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WHO: इसराइल में 7 अक्टूबर के हमलों के बाद मानसिक स्वास्थ्य संकट

WHO: इसराइल में 7 अक्टूबर के हमलों के बाद मानसिक स्वास्थ्य संकट

इन अग्रिम मोर्चों के कर्मियों में ऐम्बुलैंस चालक, स्वास्थ्य कर्मी और फ़ोरेंसिक टीमें शामिल हैं जिन्होंने मृतकों की शिनाख़्त की. इन सभी ने उन हमलों की भयावहता और क्रूरता को अपनी आँखों से देखा, जिसके परिणामस्वरूप उनके भीतर भी गहरा सदमा बैठ गया है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO के योरोपीय कार्यालय की मदद से, एक संगठन माशीव हा रूआख़ ने मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक समर्थन मुहैया कराया. 

इस संगठन के नाम का अर्थ है – “आत्मा को वापिस लाना” और उसने कार्यशालाओं के ज़रिए यह सहायता मुहैया कराई है, जिनमें कर्मियों को अपने सदमे के बारे में बातचीत करने और उससे बाहर आने की प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहित किया गया.

इस संगठन के संस्थापक एयाल क्रावित्ज़ कहते हैं कि उन्होंने 7 अक्टूबर के हमलों के कुछ ही दिन बाद इस समूह की स्थापना की थी क्योंकि उन्हें ये ख़याल आया है कि इन सहायताकर्मियों की मदद कैसे होगी.

कार्यशालाएँ

7 अक्टूबर के हमले के बाद, जिन स्वेच्छाकर्मियों ने अपनी राहत सेवाएँ दी थीं, उनमें से अनेक, नीन्द नहीं आने की स्वास्थ्य स्थिति, अत्यधिक दबाव व तनाव, उच्च स्तरों का अवसाद व चिन्ता की चपेट में आ गए जिसके ऐसे निरन्तर प्रभाव हुए हैं कि उनके असर कर्मियों के परिवारों और उनके कामकाज के स्थलों पर भी हुए हैं.

माशीव हा रुआख़ की कार्यशालाएँ, दैनिक जीवन के शोर व व्यवस्तताओं से दूर, रेगिस्तानी इलाक़े में आयोजित की गईं जहाँ प्रतिभागियों को अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

संगठन क सह-संस्थापक डेनियल शेरमॉन कहते हैं कि शुरू में तो किसी ने भी अपने अनुभवों के बारे में बात करने में कोई रुचि नहीं दिखाई. 

इस तरह आरम्भ में तो उन्हें इसके लिए राज़ी करने कठिन था मगर जब वो इन कार्यशालाओं में शामिल हुए तो लोगों ने अपने सदमे वाले अनुभवों को भुला देने में सहायता करने वाले इन सत्रों के बारे में अपने सहयोगियों से सुनना शुरू किया.

7 अक्टूबर के हमले के दिन अग्रिम मोर्चे की सहायता में शामिल एक कर्मी ओज़ ताल का कहना है कि इस कार्यशाला ने उन्हें “अपने सदमे को बयान करने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भाषा मुहैया कराई.”

ओज़ ताल का कहना है, “सबसे पहले तो ये कि जब मैं स्वेच्छाकर्मियों को इस कार्यशाला में आने के लिए कहता हूँ तो वो कहते हैं कि वो ठीक हैं. उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है. वो इन कार्यशालाओं में नहीं आना चाहते हैं.”

“मगर कार्यशाला के दौरान जब हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बोलना शुरू करते हैं, अपनी समस्याओं के बारे में बात करते हैं तो फिर अन्य लोग भी ऐसा ही करने लगते हैं. उस लम्हे, कमरे का माहौल देखते ही बनता है.”

आपबीतियाँ

सोरोका चिकित्सा केन्द्र, ग़ाज़ा से लगभग 25 मील दूर है. 7 अक्टूबर के हमले के बाद 16 घंटों के भीतर वहाँ 680 मरीज़ भर्ती किए गए थे. उनमें से 120 मरीज़ गम्भीर रूप से घायल थे.

WHO का कहना है कि बहुत से कर्मियों के निकट सम्बन्धी इस हमले में मारे गए या वो ऐसे इलाक़ों में रहते थे जहाँ हमला किया गया था.

सोरोका चिकित्सा केन्द्र में ऐमरजेंसी विभाग के निदेशक डॉक्टर डैन श्वार्ज़फ़ुश कहते हैं कि ये कर्मी मज़बूत नहीं होते तो उस त्रासदी को देखकर जीवित नहीं रह पाते.

डॉक्टर डैन श्वार्ज़फ़ुश कहते हैं, “मुझे अच्छी तरह मालूम था कि मुझे ऐसा कुछ तलाश करना था जो उन्हें मज़बूत रखने में मदद करे.”

उन्होंने कहा कि इन कार्यशालाओं के माध्यम से, इन कर्मियों को जो थैरेपी मुहैया कराई गई उससे चिकित्सा केन्द्र के कर्मियों के साथ उनके सम्बन्ध मज़बूत हुए.

डॉक्टर डैन श्वार्ज़फ़ुश ने कहा, “पहले जो सहयोगी अपने अनुभवों के बारे में बात नहीं करना चाहते थे, अब वो खुलकर बात कर रहे हैं क्योंकि वो उन्य कर्मियों को भी ऐसा ही करते हुए देख रहे हैं.”

अनेक व्यक्तियों तक पहुँच

माशीव हा रुआख़ ने वर्ष 2024 के शुरू से अभी तक, अपनी कार्यशालाओं के ज़रिए लगभग 1,000 लोगों की मदद की है.

सह-संस्थापक शेरमॉन कहते हैं, “हमने माशीव हा रुआख़ की शुरुआत कुछ अच्छी परिस्थितियों में नहीं की थी. मगर सच बात ये है कि लोगों को इसकी ज़रूरत है और आने वाले वर्षों के दौरान इसकी ज़रूरत रहेगी.”

संस्थापक क्रावित्ज़ कहते हैं कि स्वास्थ्य संगठनों के साथ उनकी साझेदारियों की मदद से, वो अनेक व्यक्तियों तक पहुँच सके.

उन्होंने कहा, “हमें इस पर गर्व है कि इसराइल में केवल इसी सहनशीलता पहल को, WHO की पहचान मिली. इसके लिए हम इसराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय को धन्यवाद देते हैं. यह साझेदारी बहुमूल्य रही है, और मैं WHO का भी आभार प्रकट करना चाहता हूँ.”

WHO ने माशीव हा रुआख़ को समर्थन देने के अतिरिक्त, इसराइल के एक अन्य ग़ैर-सरकारी संगठन मोसाइका की भी क पहल में सहायता की है.

इस कार्यक्रम में, यहूदी और मुस्लिम समुदायों के धार्मिक नेताओं की मदद से उपयुक्त मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों के साथ लोगों से सम्पर्क किया जाता है और उनमें उत्साह व आशा का संचार भरने के साथ-साथ उपचार कराने में झझक को दूर किया जाता है.

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