नवजात शिशुओं के तस्करों से निपटने के लिए लाए गए नए क़ानून में, अपहरण, अवैध तरीक़े से आज़ादी का हनन, मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति आदि अपराधों के लिए आपराधिक मुक़दमा चलाने का प्रावधान है.
प्रतिवर्ष 30 जुलाई को मनाए जाने वाले विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस से ठीक पहले पास किया गया यह क़ानून, एक गम्भीर वास्तविकता उजागर करता है.
कज़ाख़स्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, साल 2023 में, देश में नवजात शिशुओं की तस्करी के 19 मामले दर्ज किए गए थे, जिसके लिए 15 लोगों को न्याय कटघरे में पहुँचाया गया.
2024 में अब तक, नवजात शिशुओं की तस्करी से सम्बन्धित 6 मामले दर्ज किए गए हैं, और मंत्रालय का कहना है कि इसमें से हर एक बच्चे की क़ीमत 200 से 4500 डॉलर के बीच लगाई गई थी.
समस्या का वास्तविक स्वरूप
संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) विनरॉक इंटरनेशनल में कज़ाख़स्तान की बाल तस्करी से निपटने में कार्रवाई परियोजना की प्रमुख गुलनाज़ केलेकेयेवा ने बताया कि यह केवल वो परिदृश्य है जो सतह पर नज़र आता है.
गुलनाज़ केलेकेयेवा ने कहा कि उनका मानना है कि आधिकारिक आँकड़ें, मामलों की असल तस्वीर पेश नहीं करते.
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया, “दुर्भाग्यवश कज़ाख़स्तान में सामाजिक रूप से कमज़ोर बच्चों व उनकी तस्करी व शोषण के प्रति संवेदनशीलता पर कोई राष्ट्रीय शोध उपलब्ध नहीं है. न ही, इस समस्या के वास्तविक विस्तार का विश्लेषण करने के लिए कोई ठोस आँकड़े ही मौजूद हैं.”
देश और विदेश में मानव तस्करी के शिकार बच्चों व यौन शोषण पर केवल एक अध्ययन उपलब्ध है, वो भी 2012 में कज़ाख़स्तान स्थित संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने किया था.
तस्करी के ऑनलाइन तरीक़े
गुलनाज़ केलेकेयेवा का कहना है कि तब से हालात बदल चुके हैं और अब, बाल तस्करी ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिए की जाने लगी है.
उन्होंने कहा, “पिछले 12 सालों में बहुत कुछ बदल चुका है, ख़ासतौर पर अब ज़्यादा से ज़्यादा मानव व बाल तस्करी, साइबर स्पेस में होने लगी है. ऐसे में, देश में बच्चों को तस्करी व शोषण से बचाने हेतु वर्तमान हालात का जायज़ा लेने के लिए नए विश्लेषण की ज़रूरत है.”
उन्होंने बल देते हुए कहा कि फ़िलहाल बाल तस्करी पर मीडिया के ज़रिए ही इक्का-दुक्का ख़बरें सामने आ पाती हैं.
पिछले पतझड़ के मौसम में, मीडिया ख़बरों में कज़ाख़स्तान के एक प्रसूति अस्पताल में त्यागे गए एक बच्चे को, प्रसूति विशेषज्ञों द्वारा बेचने का मामला सामने आया था. इस मामले में डॉक्टरों को नवजात शिशु को 3,000 डॉलर में बेचने का दोषी पाया गया और आठ साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई.
एक अन्य मामले में एक 23 वर्षीय माँ ने अपने दो बच्चों को बेचने की कोशिश की थी. इसमें से बड़ा बच्चा एक साल का था, और छोटा मात्र एक महीने का. दोनों बच्चे अब सरकार के संरक्षण में हैं.
बच्चों की सुरक्षा
गुलनाज़ केलेकेयेवा ने कहा, दुर्भाग्यवश जिन लोगों पर बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी होती है, उन्हें ज़्यादातर बाल तस्करी को रोकने व उससे निपटने को लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं होती.
इसमें कज़ाख़स्तान के स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्राधिकरण, प्रसूति अस्पताल एवं स्कूल, बच्चों के परिवार, संरक्षकता तथा ट्रस्टीशिप संस्थान, नर्सें और बाल रोग विशेषज्ञ, आपातकालीन वार्ड व निजी चिकित्सा केंद्र शामिल हैं.
उन्होंने कहा, “अधिकतर उन्हें यही लगता है कि यह काम क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों का है. जबकि इस मुद्दे पर ख़ासतौर पर सभी सम्बद्ध सेवाओं के बीच तालमेल होना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि बाल तस्करी केवल बच्चों को गोद लेने के लिए नहीं, बल्कि उनके यौन शोषण, जबरन मज़दूरी करवाने व अंगों को बेचने के लिए भी की जाती है.
डिजिटल औज़ारों की मदद
कज़ाख़स्तान के नए क़ानून में मानव तस्करी के ख़िलाफ़ सख़्त दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें स्वास्थ्य कर्मियों को, छोड़े गए नवजात शिशुओं की जानकारी देने की प्रशासनिक ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, और ऐसे मामलों की पहचान के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों की मदद ली जा रही है.
वर्ष 2023 से, कज़ाख़स्तान की राजधानी अस्ताना के एक प्रसूति अस्पताल में एक पायलट परियोजना का परीक्षण किया जा रहा है.
इस साल यह परियोजना पूरे देश में शुरू की जा रही है.
क़ानूनी समर्थन
तस्करी विरोधी नया क़ानून बनाने के कार्य में हिस्सा लेने वाले संसद सदस्य सर्गेई पोनोमारेव ने कहा कि आज के समय की कृत्रिम गर्भाधान की सम्भावनाओं जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, नवजात शिशुओं की तस्करी की रोकथाम के लिए क़ानून विकसित करने के रास्ते में कठिनाइयाँ पैदा कर रही हैं.
उन्होंने बताया कि अब ऐसे मामले भी हैं जहाँ ख़ासतौर पर कज़ाख़स्तान के दक्षिणी इलाक़ों की महिलाओं को अन्य लोगों के बच्चों को जन्म देने के लिए इन्कयूबेटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
उन्होंने कहा कि माता-पिता के अधिकारों के निर्धारण के लिए बच्चे का डीएनए उस व्यक्ति के साथ लिया जाता है जो दूसरे देश का नागरिक है. उन्होंने कहा, रिश्ता निर्धारित होने पर, जैविक पिता को अपने बच्चे को विदेश ले जाने का पूरा अधिकार होता है.
उन्होंने कहा, “इस मामले में, हम दूसरे देशों के अनुभवों का अध्ययन करने के लिए तैयार हैं.”
विदेश में बेचे हुए एक युवक की दास्तान
21 वर्षीय एडी ज़ौ (जन्म नाम ज़ानीबेक) को जन्म के बाद बेल्ज़ियम की एक अकेली माँ ने गोद ले लिया था, जिसने कथित तौर पर इसके लिए 12 हज़ार यूरो चुकाए थे. एडी ज़ौ वर्ष 2022 में जन्म देने वाली अपनी माँ की तलाश में कज़ाख़स्तान आए.
उस समय एडी ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित एक लोकप्रिय टॉक शो में कहा था. “मुझे कुछ भी नहीं चाहिए; मैं बस अपनी माँ का चेहरा देखना चाहता हूँ, उन्हें कम से कम एक बार गले लगाना चाहता हूँ, जिससे मेरे दिल को शान्ति मिल सके. मुझे आज भी अपनी माँ के बारे में बात करते हुए बहुत चिन्ता होती है.”
मशहूर पत्रकार किम्बत दोसज़ान ने यूएन न्यूज़ को बताया कि वह एडी की कहानी से इतनी प्रभावित हुईं कि उनकी जैविक माँ की तलाश के लिए कज़ाख़स्तान में उनकी आधिकारिक प्रतिनिधि बन गईं.
उन्होंने बताया कि एडी की जैविक माँ, 2002 में रसीद के साथ प्रसूति अस्पताल छोड़ गई थीं, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटीं. उन्होंने बताया कि उन वर्षों में, जब सोवियत संघ के पतन के बाद देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही थी, कज़ाख़स्तान के बहुत से बच्चों को विदेशी जन गोद लेकर, अपने साथ विदेश ले गए थे.
कज़ाख़स्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने बताया कि तस्करी किए गए नवजात शिशु के लिए, विदेशी लोग 50 हज़ार डॉलर तक का भुगतान करने को तैयार रहते हैं.
किम्बत दोसज़ान ने बताया, “एडी की जैविक माँ को ढूँढना अब भी बहुत मुश्किल है.”
उन्होंने कहा कि अनाथालय से अभिलेखीय दस्तावेज़ या तो ग़ायब हो गए हैं या उनमें दी गई जानकारी सही नहीं है. “शायद यह जानबूझकर किया गया था. एडी की कथित माताओं के साथ दो बैठकें हुईं, लेकिन डीएनए के परिणाम रिश्ते की पुष्टि नहीं कर सके. जब हमने बेल्जियम में उनकी दत्तक माँ से सम्पर्क किया, तब पता चला कि उन्होंने अनाथालय के कर्मचारियों को €12,000 का भुगतान किया था.”
अब कज़ाख़स्तान में, बच्चों को गोद लेने के मुद्दों को क़ानून के दायरे में लाया जा रहा है. किसी अपराध का पता चलने पर, ख़ासतौर पर किसी नाबालिग़ की ख़रीद और बिक्री या अन्य लेनदेन के मामले, आपराधिक संहिता के नाबालिग़ों की तस्करी पर अनुच्छेद 135 के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
किम्बत दोसज़ान का कहना है, “एडी की जन्म माँ की खोज अब भी जारी है.”
उन्होंने कहा, “हमारे सामने दावा पेश करने के लिए भी कोई नहीं है. उस ज़माने में जो लोग शिशुओं की तस्करी करते थे, वो बहुत पहले ही कज़ाख़स्तान छोड़कर जा चुके हैं.”