह चुके चंद्रबाबू नायडू का भी एक दौर था। नायडू ने साल 1995 से लेकर 2004 तक लगातार दो बार राज्य की सत्ता संभाली। फिर तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद 2014 से 2019 तक वह सीएम रहे। लेकिन अब वह पहले की तरह प्रभावी नहीं रह गए। साल 2019 के चुनावों के बाद अब पार्टी विपक्षी दल की भूमिका में है। इस बार का चुनाव चंद्रबाबू के अस्तित्व से जुड़ा है।