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यमन तट के निकट नाव हादसे में 180 प्रवासी जन, मौत के शिकार या लापता

यमन तट के निकट नाव हादसे में 180 प्रवासी जन, मौत के शिकार या लापता

संगठन ने बताया है कि यह नाव सोमालिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र बोस्साओ से, रविवार तड़के, यमन के लिए रवाना हुई थी और उसमें लगभग 260 लोग सवार थे. यह सफ़र लगभग 205 मील लम्बा था.

प्रवासन संगठन (IOM) के प्रवक्ता मोहम्मद अली अबूनजेला ने मंगलवार को एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है, “ये हादसा एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि हम सभी को, प्रवासन सम्बन्धी चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा और प्रवासी रास्तों पर, तमाम प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.”

उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ शोक संवेदना व्यक्त करते हैं और हम जीवित बचे लोगों को समर्थन मुहैया कराने और क्षेत्र में बचाव व राहत प्रयासों को बेहतर बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं.”

उन्होंने बताया कि अनेक तरह की चुनौतियों के बावजूद, तलाशी और बचाव प्रयास जारी हैं, अलबत्ता जारी युद्ध के कारण स्थिति कुछ जटिल है.

IOM का समर्थन

प्रवासन संगठन ने बताया है कि बच्चों सहित, 71 लोगों को बचा लिया गया है, जिन्हें सहायता मुहैया कराई जा रही है.

प्रवासन एजेंसी ने तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए सचल चिकित्सा टीमों को सक्रिय किया है, और उसके मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन मुहैया करा रहे हैं.

नावों का बार-बार डूबना

ये नाव दुर्घटना जिबूती तट के निकट, उसी रास्ते पर हुई है जहाँ कुछ ही समय पहले दो अलग-अलग नौका दुर्घटनाओं में, कम से कम 62 लोगों की मौत हो गई थी.

हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका से यमन के लिए निकलने वाले प्रवासियों की संख्या में हाल के समय में तेज़ उछाल देखा गया है, जो राजनैतिक व आर्थिक अस्थिरता के कारण हो रहा है. उसके अलावा इथियोपिया और सोमालिया में, गम्भीर सूखा और चरम मौसम की कुछ अन्य घटनाएँ, इस उछाल के लिए ज़िम्मेदार हैं.

यमन में जारी टकराव के बावजूद, हज़ारों प्रवासी इस उम्मीद के साथ यमन के रास्ते से, सऊदी अरब और अन्य पड़ोसी देशों में पहुँचने की उम्मीद के साथ यात्रा पर निकलते हैं, जो अक्सर ख़तरनाक सफ़र बन जाता है.

इनमें से अधिकतर प्रवासी ऐसे होते हैं जो अनियमित या तस्करों के बताए हुए रास्ते पर जाते हैं, जो उन्हें अधिक ख़तरे में डालते हैं.

प्रवासन संगठन ने वर्ष 2014 से इस रास्ते पर 1,860 प्रवासियों की मौतें और उनके लापता होने के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 480 लोगों की मौतें, उनकी नावें डूब जाने से हुईं.

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