संयुक्त राष्ट्र के नस्लेभेद उन्मूलन मामलों पर कमेटी (CERD) ने ब्रिटेन में विभिन्न मंचों पर लगातार नफ़रत अपराधों, हेट स्पीट और ख़ुद से अन्य लोगों के लिए नफ़रत से भरी घटनाओं के बारे में गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है. इस तरह की गतिविधियों में, राजनेता व सार्वजनिक हस्तियाँ भी संलिप्त हैं.
समिति ने कहा है कि श्वेत वर्चस्ववादियों और धुर दक्षिणपंथी तत्वों और समूहों द्वारा बार-बार नस्लवादी गतिविधियों और हिंसा को अंजाम दिया जाना चिन्ताजनक है, जिनमें नस्लीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों, आप्रवासियों, शरणार्थियों और पनाह मांगने वालों को निशाना बनाया जाना भी शामिल है.
साउथपोर्ट चाकूबाज़ी का हमला
समिति के अनुसार इन घटनाओं में जुलाई के अन्त में और अगस्त के आरम्भ में हिंसक कृत्य भी शामिल हैं, जब साउथपोर्ट में चाकूबाज़ी की एक घटना के बाद पूरे ब्रिटेन में दंगे भड़क उठे थे. उस घटना में एक हमलावर ने तीन किशोरियों की हत्या कर दी थी और उस हमले में 10 अन्य लोग घायल हुए थे.
वो दंगे भड़कने या भड़काने में, हमलावर के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाई गई झूठी या ग़लत जानकारी का मुख्य हाथ था.
यूएन मानवाधिकार कमेटी ने ब्रितानी अधिकारियों से कार्रवाई की पुकार लगाते हुए, नस्लभेदी पेट स्पीच और ख़ुद से भिन्न लोगों के लिए घृणास्पद नारेबाज़ी पर क़ाबू पाने के लिए अति व्यापक उपाय करने का भी आग्रह किया है.
समिति के सदस्यों ने व्यापक जाँच कराए जाने और नस्लभेदी हेट अपराधों के लिए कड़ा दंड निर्धारित करने के साथ-साथ, पीड़ितों और उनके परिवारों को असरदार न्यायिक उपचार मुहैया कराने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया है.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, ब्रिटेन के न्यायालयों ने, उन दंगों और अशान्ति में हिस्सा लेने वाले तत्वों को दंडित करने के लिए त्वरित निर्णय सुनाए हैं. इनमें वो तत्व भी शामिल हैं जिन्होंने ऑनलाइन सन्देशों में नफ़रत और अशान्ति को भड़काया था.
नस्लीय अल्पसंख्यक पुलिस का निशाना
कमेटी ने पुलिस द्वारा किसी को भी, कहीं भी और किसी भी समय रोककर तलाशी लेने के अभियान के ग़ैर-आनुपातिक प्रभाव के बारे में भी चिन्ता व्यक्त की है, जिसमें नस्लीय अल्पसंख्यकों की कुछ हद तक निर्वस्त्र तलाशी लिया जाना भी शामिल है. इस तलाशी अभियान का निशाना बच्चे भी बने हैं.
कमेटी ने पुलिस जैसी क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा अत्यधिक और घातक बल प्रयोग किए जाने, जवाबदेही की अनुपस्थिति, और पीड़ितों के परिवारों को समुचित समर्थन के अभाव के बारे में भी चेतावनी जारी की है. इन सब मुद्दों ने अफ़्रीकी मूल और अन्य नस्लीय अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया है.
पुलिस और आपराधिक न्याय प्रणाली में संस्थागत नस्लभेद के इर्दगिर्द भी चिन्ताएँ उठाई गई हैं.
नस्लीय ‘प्रोफ़ाइलिंग’ की जाँच हो
यूएन मानवाधिकार कमेटी ने, ब्रिटेन से लोगों की नस्लीय पहचान के आधार पर उनका रिकॉर्ड रखे जाने, उस पहचान के आधार पर ही उन्हें कहीं भी, किसी भी समय रोककर तलाशी लिए जाने, निर्वस्त तलाशी और पुलिस द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग किए जाने के आरोपों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र शिकायत व्यवस्था स्थापित किए जाने का भी आग्रह किया है.
साथ ही, ऐसे कृत्यों को अंजाम देने वालों पर क़ानूनी कार्रवाई करके, उन्हें दंडित किया जाए, पीड़ितों और उनके परिजन को असरदार न्यायिक उपचार भी उपलब्ध हों.
समिति ने कहा है कि इन सबके साथ-साथ पुलिस और आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर मौजूद नस्लीय भेदभाव को ख़त्म करने के लिए निर्णायक कार्रवाई भी की जाए.
कमेटी के बारे में
इस मानवाधिकार कमेटी ने ब्रिटेन में नस्लभेद के मुद्दे की चार साल तक जाँच-पड़ताल करके यह रिपोर्ट तैयार की है.
कमेटी ने साथ ही, ईरान, इराक़, पाकिस्तान और वेनेज़ुएला सहित सात अन्य देशों पर भी रिपोर्ट प्रकाशित की है.
इस कमेटी के 18 अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार समिति ने की थी. ये विशेषज्ञ यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं, वो अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं और उनके इस कार्य के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है.