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सीरिया में शान्ति स्थापना का बेहतरीन अवसर, मगर गम्भीर जोखिम भी दरपेश

सीरिया में शान्ति स्थापना का बेहतरीन अवसर, मगर गम्भीर जोखिम भी दरपेश

संयुक्त राष्ट्र ने, लड़ाई तेज़ होने पर भी एक गरिमापूर्ण, स्वतंत्र एवं न्यायोचित राजनैतिक समाधान की तलाश में, पर्दे के पीछे से काम करना कभी बन्द नहीं किया.

यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख घटनाक्रम, जिनमें संयुक्त राष्ट्र ने, सीरिया में न्यायसंगत शान्ति स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2012: गम्भीर शान्ति प्रयासों की शुरुआत

मार्च 2011 में लोकतंत्र-समर्थक विरोध प्रदर्शनों को एक साल से भी कम समय हुआ था, जब सीरिया सरकार ने उनके ख़िलाफ़ हिंसक कार्रवाई की. 

ट्यूनीशिया से शुरू हुए उन प्रदर्शनों को, अरब की प्रथम वसन्त क्रान्ति का नाम दिया गया था, जिसने अरब दुनिया के अधिकाँश हिस्से को हिला कर रख दिया था.

उस समय यूएन के महासचिव रहे कोफ़ी अन्नान (1997-2006) को संयुक्त राष्ट्र व सीरिया के लिए अरब देशों की लीग के संयुक्त विशेष दूत के तौर पर, इस टकराव के समाधान के प्रयासों को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.

कोफ़ी अन्नान ने छह-सूत्रीय योजना तैयार की, जिसमें हिंसा का ख़ात्मा, मानवीय एजेंसियों के लिए पहुँच हासिल करना, बन्दियों की रिहाई, समावेशी राजनैतिक वार्ता की शुरुआत तथा अन्तरराष्ट्रीय मीडिया के लिए निर्बाध पहुँच का आहवान किया गया था.

अप्रैल 2012 में सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव (2042 और 2043) अपनाकर इस योजना पर अपनी मुहर लगा दी. 

इसके तहत सीरिया में संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षण मिशन (UNSMIS) की स्थापना की गई, लेकिन वो कुछ समय बाद ही नागरिक संघर्ष बढ़ने के कारण उसी वर्ष अगस्त में ख़त्म हो गया.

2012 में सीरिया के लिए कार्रवाई समूह की बैठक के परिणामस्वरूप, जिनीवा विज्ञप्ति प्रकाशित हुई. इस बैठक में मध्य पूर्व के कई देश और सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्य शामिल थे.

महासभा और सुरक्षा परिषद, दोनों के समर्थन से पास हुआ यह दस्तावेज़, कोफ़ी अन्नान की शान्ति योजना पर आधारित है और उस समय से ही राजनैतिक समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता प्रयासों का मार्गदर्शन करता रहा है.

सीरिया में 6 वर्षीय अब्दुल्ला उस दीवार के सामने खड़ा है, जहाँ गोलाबारी के बाद उसे व उसकी बहन को मलबे के नीचे से निकाला गया था.

2014: जिनीवा गतिरोध

अगस्त 2012 में कोफ़ी अन्नान, संयुक्त विशेष प्रतिनिधि की भूमिका से अलग हो गए, और उनकी जगह अल्जीरिया के वरिष्ठ राजनयिक लख़दर ब्राहिमी को नियुक्त किया गया. यही वो दौर था, जब यह संघर्ष बढ़कर एक पूर्ण युद्ध में तब्दील हो गया था.

जनवरी 2014 में, तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जिसे जिनीवा II के नाम से जाना जाता है. 

इस सम्मेलन के बाद लख़दर ब्राहिमी के प्रयासों से सीरियाई सरकार और विपक्ष के प्रतिनिधियों ने एक बातचीत में हिस्सा लिया. 

लेकिन आख़िर में, दोनों पक्षों में कोई समझौता नहीं हो सका. लख़दर ब्राहिमी ने वार्ता स्थगित कर दी और मई 2014 के बाद अपना कार्यभार आगे नहीं बढ़ाया.

सुरक्षा परिषद में सीरिया वार्ता पर प्रस्ताव 2254, सर्वसम्मति से अपनाया गया. (फ़ाइल)

2015: एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित

लख़दर ब्राहिमी के उत्तराधिकारी थे – एक अन्य वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र वार्ताकार स्तेफ़ान डी मिस्तूरा. उनके नेतृत्व में वर्ष 2015 में एक प्रकार की बड़ी सफलता हाथ लगी.

2015 में रूस और अमेरिका व अन्य प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय हितधारकों के बीच राजनयिक संवाद के बाद, सीरिया में जारी संघर्ष को तेज़ी से ख़त्म करने पर चर्चा के लिए, अन्तरराष्ट्रीय सीरियाई समर्थन समूह (ISSG) की स्थापना की गई. 

वार्ता के परिणामस्वरूप सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2254 (2015) अपनाया गया, जिसके तहत राजनैतिक बदलाव का क्रम व समयरेखा स्थापित की गई. 

इसके तहत एक भोरसेमन्द, समावेशी व ऐसी सरकार की स्थापना पर बातचीत शामिल थी जो साम्प्रदायिक नहीं हो, तथा नए संविधान का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया एवं समयरेखा तय की गई. 

इसमें संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का भी आहवान किया गया.

सीरिया में दो साल की बन्दी रहने के बाद सैफ़ 2014 में जॉर्डन भाग गए थे. क़ैद के दौरान उन्हें शारीरिक व मनोवैज्ञानिक पीड़ा का सामना करना पड़ा. अब स्थिति यह है कि वो और उनकी माँ, आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. (फ़ाइल 2018)

2016: युद्ध अपराधों व अत्याचारों के लिए दडमुक्ति से निपटना

दडमुक्ति यानि अत्याचारों के लिए ज़िम्मेदार तत्वों और पक्षों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाना, सीरियाई गृहयुद्ध की पहचान रही है. 

संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धान्तों में से एक जवाबदेही, न केवल संगठन के लिए चुनौती रही है, बल्कि इससे संघर्ष के समाधान के प्रयासों के रास्ते में बाधा आती रही हैं. 

संयुक्त राष्ट्र ने गृहयुद्ध के पूरे समय के दौरान, मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करने और आतंकवादी समूहों की कार्रवाई की निगरानी रखने के लिए मुस्तैदी से काम किया: 

दिसम्बर 2015 में सर्वसम्मति से अपनाए गए सीरिया पर मंच के मुख्य प्रस्ताव – संख्या 2254 – में सदस्य देशों से स्पष्ट रूप से, इराक़ में स्वयंभू आईसिल (दाएश), हयात तहरीर अल शाम (HTS) के पूर्ववर्ती अल-नुसरा फ़्रंट, अल क़ायदा और अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों को रोकने का आहवान दोहराया गया है. 

साथ ही सभी पक्षों से ज]रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता तत्काल पहुँचाने और महिलाओं व बच्चों समेत, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने की पुकार लगाई गई.

21 दिसम्बर 2016 को दड से मुक्ति से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम उठाया गया, और महासभा के एक प्रस्ताव के ज़रिए अन्तरराष्ट्रीय, निष्पक्ष एवं स्वतंत्र तंत्र (IIIM) की स्थापना की गई.

IIIM की स्थापना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत सबसे गम्भीर अपराधों, विशेष रूप से जनसंहार के अपराधों, मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों और युद्ध अपराधों की जाँच व अभियोजन में सहायता के लिए की गई थी.

8 दिसम्बर को, असद सरकार सरकार के पतन की ख़बरें आने के बाद, IIIM ने एक वक्तव्य जारी करके यह उम्मीद जताई कि आख़िरकार सीरिया के लोगों को, न्याय एवं क़ानून के शासन पर आधारित देश में रहने का मौक़ा मिल सकेगा.

आयोग ने कहा, “सीरियाई और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के भविष्य की चर्चाओं व प्रयासों के केन्द्र में, पिछले 13 वर्षों की अनगिनत पीड़ा की जवाबदेही शामिल की जानी चाहिए… कल्पना योग्य लगभग हर अत्याचार के लिए व्यापक दडमुक्ति ख़त्म करने के प्रयास शुरू करना.”

“इनमें अस्पतालों पर बमबारी, रासायनिक हथियारों का उपयोग, व्यवस्थित रूप से सरकार द्वारा संचालित जेलों में यातना, बड़े पैमाने पर यौन व लिंग-आधारित हिंसा और यहाँ तक कि जनसंहार जैसे सभी अपराध शामिल होने चाहिए.”

सीरिया के अलेप्पो शहर में बमबारी. दिसम्बर 2024.

2024: आशा व अनिश्चितता का नवीन युग

संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 8 दिसम्बर को घोषणा की कि “सीरिया में लम्बे तानाशाही शासन का पतन होने के बाद, आम नागरिकों के पास एक स्थिरता भरे व शान्तिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ने का अवसर है. 

लेकिन उन्होंने साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सीरियाई संस्थाओं में नए सिरे से ऊर्जा भरने और व्यवस्थागत ढंग से राजनैतिक बदलाव लाने के लिए बहुत काम किया जाना बाक़ी है.

अक्टूबर 2018 में नियुक्त किए गए महासचिव के विशेष दूत, नॉर्वे के राजनयिक, गेयर पैडरसन ने सीरिया में शान्तिपूर्ण भविष्य सुनिश्चित करने के लिए जिनीवा में “तत्काल राजनीतिक वार्ता” आयोजित करने का आहवान किया है. 

गेयर पैडरसन ने पत्रकारों से कहा, “इस स्याह अध्याय ने गहरे ज़ख्म छोड़े हैं. लेकिन आज हम सतर्क उम्मीद के साथ इस नई शुरुआत का स्वागत करते हैं. उम्मीद है कि सभी सीरियाई लोगों के लिए यह शान्ति, सुलह, गरिमा एवं समावेशन की शुरुआत होगी.

गेयर पैडरसन ने यह भी कहा कि शान्तिपूर्ण बदलाव के रास्ते में कोई भी बाधा नहीं आनी चाहिए. “निसन्देह हम जानते हैं कि अब देश में मुख्य रूप से एचटीएस का नियंत्रण है,  मगर यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि वे दमिश्क में एकमात्र सशस्त्र समूह नहीं हैं.”

सुरक्षा परिषद के साथ अपनी गोपनीय बातचीत का सन्दर्भ देते हुए बताया कि देश में किस तरह सत्ता हस्तान्तरण अनिश्चितताओं से भरा हुआ है.

हालात बेहद अस्थिर हैं और विशेष दूत ने 9 दिसम्बर को सुरक्षा परिषद में गोपनीय बैठक में कहा: “बदलाव के लिए एक वास्तविक अवसर है, लेकिन इस अवसर का लाभ, सीरियाई लोगों को ख़ुद ही उठाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा इसका समर्थन किया जाना चाहिए.”

सीरिया और संयुक्त राष्ट्र     

  • सीरिया की आबादी लगभग 2.5 करोड़ है. तुर्की, इराक़, जॉर्डन, लेबनान और इसराइल की सीमाओं से घिरे इस देश ने, 1945 में संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्राप्त की.
  • इसराइल की सीमा में दक्षिण-पश्चिमी सीरिया का गोलान क्षेत्र भी शामिल है. 1967 से इस क्षेत्र के दो-तिहाई हिस्से पर इसराइल का क़ब्ज़ा रहा है. इसके अलावा इसराइल ने, 2024 में बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद बाक़ी बचे क्षेत्र पर दिसम्बर में क़ब्ज़ा कर लिया है.
  • 1974 में योम किप्पूर युद्ध के मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल (UNDOF) की स्थापना, सीरिया और इसराइल के बीच युद्धविराम बनाए रखने के लिए की गई थी. सुरक्षा परिषद हर छह महीने में इस बल के शासनादेश को आगे बढ़ाती है.
  • संयुक्त राष्ट्र, मानवीय राहत योजनाओं के ज़रिए, सबसे कमज़ोर लोगों को जीवनरक्षक मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए 200 से अधिक मानवीय साझीदारों के साथ मिलकर काम करता है. इसके ज़रिए पूरे वर्ष लाखों ज़रूरतमन्दों को आवश्यक सहायता पहुँचाई जाती हैं.
  • पिछले कुछ वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र ने ख़ासतौर पर सबसे संवेदनशील घरों व समुदायों के बीच आजीविका के अवसरों तथा बुनियादी सेवाओं तक पहुँच में सुधार करके, प्रभावित समुदायों की सहनसक्षमता बढ़ाने में मदद की है.
  • मानवीय कारर्वाई में मौजूद महत्वपूर्ण अन्तराल को पाटने के लिए, 2014 में संयुक्त राष्ट्र सीरिया मानवतावादी कोष (SHF) की स्थापना की गई. इस कोष के ज़रिए, सीरिया के सभी क्षेत्रों में वित्तपोषित परियोजनाओं व जवाबी कार्रवाई के ज़रिए पहुँच बढ़ाने के प्रयास भी किए जाते हैं.

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