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सूडान: अल फ़शर में हिंसा पर चिन्ता, बच्चों की रक्षा किए जाने का आग्रह

सूडान: अल फ़शर में हिंसा पर चिन्ता, बच्चों की रक्षा किए जाने का आग्रह

यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने सोमवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविर, ज़मज़म में अकाल जैसे हालात की पहले ही पुष्टि हो चुकी है. उन्होंने आशंका जताई कि इस इलाक़े के अन्य शिविरों में भी ऐसी परिस्थिति होने की आशंका है.

नॉर्थ दारफ़ूर में अल फ़शर अन्तिम शहर है, जोकि सूडान की सेना के नियंत्रण में है, जिसे हटाने के लिए विरोधी अर्द्धसैनिक बल (RSF) द्वारा भीषण लड़ाई लड़ी जा रही है. 

इस प्रान्त में अन्य स्थानों पर अत्याचारों को अंजाम दिए जाने के मामले सामने आए हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया कि अल कुमा में शुक्रवार को हवाई हमलों में कम से कम चार बच्चों की जान गई है और चार अन्य घायल हुए हैं.

हिंसक टकराव और बीमारियों के फैलाव की वजह से सूडान में लाखों बच्चों की ज़िन्दगियों पर जोखिम है.

सूडान में यूनीसेफ़ कार्यालय के प्रतिनिधि शेल्डन यैट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा व अधिकारों के लिए पूर्ण रूप से बेपरवाही दर्शाने वाली हिंसा पर विराम लगाना होगा.

संकट से घिरा देश

सूडान में सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल के बीच हिंसक टकराव शुरू हुए 18 महीने बीत चुके हैं, जिसकी वजह से एक करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं. इनमें आधी संख्या बच्चों की है.

भीषण लड़ाई की वजह से देश के बुनियादी ढाँचे को क्षति पहुँची है, बुनियादी सेवाओं में व्यवधान आया है और बड़ी संख्या में लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

पिछले वर्ष अप्रैल में लड़ाई के शुरू होने के बाद से अब तक, 150 से अधिक स्कूलों और अस्पतालों व देखभाल केन्द्रों पर हमले हो चुके हैं. रिहायशी इलाक़ों के हमलों की चपेट में आने से युवा आबादी की सलामती, उनके कल्याण पर असर हुआ है.

यूएन प्रवक्ता दुजैरिक ने कहा कि अक्टूबर के शुरुआती दिनों में ही, हज़ारों लोग हवाई हमलों, झड़पों, गाँवों के पास व्याप्त असुरक्षा के कारण सूडान में विस्थापित हुए हैं.

स्वास्थ्य संकट

मौजूदा हालात में ना केवल बच्चों के स्वास्थ्य पर असर हुआ है बल्कि बीमारियों के फैलाव की परिस्थितियाँ भी उपजी हैं.

सूडान में स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था पहले से ही नाज़ुक थी, और अब यह दरकने के कगार पर है. साफ़-सफ़ाई व स्वच्छता सम्बन्धी बुनियादी ढाँचा कमज़ोर है और डेंगू, मलेरिया, ख़सरा, हैज़ा जैसी बीमारियाँ एक साथ फैल रही हैं.

इन बीमारियों से देश के 18 में से 12 प्रान्त प्रभावित हैं.

यूएन प्रवक्ता के अनुसार, पिछले दो महीनों में हैज़ा के 21 हज़ार से अधिक मामले सामने आए हैं और इससे 600 से अधिक मौतें होने की पुष्टि हुई है.

यूनीसेफ़ ने इन जटिल ख़तरों से निपटने के लिए अपने टीकाकरण प्रयासों को तेज़ किया है और मौखिक रूप से दी जाने वाली हैज़ा वैक्सीन की 14 लाख ख़ुराकों को पोर्ट सूडान रवाना किया गया है.

प्रतिरक्षण अभियान जारी है और 18 लाख से अधिक लोगों को हैज़ा से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में ख़ुराक देने का लक्ष्य रखा गया है.

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