अन्तिम चरण में 10 वर्ष से कम आयु के एक लाख 19 हज़ार बच्चों को टीके लगाने की योजना थी, मगर कुछ इलाक़ों में हिंसा प्रभावित आबादी तक पहुँचना बेहद मुश्किल है और आवाजाही पर पाबन्दी है.
क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि डॉक्टर रिचर्ड पीपरकोर्न ने कहा कि उनका लक्ष्य, ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में हर बच्चे तक दूसरी व अन्तिम ख़ुराक पहुँचाना था.
इसराइली सैन्य कार्रवाई व बमबारी, घेराबन्दी, जगह ख़ाली करने के आदेशों के कारण टीकाकरण कार्य में देरी हुई और अनेक अवरोध पैदा हुए.
इसके बावजूद, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में सोमवार को बताया कि हमलों के बावजूद, 94 हज़ार से अधिक बच्चों को टीके लगाए गए हैं. यानि क़रीब 79 फ़ीसदी बच्चों को पोलियो से बचाव के लिए पूर्ण रूप से ख़ुराक दी जा चुकी है.
“इस अहम मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए मानवीय आधार पर [लड़ाई में] ठहराव बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन एक स्थाई युद्धविराम के बिना बच्चे पीड़ा में रहेंगे और उनकी मौत होती रहेगी.”
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने वैक्सीन मुहिम के दौरान कुछ केन्द्रों पर हिंसक घटनाएँ होने की ख़बरों पर चिन्ता जताई, जहाँ अपने बच्चों के साथ अभिभावक व सहायताकर्मी मौजूद थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने इस सप्ताहांत एक स्वास्थ्य केन्द्र पर हुए हमले पर क्षोभ जताया.
जाँच की मांग
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रमुख कैथरीन रसैल ने पिछले शनिवार जारी अपने वक्तव्य में कहा कि मानवीय सहायातकर्मियों समेत आम नागरिकों व बुनियादी ढाँचों पर हमले तुरन्त बन्द किए जाने होंगे.
“उत्तरी ग़ाज़ा की पूर्ण फ़लस्तीनी आबादी, विशेष रूप से बच्चों पर बीमारी, अकाल व वहाँ जारी बमबारी से मौत होने का जोखिम है.”
यूनीसेफ़ प्रमुख ने इसराइल से आग्रह किया है कि उनके संगठन के एक कर्मचारी पर हुए हमले की परिस्थितियों की जाँच और दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.
ये हमला उस अवधि में हुआ जब वैक्सीन अभियान के तहत मानवीय आधार पर सुबह 6 बजे से दोपहर 4 बजे तक लड़ाई में ठहराव के लिए सहमति हुई थी.
ग़ाज़ा में पोलियो का 25 वर्ष पहले उन्मूलन हो गया था, मगर ग़ाज़ा युद्ध के दौरान अनेक स्वास्थ्य संकट उभरे हैं और एक 10 महीने के बच्चे में इस वर्ष पोलियो वायरस पाया गया था. इसके बाद, इसराइली क़ब्ज़े वाले ग़ाज़ा में तेज़ी से वैक्सीन अभियान को संचालित किया गया.
7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इसराइल पर हमास व अन्य चरमपंथी गुटों के आतंकी हमलों के बाद, इसराइल ने ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है.
स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 43 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान गई है और पूरे इलाक़े को भीषण नुक़सान पहुँचा है.
79 फ़ीसदी टीकाकरण
उत्तरी ग़ाज़ा में टीकाकरण अभियान से पहले मध्य और दक्षिणी ग़ाज़ा में टीकाकरण के दोनों चरणों को पहले ही सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिसमें साढ़े चार लाख से अधिक बच्चों को टीके लगाए गए. ये इन इलाक़ों में कुल लक्ष्य का 96 फ़ीसदी है.
पोलियो वायरस के फैलाव को टालने के लिए, हर समुदाय व इलाक़े में कम से कम 90 फ़ीसदी बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराक दी जानी ज़रूरी होता है.
आमतौर पर दूसरी ख़ुराक को छह सप्ताह के भीतर दिया जाना होता है, मगर इसमें देरी होने से टीके का असर कम हो जाता है और प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने आगाह किया है कि दूसरे चरण के टीकाकरण से बड़ी संख्या में बच्चों के बाहर रह जाने से पोलियो के फैलाव को रोकना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और ग़ाज़ा पट्टी व अन्य देशों में ऐसे मामले उभर सकते हैं.