- समुद्री मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में, 2022 में वैश्विक व्यापार 186 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो 2012 में 114 अरब डॉलर से 63 प्रतिशत अधिक है.
- इसी अवधि में इस क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण व्यापार, 19 अरब डॉलर से बढ़कर 39 अरब डॉलर, यानि दोगुना हो गया.
- इस क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में मछली पकड़े जाने, जलवायु परिवर्तन व व्यापार बाधाओं जैसी चुनौतियाँ भी बरक़रार हैं.
समुद्री मत्स्य पालन और जलीय कृषि में वैश्विक व्यापार, प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाते हुए स्थाई एवं समावेशी आर्थिक विकास के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है – ख़ासतौर पर इसमें, खाद्य सुरक्षा में सुधार व भुखमरी को ख़त्म करना (एसडीजी 2) और जलीय जीवन की रक्षा करना (एसडीजी 14) शामिल है.
2022 में इस क्षेत्र में, मछली, क्रस्टेशियंस, मोलस्क, समुद्री शैवाल व अन्य मूल्यवर्धित जलीय उप-उत्पादों का वैश्विक निर्यात 186 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो 2012 के 114 अरब डॉलर से 63% अधिक है.
ख़ासतौर पर, समुद्री मत्स्य पालन, जलीय कृषि, मछली प्रसंस्करण और मछली पकड़ने के जहाज़ों जैसे विभिन्न मत्स्य पालन क्षेत्रों में, विकासशील देशों के बीच दक्षिण-दक्षिण व्यापार बढ़ गया है.
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास संगठन (UNCTAD) के नए विश्लेषण के अनुसार, यह व्यापार 2012 में लगभग 19 अरब डॉलर से दोगुना से ज़्यादा बढ़कर, 2022 में 39 अरब डॉलर हो गया.
विकासशील देशों में, चिली, चीन, इक्वाडोर, भारत, पेरू, थाईलैंड और वियतनाम सबसे बड़े निर्यातक हैं. 2022 में, इनका वैश्विक समुद्री खाद्य निर्यात में 46 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2012 के 42 प्रतिशत से वृद्धि दर्शाता है.
UNCTAD में महासागर और चक्रीय अर्थव्यवस्था विभाग के प्रभारी, डेविड विवास यूगुई कहते हैं, “यह समुद्री भोजन निर्यात को आकर्षक बनाने में विकासशील देशों की सफलता उजागर करता है.”
दक्षिण-दक्षिण व्यापार का नया युग
पारम्परिक रूप से विकासशील देश मुख्य रूप से उन्नत बाज़ारों को निर्यात करते हैं. ऐसे में, मत्स्य पालन व जलीय कृषि के क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण व्यापार में यह वृद्धि, पारम्परिक रूझानों के विपरीत है. डेविड विवास यूगुई कहते हैं, “यह बदलाव एक नए युग का प्रतीक है जहाँ विकासशील देश एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक व्यापार कर रहे हैं.”
“दक्षिण-दक्षिण व्यापार के ज़रिए, विकासशील देशों को स्थानीय स्तर पर अधिक आर्थिक लाभ बनाए रखने, रोज़गार उत्पन्न करने और खाद्य एवं गैर-खाद्य समुद्री उत्पादों में नवाचार को बढ़ावा देने की सहूलियत मिलती है.”
इससे खाद्य सुरक्षा स्थिति में भी सुधार होता है और ख़ासतौर पर तटीय आबादी के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों तक पहुँच बढ़ती है.
विकासशील देश, एक-दूसरे के साथ अधिक व्यापार करके, निर्यात से पहले गुणवत्ता या प्रसंस्करण में वृद्धि करके, अपने उत्पादों का मूल्यवर्धन कर सकते हैं. डेविड विवास यूगुई का कहना है कि इससे न केवल स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलता है बल्कि उन्नत बाज़ारों समेत सभी अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर प्रतिस्पर्धा करने की उनकी क्षमता भी मज़बूत होती है.
प्रतिस्पर्धात्मक लाभ
UNCTAD का तुलनात्मक लाभ विश्लेषण, किसी देश के वैश्विक व्यापार के सापेक्ष, उसके निर्यात प्रदर्शन को मापता है. इससे स्पष्ट होता है कि कई विकासशील देशों को विभिन्न समुद्री प्रजातियों और उप-उत्पादों में तुलनात्मक बढ़त हासिल है. इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- मोज़ाम्बीक, रॉक लॉबस्टर और अन्य समुद्री क्रॉफिश के निर्यात में आगे है.
- अर्जेंटीना, जमे हुए हेक के लिए मशहूर है, जो अपनी दृढ़ बनावट और हल्के स्वाद के लिए विश्व स्तर पर बेशक़ीमती माना जाता है.
- समृद्ध समुद्री जैव विविधता और टिकाऊ मछली पकड़ने की प्रथाओं से लाभान्वित होकर मोरक्को, प्रसंस्कृत सार्डीन के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट है.•
- पेरू, हम्बोल्ट धारा के प्रचुर, पोषक तत्वों से भरपूर मछली भंडार का दोहन करते हुए, तैयार या संरक्षित एंकोवीज़ के निर्यात में आगे है.
इन फ़ायदों की वजह से, यह देश विशिष्ट बाज़ारों में पूँजी लगाने, आर्थिक विकास को बढ़ावा और निर्यात में विविधता को प्रोत्साहन देते रहे हैं.
इसके अलावा, मत्स्य पालन और जलीय कृषि, रचनात्मक अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं, कई विकासशील देशों में रसोइये, स्थानीय प्रजातियों एवं समृद्ध, जैव विविध स्वादों के व्यंजन बनाकर, अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करते हैं.
अनेक चुनौतियाँ
आशाजनक विकास के बावजूद, समुद्री मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अत्यधिक मछली पकड़ा जाना, हानिकारक सब्सिडी और जलवायु परिवर्तन से अनगिनत ख़तरे उत्पन्न होते हैं.
जिन मछलियों को अत्यधिक मात्रा में पकड़ा जा रहा है, 1974 के बाद से उनका स्तर तीन गुना हो चुका है. एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में, दुनिया में कुल मत्स्य भंडार की एक तिहाई से अधिक मात्रा को आवश्यकता से अधिक स्तर पर पकड़ा जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन से ये समस्याएँ और भी बढ़ रही हैं, समुद्री तापमान व पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है, जिससे पर्यावरण तथा इन संसाधनों पर निर्भर आजीविकाएँ ख़तरे में हैं.
व्यापार बाधाएँ, ख़ासतौर पर ग़ैर-सीमा शुल्क उपाय (Non-tariff measures) भी विकास में बाधा डालते हैं. ये अवरोध आमतौर पर ऐसे नियम हैं, जिनका उपयोग देश अपने बाज़ारों में प्रवेश करने वाले उत्पादों की मात्रा व प्रकार को नियंत्रित करने के लिए करते हैं.
इनमें खाद्य सुरक्षा और आवश्यक गुणवत्ता मानक भी शामिल हैं, जो निर्यातकों को महँगे पड़ सकते हैं.
विकासशील देशों के बीच व्यापार प्राथमिकताओं की वैश्विक प्रणाली (GSTP), विकासशील देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने का एक ऐसा समझौता है जिसके तहत सीमा-शुल्क व अन्य व्यापार बाधाओं से बचने के लिए प्राथमिकता देने का प्रावधान है. GSTP प्रणाली में अफ़्रीका, एशिया व लातिन अमेरिका में 42 देश सदस्य हैं, जिनकी कुल आबादी चार अरब है.
UNCTAD, दक्षिण-दक्षिण व्यापार एवं सहयोग पर इस अहम समझौते के लिए, सचिवालय के रूप में कार्य करता है.
GSTP के ज़रिये ग़ैर सीमा-शुल्क उपायों में एकरूपता लाने और व्यापार बाधाओं को दूर करने से, विकासशील देशों के लिए क्षेत्रीय एवं वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच आसान हो सकती है. इससे उन्हें वैश्विक वैल्यू चेन में एकीकृत होने और अन्तरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए अपने व्यवसायों को तैयार करने में मदद मिलेगी.
UNCTAD ने कई क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण व्यापार में भावी सम्भावनाओं को खोलने के लिए GSTP को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा में सुधार करने तथा सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने में मदद मिल सकती है.