संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने, सीमा नियंत्रण अधिकारियों से, इन शरणार्थियों और प्रवासियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए अधिक कार्रवाई करने की एक अपील जारी की है.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी – UNHCR, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन – IOM, और मिश्रित प्रवासन केन्द्र (MMC) ने, प्रवासन यात्राओं पर निकले इन लोगों के ख़तरनाक ज़मीनी रास्तों पर दरपेश मुश्किलों को उजागर किया है, जिन्हें अक्सर मीडिया में जगह नहीं मिलती है.
रास्तों पर शोषण
UNHCR के पश्चिमी और केन्द्रीय भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लिए विशेष दूत विन्सेंट कोशेटेल का कहना है, “प्रवासियों और शरणार्थी जन का दर्जा चाहे कुछ भी हो, उन्हें रास्तों पर मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन और शोषण का सामना करना पड़ता है… हम हिंसा के इस स्तर पर, क्रोधित होने की अपनी क्षमता को कम नहीं कर सकते.”
“इस यात्रा पर किसी को फ़िक्र नहीं कि आप जीवित हैं या मृत” नामक इस रिपोर्ट में तीन वर्ष के आँकड़े एकत्र किए गए हैं. रिपोर्ट में इन ख़तरनाक यात्राओं की कोशिश करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी के बारे में आगाह किया गया है.
भूमध्यसागर क्षेत्र के लिए IOM के समन्वय कार्यालय की निदेशक लॉरेंस हार्ट का कहना है कि अब भी बहुत बड़ी संख्या में लोग, इन बहुत ख़तरनाक यात्राओं का जोखिम उठाते हैं.
स्वभाविक बात है कि बहुत से लोग इन ख़तरनाक यात्राओं पर नहीं जाना चाहते… मगर उन्हें अपने स्थानों पर राजनैतिक टकरावों और अस्थिरता के कारण, इन ख़तरनाक यात्राओं के लिए मजबूर होना पड़ता है.
विवशताएँ
बहुत से लोगों जिन विवशताओं के कारण, इन ख़तरनाक यात्राओं पर निकलते हैं, उनमें उन लोगों के मूल व मेज़बान स्थानों पर ख़राब स्थितियाँ, जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के प्रभाव, नस्लभेद और शरणार्थियों व प्रवासियों के लिए नफ़रत की स्थितियाँ शामिल हैं.
रिपोर्ट मे कहा गया है कि केन्द्रीय भूमध्यसागरीय रास्ते पर सुरक्षा और सहायता के दरम्यान बहुत भारी अन्तर मौजूद है, जिसके कारण शरणार्थियों और प्रवासियों को इन ख़तरनाक यात्राओं पर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
मिश्रित प्रवासन केन्द्र (MMC) के निदेशक ब्रैम फ़्रौव्स का कहना है, “पिछले सप्ताह ही, हमने सुना कि इस वर्ष के पहले पाँच महीनों के दौरान, कैनरी द्वीप की तरफ़ जाने वाले अटलांटिक मार्ग पर 5 हज़ार लोगों की मौत हो गई.”
उन्होंने कहा कि वैसे तो इस बारे में पूरी तरह से ठोस आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, मगर जानकारी के अनुसार यह संख्या बहुत कम है और अनुमानों के अनुसार, ज़मीनी रास्तों पर कहीं अधिक संख्या में लोगों की मौत होती है, समुद्री रास्तों से भी कहीं अधिक.
अपर्याप्त प्रयास
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इन शरणार्थियों और प्रवासियों के जीवन बचाने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प के बावजूद, इन लोगों के शोषण व ख़तरों के लिए ज़म्मेदार तत्वों को जवाबदेह ठहराने के मौजूदा प्रयास, नाकाफ़ी हैं.
MMC के निदेशक ब्रैम फ़्रौव्स ने कहा कि आपराधिक गुट और तस्कर, अक्सर भयानक शोषण के लिए ज़िम्मेदार हैं, मगर सरकारी अधिकारी – पुलिस, सेना और सीमा सुरक्षा गार्ड – की भी भूमिका रही है.
उन्होंने कहा, “लेकिन वो जो कोई भी हों, उनकी कोई भी श्रेणी हो, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना ही होगा. मगर इस समय ये सब कुछ एक पूर्ण दंडमुक्ति जैसी स्थिति में हो रहा है.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि शोषण में, उत्पीड़न, शारीरिक हिंसा, मनमाने तरीक़े से बन्दीकरण, मृत्यु, फ़िरौती के लिए अपहरण, यौन हिंसा और शोषण, दासिता, मानव तस्करी, जबरन मज़बूती, शरीर के अंगों को निकाला जाना, लूटपाट, सामूहिक बहिष्करण और उन स्थानों को वापिस भेजा जाना शामिल है जहाँ उनकी सुरक्षा, मानवाधिकारों और जान के लिए ख़तरा हो.