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all party meet before budget session of parliament, बजट सत्र का दूसरा चरण भी हो सकता है हंगामेदार, उपराष्ट्रपति की सर्वदलीय बैठक में दिख गया ट्रेलर – all party meet vp flags free fall of info in name of freedom of speech opposition questions appointment of staff

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नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत की पूर्व संध्या पर रविवार को आयोजित एक बैठक में सदन में व्यवधान को रोकने के तरीकों पर तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं के विचार मांगे। विपक्षी सदस्यों ने गैर-भाजपा सरकारों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग और धनखड़ के निजी कर्मचारियों को संसदीय समितियों में नियुक्त करने के कदम का मुद्दा उठाया।

सूत्रों ने कहा कि सदन के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मुख्य रूप से इस मुद्दे को उठाया कि क्या व्यवधान की अनुमति दी जा सकती है और क्या सदस्य सदन में संविधान के अनुच्छेद 105 में परिकल्पित अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपुष्ट सूचनाएं रख सकते हैं। ये अनुच्छेद कुछ शर्तों के साथ संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है।

संसद के बजट सत्र के पहले चरण में अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दा छाया रहा था और विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति जांच की मांग को लेकर कार्यवाही बाधित की थी। राज्यसभा में आधिकारिक रिकॉर्ड से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के कुछ हिस्सों को हटाने के अपने फैसले पर विपक्षी दलों की तरफ से धनखड़ की आलोचना की गई थी।

उपराष्ट्रपति ने इस महीने के शुरू में बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘मैं राज्यसभा को अपुष्ट सूचनाओं या किसी के खिलाफ आरोपों के लिए एक अखाड़ा नहीं बनने दे सकता। बयान दीजिए, आप ऐसा करने का हक रखते हैं, लेकिन इसे प्रमाणित करें, इसके लिए जिम्मेदार बनें।’

रविवार को यहां हुई बैठक में सदन के नेता पीयूष गोयल, कांग्रेस के जयराम रमेश, द्रमुक के एम. शनमुगम, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव उपस्थित थे। खरगे ने बाद में धनखड़ से अलग से मुलाकात की।

मुलाकात के बाद खरगे ने कहा कि विपक्षी दल सरकार को जवाबदेह बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं और देश के समक्ष मौजूद हर ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं। खरगे ने ट्वीट किया, ‘संसद के आगामी सत्र से पहले भारत के उपराष्ट्रपति का सहयोग मांगने के लिए उनसे मुलाकात की।’

उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दलों के रूप में हम सरकार को जवाबदेह बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं और देश के हर ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं।’

सदन के कई नेताओं ने संसदीय समितियों में धनखड़ के निजी कर्मियों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया। उपराष्ट्रपति ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि इस कदम के पीछे एकमात्र उद्देश्य मानव संसाधन और समितियों की उत्पादकता का अधिकतम उपयोग करना था।

उन्हें कोट करते हुए कहा गया कि कर्मचारी समिति के भाग लेने वाले सदस्य नहीं थे और केवल शोध सामग्री की सहायता, सुविधा और उपलब्धता सुलभ करने के लिए हैं।

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