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लेबनान: युद्ध से बेघर समुदायों में हैज़ा फैलने का डर

लेबनान: युद्ध से बेघर समुदायों में हैज़ा फैलने का डर

यह पहला मामला, लेबनान के उत्तरी इलाक़े में अक्कार स्थान में पाया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि निगरानी के लिए एक कार्रवाई योजना लागू की जा रही है, जिसमें सम्भावित प्रभावित लोगों के बारे में जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ, पानी के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं.

डॉक्टर टैड्रॉस बुधवार देर रात को जिनीवा में बताया कि लेबनान के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अगस्त में एक वैक्सीन अभियान शुरू किया था जिसके तहत लगभग साढ़े तीन लाख लोगों को, हैज़ा से बचाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाई जानी थीं.

मगर यह स्वास्थ्य अभियान, “हिंसा में तेज़ी आने के कारण बाधित” हो गया है. ग़ौरतलब है कि पिछले एक महीने के दौरान इसराइली सेना और हिज़बुल्लाह के लड़ाकों के दरम्यान युद्धक गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं.

लाखों पर जोखिम

लेबनान में WHO के प्रतिनिधि डॉक्टर अब्दिनासिर अबूबकर ने चिन्ता व्यक्त की है कि जो लोग दक्षिणी इलाक़े में हो रही हिंसा से बचने की कोशिशों में विस्थापित हुए हैं, उन्हें हैज़ा से कोई संरक्षण हासिल नहीं है. 

ध्यान रहे कि हैज़ा, गन्दे पानी और ख़राब स्वच्छता परिस्थितियों में पनपता है. अधिकारियों के अनुसार अभी तक लगभग 12 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं.

डॉक्टर अब्दिनासिर अबूबकर ने कहा कि हैज़ा बहुत तेज़ी से फैल सकता है. “चूँकि दक्षिणी इलाक़े और बेरूत में रहने वाले बहुत से समुदाय पिछले तीस वर्षों से हैज़ा से संरक्षित नहीं है, इसलिए हैज़ा के फैलने का बहुत अधिक जोखिम है.”

हैज़ा के इस तात्कालिक जोखिम ने, यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों और उनके साझीदार संगठनों के लिए एक और चुनौती खड़ी कर दी है, जो पहले ही लेबनान में इसराइल के विनाशकारी हमलों के बीच काम कर रहे हैं.

बुधवार को भी पूर्वी लेबनान में और दक्षिणी शहर नबातीह में भी इसराइल के हमले हुए हैं जिनमें, मेयर सहित 16 लोग मारे गए हैं.

WHO के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि यह एजेंसी, इसराइली बमबारी के पीड़ितों और घायलों को पहले ही प्राथमिकता वाले अस्पतालों में औषधियाँ उपलब्ध करा रही है.

उन्होंने कहा कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, चिकित्सा सहायता मुहैया कराने में लेबनान के रैडक्रॉस और अस्पताल के साथ मिलकर काम कर रही है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “इस पीड़ा का समाधान, केवल मानवीय सहायता नहीं, बल्कि शान्ति है.”

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