यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में यूएन महासभा के 79वें सत्र से पहले, पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि भविष्य-सम्मेलन और जनरल डिबेट का आयोजन कुछ ही दिन दूर है.
रविवार को बुलाए गए, भविष्य सम्मेलन के नतीजों पर सहमति बनाए जाने की कोशिशें अपने अन्तिम चरण में हैं. इस क्रम में, उन्होंने सदस्य देशों से अपील की है कि समझौते की भावना को दर्शाया जाना होगा.
न्यूयॉर्क में 22-23 सितम्बर को आयोजित होने वाली इस बैठक में शिरकत करने के लिए 130 से अधिक राष्ट्राध्यक्ष व सरकार प्रमुख जुट रहे हैं. यह बैठक, यूएन महासभा की वार्षिक जनरल डिबेट से ठीक पहले बुलाई गई है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि एक कठोर वास्तविकता की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया: जितनी तेज़ी से वैश्विक चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, हम उस रफ़्तार से उनसे निपटने के लिए तैयार नहीं हैं.
चुनौतियों से घिरी दुनिया
यूक्रेन, ग़ाज़ा, सूडान और इनसे इतर हिंसक टकराव, भूराजनैतिक दरारें, जलवायु परिवर्तन, असमानता, कर्ज़, बिना उपयुक्त सुरक्षा उपायों के कृत्रिम बुद्धिमता जैसी नई टैक्नॉलॉजी का विकास.
एक संकट दूसरे को और हवा दे रहा है. जैसेकि डिजिटल टैक्नॉलॉजी से जलवायु सम्बन्धी ग़लत, भ्रामक जानकारी को हवा मिल रही है, जिससे ध्रुवीकरण बढ़ रहा है और आपसी विश्वास में कमी आती है.
वर्तमान “वैश्विक संस्थाएँ और फ़्रेमवर्क इन जटिल और अस्तित्व पर मंडराती इन चुनौतियों के लिए बिलकुल भी उपयुक्त नहीं हैं.”
अतीत में स्थापित संगठन
महासचिव के अनुसार, इन संस्थाओं का जन्म अतीत में हुआ था, एक ऐसे विश्व के लिए जिसका समय बीत चुका है. और इसलिए, नए दौर की मुश्किलों के समाधान के लिए नई दृष्टि व नए तौर-तरीक़ों की आवश्यकता है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि 1940 में शान्तिनिर्माताओं के लिए पिछले आठ दशकों में आए बदलावों का अनुमान लगा पाना कठिन था.
“हमारे संस्थापकों की तरह, हम भी यह नहीं जान सकते हैं कि भविष्य हमारे लिए क्या लाएगा.”
मगर यह स्पष्ट है कि 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए कारगर, आपस में जुड़े हुए और समावेशी तंत्रों की आवश्यकता है.
“वैश्विक संस्थाओं में गम्भीर शक्ति असन्तुलन को ठीक किया जाना होगा और उसमें आवश्यकता अनुरूप बदलाव करने होंगे. बदलाव एक रात में नहीं होगा, मगर इसे आज शुरू किया जा सकता है.”
सुधार के लिए अहम क्षण
यूएन प्रमुख ने बताया कि भविष्य की शिखर बैठक की तैयारियों के सिलसिले में कई अहम मोर्चों पर प्रगति के संकेत नज़र आ रहे हैं.
“एक पीढ़ी में पहली बार, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए ठोस भाषा, और वर्ष 1963 के बाद से अब तक परिषद के विस्तार की दिशा में सबसे मज़बूत क़दम.” साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमता समेत अन्य नई टैक्नॉलॉजी की संचालन व्यवस्था के लिए उपायों का पुलिन्दा, जिनके केन्द्र में संयुक्त राष्ट्र है.
इसके अलावा, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तानेबाने में सुधार और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक स्फूर्ति पैकेज के लिए चर्चा भी आगे बढ़ रही है, जिसमें विकासशील देशों की भूमिका को मज़बूती दी जाएगी.
मगर, उन्होंने सचेत किया कि यदि इन सभी को खो दिया गया, तो बेहद त्रासदीपूर्ण होगा.
इसके मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने सदस्य देशों से ‘भविष्य के लिए वचन-पत्र’ (pact for the future), वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट और भावी पीढ़ियों के लिए घोषणापत्र पर सहमति बनाने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों द्वारा विकसित की गई व्यवस्थाओं के आधार पर हमारे नाती-पोतियों के लिए एक अनूकूल भविष्य तब तक सृजित नहीं किया जा सकता है.