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वैश्विक संकटों के दौर में, राजनैतिक नेतृत्व से मानवाधिकारों के लिए समर्थन की मांग

वैश्विक संकटों के दौर में, राजनैतिक नेतृत्व से मानवाधिकारों के लिए समर्थन की मांग

यूएन उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में एक ख़ास बातचीत के दौरान, बढ़ते हिंसक टकरावों, नागरिक समाज के लिए सिकुड़ते स्थान, और कुछ देशों में निरकुँश प्रवृत्तियों में नज़र आ रहे उछाल पर गहरी चिन्ता जताई.

उन्होंने कहा कि इन रुझानों के उलट, दुनिया को कहीं ज़्यादा खुलेपन और जवाबदेही की आवश्यकता है.

मानवाधिकार मामलों के लिए प्रमुख ने हनन मामलों के दोषियों की जवाबदेही तय करने में मानवाधिकार तंत्रों की अहम भूमिका पर बल दिया, जिनमें मानवाधिकार परिषद, विशेष रैपोर्टेयर समूह और उनके कार्यालय समेत अन्य व्यवस्थाएँ हैं.

इस इंटरव्यू को संक्षिप्तता व स्पष्टता के लिए सम्पादित किया गया है.

यूएन न्यूज़: यह कहा जा सकता है कि दुनिया भर में मानवाधिकारों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. आपकी राय में, इस चिन्ताजनक रुझान की क्या वजह है?

वोल्कर टर्क: हम अक्सर सुनते हैं कि मानवाधिकार संकट में हैं, मगर यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि असल में मानवाधिकार, संकट में नही हैं बल्कि यह उन्हें अमल में लाने पर है. और राजनैतिक नेतृत्व को यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि उन्हें वास्तव में लागू किया जाए.

हम बहुत अधिक युद्ध, बहुत ज़्यादा हिंसा, अनेकानेक निरंकुश प्रवृत्तियों को देख रहे हैं…मगर, हमें इसके ठीक उलट माहौल चाहिए. और फिर नागरिक समाज के लिए स्थान को दबाया जा रहा है, जोकि आज की दुनिया में विचित्र है, चूँकि इसके बिलकुल विपरीत हालात की ज़रूरत है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क (स्क्रीन पर) 1994 में रवांडा में तुत्सियों के विरुद्ध जनसंहार पर मनन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क (स्क्रीन पर) 1994 में रवांडा में तुत्सियों के विरुद्ध जनसंहार पर मनन के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे हैं.

यूएन न्यूज़: आपके विचार में, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार तंत्रों की क्या स्थिति है? आपने कहा कि इन व्यवस्थाओं के ज़रिये, अतीत में युद्धों व अत्याचारों की रोकथाम करने में मदद मिली है. मगर, क्या कोई ऐसा बड़ा क़दम है, जिससे बदलती दुनिया के अनुरूप चला जा सके?

वोल्कर टर्क: यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकार तंत्रों का इस्तेमाल किया जाए. मानवाधिकार परिषद, मेरा कार्यालय, विशेष रैपोर्टेयर (मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ), और सन्धि निकाय, ये टकराव की स्थिति में और उससे इतर भी मानवाधिकारों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि पैनी समीक्षा से कोई नहीं बचने पाए.

और हमारे सम्पूर्ण कामकाज में यह बेहद अहम है, चूँकि यदि लोग पैनी नज़रों से बच जाते हैं तो यह एक समस्या बन सकता है.

यूएन न्यूज़: विश्व भर में संकटों की स्थिति पर बात करते हैं: मध्य पूर्व, जहाँ अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवतावादी क़ानून के तथाकथित व्यापक उल्लंघन के साक्ष्य मिल रहे हैं. इन हालात में आपको सबसे अधिक किस बात से चिन्ता होती है और इसका भविष्य में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर क्या असर हो सकता है?

वोल्कर टर्क: एक बात जो वाक़ई मुझे परेशान करती है वो ये है कि ऐसा प्रतीत होन लगा है कि हर कोई चरमवाद और तनाव बढ़ाने के कुतर्क का शिकार होने लगा है.

शान्ति किस तरह से हासिल की जाए, अब इस पर और बातचीत नहीं होती. हम निरन्तर तनाव बढ़ने के मामलों में देखते हैं कि मानो हिंसा से इसका जवाब मिलेगा; एक सैन्य समाधान इसका जवाब होगा. नहीं, यह बिलकुल उसके विपरीत है.

इसलिए, यहाँ युद्धविराम की, बन्धकों की बिना शर्त रिहाई की आवश्यकता है. हम निरन्तर जिस हिंसा के चक्र को देख रहे हैं, उसका अन्त किए जाने की ज़रूरत है.

और एक शान्ति प्रक्रिया पर आपस में बातचीत की जानी होगी, जिससे अन्तत: दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ा जा सके, जहाँ इसराइल और फ़लस्तीन, एक दूसरे के साथ शान्ति में रह सकें.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क, मिस्र-ग़ाज़ा की सीमा पर स्थित रफ़ाह चौकी पर, मीडिया के साथ बातचीत करते हुए (नवम्बर 2023).

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क, मिस्र-ग़ाज़ा की सीमा पर स्थित रफ़ाह चौकी पर, मीडिया के साथ बातचीत करते हुए (नवम्बर 2023).

यूएन न्यूज़: क्या आप सोचते हैं कि वर्तमान घटनाक्रम का भविष्य में मानवाधिकारों व मानवतावादी क़ानून पर असर भी हो सकता है?

वोल्कर टर्क: मुझे डर लगता है जिस तरह से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, अन्तरराष्ट्रीय अधिकारों, क़ानून प्रवर्तन, मानवतावादी क़ानून को कुचला जा रहा है. यह एक बड़ी चिन्ता है, चूँकि दुनिया देख रही है.

कुछ अन्य इसका फ़ायदा उठा सकते हैं, यह कहते हुए कि विश्व के इस हिस्से में ऐसा होता है, तो अन्य स्थानों में ऐसा हो सकता है.

इसलिए, मैं अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के क्षरण पर बेहद चिन्तित हूँ, जब बात उन बुनियादी नियमों की हो रही है जिनसे हमारा आपसी बर्ताव व बातचीत निर्धारित होने चाहिए, जिनसे युद्ध में दिशानिर्देश मिलने चाहिए, और जिनसे यह राह दिखनी चाहिए कि हम राजसत्ता की संस्थाओं के साथ किस प्रकार से व्यवहार करेंगे.

यूएन न्यूज़: यूक्रेन में इस समय कम से कम दो मिशन, वहाँ मानवाधिकार उल्लंघन मामलों पर जानकारी जुटाते हैं: आपके कार्यालय का निगरानी मिशन, और स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग. आपके विचार में यह कार्य कितना महत्वपूर्ण है? और मौजूदा हालात में वास्तविक सूचना जुटाना कितना कठिन है?

वोल्कर टर्क: मानवाधिकार तंत्र – मेरा कार्यालय और स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग – बेहद सख़्त कार्य प्रणाली पर आधारित हैं. हर तथ्य की पुष्टि किए जाने की ज़रूरत होती है, और इसलिए आप देखेंगे कि हमारे आँकड़े, वास्तविक आँकड़ों से पीछे चलते हैं, चूंकि हमें लोगों के हताहत होने के मामलों में हर एक घटना का सत्यापन करना होता है.

उदाहरणस्वरूप, जब हम क्षतिग्रस्त होने वाले नागरिक प्रतिष्ठानों को देखते हैं. इसलिए, हमारी रिपोर्ट को लिखने में समय लगता है, चूँकि हमें सख़्ती से तथ्यों का सत्यापन व क़ानून को लागू करना होता है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर्तमान में, अमानवीयकरण भरे माहौल में व्यक्तियों की निजी व्यथा को ना भुलाया जाए, जोकि हम अक्सर युद्ध के दौरान देखते हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टूर्क ने रविवार को यूक्रेन की राजधानी कीयव का दौरा किया.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टूर्क ने रविवार को यूक्रेन की राजधानी कीयव का दौरा किया.

यूएन न्यूज़: कुछ लोग, यूक्रेन व दुनिया के अन्य हिस्सों में, कहते हैं कि ये एक और रिपोर्ट आ गई, जिसमें मानवाधिकार हनन के बदतरीन मामलों को पेश किया जाता है. मगर, फिर भी बदलता कुछ नहीं है. आप क्या कहना चाहेंगे?

वोल्कर टर्क: मेरे नज़रिये में, मानवाधिकार तथ्यों के बारे में हैं, उन्हें स्थापित करने पर केन्द्रित. यह क़ानून को लागू करने और उसे समान रूप से अमल में लाने के बारे में है. चूँकि क़ानून, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून है. यह अन्तरराष्ट्रीय निगरानी क़ानून है.

इसलिए यह एक पैमाना है, जिसके आधार पर हम तथ्यों का विश्लेषण करते हैं और फिर किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं. मगर, यह करुणा से भी जुड़ा हुआ है.

हमें लोगों के दुख, उनकी पीड़ा को सामने लाकर रखने की ज़रूरत है ताकि ये समझा जा सके कि युद्ध पूरी तरह से भयावह है. इसका अर्थ मृत्यु, विध्वंस और विषाक्तता है, जिसकी हमें हर हाल में रोकथाम करनी होगी. हमें उससे बाहर निकालने के एक रास्ते की तलाश करनी है, और यह सब कुछ उसी से जुड़ा हुआ है.

यूएन न्यूज़: सूडान में बड़े पैमाने पर यौन हिंसा को अंजाम दिया गया, जिसने कुछ हद तक वहाँ संकट को परिभाषित किया है. इस सन्दर्भ में, दंडमुक्ति की भावना की रोकथाम करने में संयुक्त राष्ट्र की क्या भूमिका है?

वोल्कर टर्क: मेरा कार्यालय, नामित विशेषज्ञ और मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मिशन, वहाँ हालात की निगरानी करने, दस्तावेज़ जुटाने और घटनाक्रम से हमें अवगत कराने के लिए मौजूद हैं.

और हमारे लिए, यह बेहद अहम है कि अतीत में इन हालात में दंडमुक्ति की भावना का जो रूप हुआ करता था, उससे लड़ा जाए, कि वहाँ जवाबदेही तंत्र मौजूद हों.

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) इन हालात में अपने दायरे का विस्तार करे, केवल दारफ़ूर में नहीं बल्कि पूरी स्थिति के लिए, कि वहाँ दोषियों की पहचान की जाए, और उनकी जवाबदेही तय हो.

सूडान की आधिकारिक यात्रा के दौरान, खार्तूम में नागरिक समाज के सदस्यों से बात करते हुए, मानवाधिकारों के लिये संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त, वोल्कर टूर्क.

सूडान की आधिकारिक यात्रा के दौरान, खार्तूम में नागरिक समाज के सदस्यों से बात करते हुए, मानवाधिकारों के लिये संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त, वोल्कर टूर्क.

यूएन न्यूज़: हेती में, आपराधिक गुट स्थानीय आबादी को आतंकित कर रहे हैं. निसन्देह, आप वहाँ अन्तरराष्ट्रीय मिशन के कामकाज को मज़बूती देने की पैरवी करते हैं. हम यह किस तरह से सुनिश्चित कर सकते हैं कि मिशन द्वारा उठाए गए क़दमों से मानवाधिकारों का उल्लंघन ना हो? चूँकि वे गैंग का सामना करेंगे, जोकि युवाओं का इस्तेमाल करते हैं.

वोल्कर टर्क: वहाँ सुरक्षा हालात हमारी सर्वोपरि चिन्ता है. 3,900 से अधिक लोग इस वर्ष मारे गए हैं, और सैकड़ों लोगों का अपहरण किया गया है.

यह स्पष्ट है कि वहाँ तैनात किया गया बहुराष्ट्रीय सुरक्षा समर्थन मिशन (MSS), हेती की पुलिस के कामकाज में समर्थन देने के लिए अहम है. इसके साथ-साथ, हमें देश में हथियारों के प्रवाह को रोकना है. इन्हें हेती में नहीं तैयार किया जाता, वे कहीं और से आते हैं.

और हमें यह सुनिश्चित करना है कि इन आपराधिक गुटों के पीछे छिपे लोगों पर वास्तव में प्रतिबन्ध लगाया जाए. इसलिए हमें तत्काल, एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. और मानवाधिकार इसी का एक हिस्सा हैं.

हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि अन्तरराष्ट्रीय मिशन समेत पुलिस बल जो कुछ भी कर रहा है, वो मानवाधिकारों के फ़्रेमवर्क में खरा उतरता हो.

यूएन न्यूज़: आपने सदस्य देशों को बताया है कि आय असमानता के विषय में आपका कार्यालय उनके साथ किस तरह से सहयोग कर रहा है. यह क्यों अहम है और क्या आप कुछ सफल उदाहरणों को साझा करना चाहेंगे?

वोल्कर टर्क: जब आप टिकाऊ विकास लक्ष्यों को साकार करने में कमी की ओर देखते हैं, तो यह बहुत अहम हो जाता है. इसका एक बड़ा लक्षण, दुनिया भर में बढ़ती असमानताएँ हैं.

मेरे विचार में, लातिन अमेरिका, सबसे असमान महाद्वीपों में है, मगर यह अब आप योरोप के कुछ हिस्सों में, उत्तरी अमेरिका भी देखते हैं. औद्योगिक जगत में जहाँ निर्धन व सम्पन्न के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है, और यह एक विशाल समस्या की वजह बन सकती है.

इसका अर्थ यह है कि मानवाधिकार, समानता के बारे में हैं. वे ये सुनिश्चित करने के बारे में हैं कि हर एक व्यक्ति के पास अधिकार हैं. वे भोजन, पर्याप्त आवास से लेकर शिक्षा पाने तक के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें.

मगर, यदि शिक्षा व आवास आपकी पहुँच से बाहर हो जाएं, तो लोग अवसाद में घिर जाएंगे. वे हताश हो जाएंगे, और कभी कभी राजनैतिक चरम की ओर बढ़ जाएंगे.

इसलिए, सरकारों, राजनैतिक दलों के लिए यह ज़रूरी है कि मानवाधिकारों के फ़्रेमवर्क को, असमानता दूर करने की एक प्रेरणा के रूप में देखा जाए. और इसका अर्थ है, आवास के अभाव की समस्या से निपटना, शिक्षा को सुलभ बनाना और स्वास्थ्य देखभाल के दायरे को बढ़ाना.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक दृश्य.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक दृश्य.

यूएन न्यूज़: सदस्य देशों के साथ सहयोग की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दीजिए. किसी विशिष्ट मुद्दे पर आपके द्वारा वक्तव्य जारी करने के बाद क्या होता है?

वोल्कर टर्क: जब भी हम किसी हालात और मानवाधिकारो के लिए उभरते हुए जोखिमों की निगरानी करते हैं, तो हम सरकारों के साथ सम्पर्क व बातचीत करते हैं. हम नागरिक समाज के साथ होते हैं और मुद्दे से निपटने का प्रयास करते हैं.

लेकिन एक बिन्दु ऐसा भी आता है जब सरकारें या तो प्रतिक्रिया नहीं देती या फिर राजनैतिक बहस के कारण, ऐसे विषय में नहीं पड़ना चाहती हैं, जोकि हमारा दायित्व बन जाता है.

मेरा फ़र्ज़ यह बताने का है कि क्या कुछ ग़लत हो रहा है, और मैं अपने इस दायित्व को सार्वजनिक रूप से निभाता हूँ, ताकि दुनिया को पता चल सके कि हमें एक विशेष सन्दर्भ, किसी एक ख़ास देश में मानवाधिकारों के प्रति चिन्ताएँ हैं.

यूएन न्यूज़: बढ़ते लोकप्रियतावाद, भेदभाव और जानबूझकर भ्रामक जानकारी फैलाए जाने के रुझानों पर आप क्या कहना चाहेंगे? यह सब विकसित लोकतंत्रों में देखा जा रहा है. इससे आपका कार्य और कितना कठिन हो गया है?

वोल्कर टर्क: यह वर्ष चुनावों की दृष्टि से एक बड़ा साल है, जहाँ क़रीब चार अरब लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. और मैंने, एक अपील, सार्वजनिक रूप से मतदान करने जा रहे सभी लोगों से अपील की है कि मानवाधिकारों के परिप्रेक्ष्य से राजनैतिक कार्यक्रमों का विश्लेषण करें.

क्या उन कार्यक्रमों से हर एक व्यक्ति के मानवाधिकारों की रक्षा होती है या फिर वे उन्हें कलंकित, हाशिए पर धकेलते हैं और समाज के कुछ हिस्सों को बलि का बकरा बनाते हैं.

उदाहरणस्वरूप, हम शरणार्थियों व प्रवासियों के बारे में ओछी बातों को बहुत सुनते हैं, जिन्हें अक्सर सीधे तौर पर, अपमानजनक भाव के साथ कहा जाता है. यह अस्वीकार्य है, चूँकि दूसरे की ज़िम्मेदारी उन पर मढ़ी जा रही है. यह दूसरों का अमानवीयकरण करना है.

और मेरी सभी मतदाताओं से अपील है: यदि ऐसा समाज के एक हिस्से में होता है, तो यह आपको भी हो सकता है. और आपको बेहद सतर्क रहने की ज़रूरत है. आपको इसे शुरुआत में ही रोकना होगा, चूँकि लोगों को हाशिए पर धकेला जाना, उन्हें कलंकित करना व बलि का बकरा बनाया जाना अस्वीकार्य है.

यूएन न्यूज़: नई, उभरती हुई टैक्नॉलॉजी पर बात करते हैं. इन नवीन टैक्नॉलॉजी से आधुनिक जीवन में, दुनिया भर में मानवाधिकार किस प्रकार से प्रभावित होते हैं?

वोल्कर टर्क: यह स्पष्ट है कि डिजिटल खोज, टैक्नॉलॉजी सम्बन्धी विकास से बड़े लाभ मिलते हैं. उनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है. उनसे हमारे दौर की चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिल सकती है.

मगर, इसके साथ-साथ हमें कई जोखिमों का भी सामना करना पड़ सकता है. सोशल मीडिया के बड़े प्लैटफ़ॉर्म से हमें निश्चित रूप से सबक़ सीखे हैं.

कृत्रिम बुद्धिमता (AI), जनरेटिव एआई में जोखिम निहित हैं. यदि हम सतर्क ना हों और इनके फ़्रेमवर्क में मानवाधिकारो का ध्यान ना रखें. मानवाधिकारों का ख़याल रखना, जोखिमों में कमी लाने की ही एक रणनीति है.

मुझे प्रसन्नता है कि ‘वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट’ में मज़बूती से मानवाधिकारों का उल्लेख किया गया है और हम देशों, कम्पनियों को दुनिया भर में सेवाएँ प्रदान करेंगे, ताकि वे महत्वपूर्ण टैक्नॉलॉजी नवाचारों को विकसित करते समय अपने मानवाधिकार दायित्वों का निर्वहन कर सकें.

विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा म्याँमार में टाइफ़ून यागी से प्रभावित लोगों के लिए मदद पहुँचाई जा रही है.

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यूएन न्यूज़: अगले महीने यूएन का वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप29) आयोजित होना है. आपकी इस सम्मेलन से क्या उम्मीदें हैं?

वोल्कर टर्क: जब हम प्रकृति, पर्यावरण और पृथ्वी के साथ अपने सम्बन्ध को परखते हैं, तो यह मानवाधिकारों पर ही लौट आता है, चूँकि हम जानते हैं, और हमने काफ़ी अध्ययन भी किए हैं कि यदि जलवायु परिवर्तन से नहीं निपटा गया, तो विश्व के कुछ हिस्से रहने योग्य नहीं रह पाएंगे.

हम यह अब पहले से ही जानते हैं. इसका अर्थ है कि लोगों को अपने स्थानों से जाना होगा. सबसे निर्बल हालात से जूझ रहे लोग सर्वाधिक प्रभावित होंगे. निर्धनता बढ़ेगी और कम संसाधनों के लिए विशाल प्रतिस्पर्धा होगी. अतीत में यह टकराव की वजह बन चुके हैं.

इसलिए, हमें आशा है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन से जल्द से जल्द निपटने, हमें जीवाश्म ईंधन उद्योगों से बाहर निकालने की अहमियत को समझेगी. और यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सही ढंग से एक ऐसी आर्थिक प्रणाली की ओर बढ़ें, जोकि व्यावहारिक हो और जो हमारी प्रगति के साथ-साथ मानवाधिकारों को भी आगे बढ़ाए.

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