यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने गुरूवार, 29 अगस्त को, ‘परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर यह बात कही है.
“हाल के दिनों में परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू किए जाने के स्वर उठे हैं, और ये दर्शाता है कि अतीत के भयावह सबक़ को भुला दिया गया है – या उसकी उपेक्षा की जा रही है.”
इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस को यूएन महासभा ने वर्ष 2009 में सर्वमत से एक प्रस्ताव पारित करके स्थापित किया था, और तभी से हर वर्ष 29 अगस्त को यह दिवस आयोजित किया जाता है.
इसी दिन 1991 में सेमीपलटइन्स्क परमाणु हथियार परीक्षण स्थल को आधिकारिक रूप से बन्द कर दिया गया था, जोकि अब कज़ाख़्स्तान का हिस्सा है.
केवल इसी एक स्थल पर 1949 से 1989 के दौरान 456 परमाणु परीक्षण विस्फोट किए गए थे.
परमाणु प्रसार का युग
शीत युद्ध की छाया में, दुनिया ने परमाणु प्रसार व परीक्षणों के एक अभूतपूर्व युग को देखा. वर्ष 1954 से 1984 के दौरान, विश्व भर में हर सप्ताह कहीं ना कहीं कम से कम एक परमाणु हथियार का परीक्षण किया गया.
इनमें से अधिकाँश विस्फोटों की क्षमता, जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराए गए परमाणु बम से भी अधिक थी.
इसके साथ ही, परमाणु हथियारों के जखीरे में व्यापक वृद्धि हुई, और इनमें से अधिकाँश परमाणु बम, हिरोशिमा व नागासाकी शहरों पर गिराए गए बमों से भी शक्तिशाली थे.
यूएन महासचिव ने अपने सन्देश में सचेत किया कि परमाणु शस्त्रों का यह प्रसार अपने पीछे विध्वंस की एक विरासत छोड़ गया है. इससे आम नागरिकों के जीवन व आजीविका में व्यवधान आया है, रेडियो विकिरण के कारण पर्यावरण पर असर हुआ है, जिससे महासागर की गहराइयाँ भी अछूती नहीं हैं.
एक स्वर में पुकार
महासचिव गुटेरेश ने परमाणु परीक्षणों की इस प्रथा को सदैव के लिए समाप्त करने के इरादे से एक स्वर में अपनी आवाज़ उठाने का आग्रह किया है.
उन्होंने व्यापक परमाणु-परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि को एक बेहद ज़रूरी उपाय क़रार दिया है जिसके ज़रिये सभी परमाणु परीक्षण पर पूर्ण रूप से पाबन्दी है, और जिसका सत्यापन भी किया जा सकता है.
यूएन प्रमुख ने इस सन्धि पर मुहर ना लगाने वाले सभी देशों से अपील की है कि उन्हें जल्द से जल्द बिना किसी शर्त के इसमें शामिल होना होगा, ताकि इस सन्धि को लागू किया जा सके.
“आइए, मानवता के लिए इस परीक्षण में उत्तीर्ण हों, और परमाणु परीक्षण पर हमेशा के लिए प्रतिबन्ध लगाएं.”