इन दोनों संगठनों ने गुरूवार को बताया है कि ये साझेदारी बर्फ़ पर बढ़ते वैश्विक तापमानों के व्यापक प्रभावों की तरफ़ ध्यान आकर्षित करने के लिए की जा रही है. साथ ही इसमें वैज्ञानिक व खेल सम्बन्धित चर्चाओं को को मज़बूत करने के लिए भी उपाय किए जाएंगे.
ये साझेदारी वर्ष 2024/2025 के शीतकालीन खेल दौर से पहले शुरू होगी और शुरू में पाँच वर्ष तक चलेगी.
विशालकाय समस्या
WMO की महासचिव सेलेस्टे साउलो का कहना है कि शीतकालीन खेलों और पर्यटन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, एक बहुत बड़ी समस्या का केवल अंशमात्र हैं.
उन्होंने कहा, “पिघलते हिमनद, कम होती बर्फ़ और घटती हिम चादरों जैसे कारकों के, पर्वतीय पारिस्थितिकी, समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत बड़े प्रभाव हो रहे हैं, और उनके स्थानीय, राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर, आने वाली सदियों के लिए, लगातार बढ़ते गम्भीरह परिणाम होंगे.”
FIS के अध्यक्ष जोहान ऐलियाश ने भी इससे सहमति व्यक्त करते हुए कहा है, “स्वभाविक रूप से जलवायु संकट, FIS या खेलकूद से कहीं अधिक बड़ा संकट है. दरअसल यह मानवता के लिए एक वास्तविक चौराहा है” मगर उन्होंने ध्यान दिलाया कि खेलों पर इसके प्रभाव पहले ही नज़र आ रहे हैं.
वर्ष 2023 और 2024 के दौरान, FIS को, मौसम के कारण 616 विश्व कप कार्यक्रमों में से 26 को रद्द करना पड़ा था.
जोहान ऐलियाश ने कहा, “अगर हम विज्ञान व तथ्यपरक विश्लेषण में निहित हर सम्भावित प्रयास पर अमल नहीं करेंगे तो हम ग़लती कर रहे होंगे.”
शीत प्रभाव
अनेक अध्ययनों में दिखाया गया है कि जलवायु परिवर्तन ने किस तरह से शीतकालीन खेलों व पर्यटन को प्रभावित किया है. इनमें से एक अध्ययन स्विटज़रलैंड में कराया गया जिसमें दिखाया गया है कि 1850 से, अलपाइन हिमनदों (Glaciers) का 60 प्रतिशत खंड या आयतन ख़त्म हो गया है.
एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि सर्दियाँ, लगातार कुछ गर्म होती जा रही हैं.
हर साल WMO और FIS लागू करने योग्य उपायों की शिनाख़्त करेंगे और ये शुरुआत आगामी 7 नवम्बर को होगी. उस दिन राष्ट्रीय स्की संगठनों के लिए, पूरे खेलकूद उद्योग पर वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रभाव पर, एक वैबिनार का आयोजन किया जाएगा.