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ग़ाज़ा युद्ध ने लाखों बच्चों को रखा है स्कूली शिक्षा से वंचित

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि ग़ाज़ा में 7 अक्टूबर को युद्ध भड़कने के बाद से लगभग सवा छह लाख बच्चों का स्कूली शिक्षा वर्ष व्यर्थ हो गया है. इस संख्या में छह वर्षीय वो 45 हज़ार बच्चे भी जुड़ गए हैं जो प्रथम कक्षा में दाख़िल होने वाले हैं. उनके लिए भी स्कूली शिक्षा का दूसरा साल व्यर्थ चले जाने का जोखिम बरक़रार है.

भविष्य पर है जोखिम

मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका के लिए यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक अदेल ख़ोद्र ने कहा है कि ग़ाज़ा में बच्चों के घर, परिवार के सदस्य, दोस्त, सुरक्षा, और नियमित दिनचर्या, उनसे छिन गए हैं. “स्कूलों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा-छाँव और शिक्षा भी उनसे छिन गए हैं, जिससे उनके उज्ज्वल भविष्य पर, इस युद्ध की विभीषिका की स्याह छाया फैल जाने का जोखिम उत्पन्न हो गया है.”

युद्ध ने शिक्षा ढाँचे को व्यापक पैमाने पर तबाह किया है. फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA द्वारा संचालित बहुत से स्कूल भी इस युद्ध में तबाह हो गए हैं, या उन्हें व्यापक नुक़सान पहुँचा है.

शैक्षणिक वर्ष पूरा नहीं

यूनीसेफ़ ने बताया है कि ग़ाज़ा पट्टी में, अक्टूबर (2023) में भड़के युद्ध की चपेट में लगभग हर एक स्कूल आ जाने के हालात में, स्कूली शिक्षा का अन्तिम वर्ष पूरा नहीं हो सका, जोकि कई दशकों में पहली बार हुआ है. लगभग 39 हज़ार बच्चे, अपनी स्कूली शिक्षा के अन्तिम वर्ष से वंचित हो गए.

किशोर आयु के छात्रों के लिए शिक्षा में यह बाधा, एक खो गए अवसर से भी कहीं अधिक दूर की बात है.

यूनीसेफ़ का कहना है कि स्कूली शिक्षा के अभाव में, युवजन शोषण का शिकार होने के जोखिम में पहुँच जाते हैं, जहाँ बाल मज़दूरी, कम उम्र में विवाह, और अन्य तरह के दुर्व्यवहार शामिल हैं. इन बच्चों पर, इनसे भी कहीं अधिक, स्कूली शिक्षा से सदैव के लिए वंचित होने का ख़तरे बढ़ जाता है.

छोटी उम्र के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के अभाव का अर्थ है – उनके संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए जोखिम. बच्चों में पहले ही, मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक प्रभावों की ख़बरें हैं, जिनमें बढ़ी हुई हताशा और अलग-थलग रहने का भाव भी शामिल है.

पश्चिमी तट में स्थिति

यूनीसेफ़ के अनुसार, पश्चिमी तट में भी स्कूली शिक्षा का वर्ष शुरू होने पर बच्चे प्रभावित हैं. अक्टूबर (2023) से बढ़ी हिंसा और आवागमन पर लगी पाबन्दियों ने वहाँ रहने वाले लगभग 7 लाख 82 हज़ार बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्ति में नई बाधाएँ खड़ी कर दी हैं.

यूएन बाल एजेंसी ने स्थानीय शिक्षा मंत्रालय और मानवीय साझीदार एजेंसियों के आँकड़ों का हलावा देते हुए बताया है कि पश्चिमी तट में अक्टूबर के बाद से किसी भी दिन, 8 से 20 प्रतिशत स्कूल बन्द रहे हैं.

यहाँ तक कि अगर स्कूल बन्द भी नहीं हैं तो भी हिंसा के भय, आवागमन पर प्रतिबन्धों, और मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं ने, बहुत से बच्चों को, स्कूल नहीं जाने के लिए विवश किया है, जिससे उनका शिक्षा प्राप्ति नुक़सान हुआ है.

शिक्षा फिर से आरम्भ हो

यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठनों ने ग़ाज़ा पट्टी में, इस स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए शिक्षा के 39 अस्थाई ठिकाने बनाए हैं, जिनमें 12 हज़ार 400 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इन शिक्षा ठिकानों में खेलकूद व मनोरंजक गतिविधियाँ, बच्चों व किशोरों के साथ-साथ अभिभावकों और अध्यापकों के लिए मानसिक व मनोवैज्ञानिक समर्थन के साधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं.

अदेले ख़ोद्र का कहना है कि फ़लस्तीन देश में भविष्य की पीढ़ियों के शिक्षा अधिकार को क़ायम रखने के लिए, शिक्षा मुहैया कराने और स्कूलों के पुनर्निर्माण के रास्ते निकाले जाने होंगे.

उन्होंने कहा, “बच्चों को सदमे से बाहर आने के लिए स्थिरता की ज़रूरत है, और अपनी पूर्ण सम्भावनाओं को विकसित करने के लिए एक अवसर की भी आवश्यकता है.”

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