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ग़ाज़ा: ‘विनाशकारी’ मानवीय हालात व अकाल के जोखिम पर सुरक्षा परिषद की बैठक

ग़ाज़ा: ‘विनाशकारी’ मानवीय हालात व अकाल के जोखिम पर सुरक्षा परिषद की बैठक

अकाल समीक्षा समिति ने पिछले शुक्रवार को अपना एक ऐलर्ट जारी किया था, जिसमें इसराइली घेराबन्दी से जूझ रहे उत्तरी ग़ाज़ा में अकाल के आसन्न संकट की चेतावनी जारी की गई थी.

इसके बाद, गुयाना, स्विट्ज़रलैंड, अल्जीरिया और स्लोवेनिया के अनुरोध पर मंगलवार को यह आपात बैठक बुलाई गई.

मानवाधिकारों से जुड़े मामलों के लिए सहायक महासचिव इल्ज़े ब्रैन्ड्स केहरिस ने 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधियों को बताया कि अब तक 19 लाख फ़लस्तीनी विस्थापन का शिकार हो चुके हैं, जिनमें से अनेक कई बार विस्थापित हुए हैं. इनमें गर्भवती महिलाएँ, वृद्धजन, विकलांग व्यक्ति व बच्चे भी हैं.

उनके अनुसार, आश्रय स्थलों व रिहायशी इमारतों पर इसराइली हमलों से जान-माल की भीषण हानि हुई है और इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरुषों, युवाओं व बुज़ुर्गों का मारा जाना अक्षम्य है.

फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़े दर्शाते हैं कि 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास व अन्य फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों के हमलों में 1,200 लोगों की जान गई थी, और 250 को बन्धक बना लिया गया था.

इसके बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई में 43 हज़ार लोगों की जान गई है और एक लाख से अधिक घायल हुए हैं. बड़ी संख्या में लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने पुष्टि की है कि ग़ाज़ा में बमबारी, हमलों व हिंसा मारे गए लोगों में 70 फ़ीसदी बच्चे व महिलाएँ हैं.

सहायक महासचिव ने कहा कि ग़ाज़ा में हिंसा को तत्काल रोका जाना होगा, बन्धकों की बिना शर्त रिहाई करनी होगी और अकाल की आशंका को दूर करने के लिए ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी आबादी तक बेरोकटोक मानवीय सहायता पहुँचानी होगी.

इसके समानान्तर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के गम्भीर हनन मामलों के आरोपों की निष्पक्ष जाँच व दोषियों की जवाबदेही तय की जानी ज़रूरी है.

चिन्ताजनक स्थिति

खाद्य एवं कृषि संगठन में आपात मामलों के लिए निदेशक रेन पॉलसेन ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को उत्तरी ग़ाज़ा में बदतरीन खाद्य हालात से अवगत कराया.

उन्होंने कहा कि अकाल समीक्षा समिति ने प्रबल आशंका जताई है कि उत्तरी ग़ाज़ा के कुछ इलाक़ों में या तो अकाल हो चुका है या फिर ऐसा जल्द ही हो सकता है.

“कृषि-खाद्य प्रणालियाँ ध्वस्त हो चुकी हैं,” और क़रीब 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि, पिछले वर्ष हिंसक टकराव शुरू होने के बाद से अब तक या तो बर्बाद हो चुकी है या फिर उसे नुक़सान पहुँचा है. इस भूमि से दैनिक खाद्य खपत की क़रीब एक-तिहाई ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता था.

इसके मद्देनज़र, FAO के वरिष्ठ अधिकारी ने जल्द से जल्द युद्धविराम को लागू किए जाने की अपील दोहराई है.

रेन पॉलसेन ने कहा कि अकाल की आशंका से निपटने के लिए यूएन एजेंसी अपने प्रयासों का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिए तैयार है, मगर यह नहीं भूला जाना होगा कि खाद्य सुरक्षा की अनिवार्य शर्त, शान्ति है.

और यह भी कि भोजन का अधिकार एक बुनियादी मानवाधिकार है.

मलबे का ढेर

मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन की कार्यवाहक प्रमुख जॉयस म्सूया ने कहा कि ग़ाज़ा पट्टी का अधिकाँश हिस्सा अब एक मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है.

उनके अनुसार, घायल बच्चों की बाँह पर “ज़ख़्मी बच्चा, परिवार में कोई जीवित नहीं” लिखा जाना अब आम बात हो गई है.

ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी आबादी के लिए अति-आवश्यक सामान व सेवाओं की गहरी क़िल्लत है, बिजली आपूर्ति ठप है. लोगों को भरपेट भोजन उपलब्ध नहीं है और भुखमरी, सम्भवत: अकाल के हालात हैं. 

OCHA की शीर्ष अधिकारी ने सचेत किया कि दुनिया जिन कृत्यों की गवाह बन रही है, वे गम्भीरतम अन्तरराष्ट्रीय अपराधों की याद दिलाते हैं.

जॉयस म्सूया ने कहा कि इसराइल पर दागे जाने वाले रॉकेट हमलों को रोका जाना होगा और अन्तरराष्ट्रीय अपराधों की जवाबदेही तय की जानी आवश्यक है.

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