नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट हमेशा से हॉट सीटों में से एक रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां से हमेशा गांधी परिवार ही चुनाव लड़ता रहा है और यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। 2014 और 2019 में राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच चुनावी समर में अमेठी केंद्र बिंदु बन गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जीत हासिल की लेकिन अंतर कम था और अगले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर सभी को चौंका दिया। हालांकि यह पहली बार नहीं था जब अमेठी में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। पहले भी अमेठी के लोगों ने दो बहुत महत्वपूर्ण मुकाबले देखे। साल 1984 और 1989 में गांधी बनाम गांधी का मुकाबला देखने को मिला था।
मेनका गांधी ने राजीव गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव
साल 1984 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वह राजीव गांधी से 3 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से हार गईं। मेनका गांधी अभी बीजेपी में हैं और अमेठी से सटे सुल्तानपुर की सांसद हैं। बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें सुल्तानपुर से टिकट दिया है।
महात्मा गांधी के पोते ने लड़ा था राजीव गांधी के खिलाफ
एक और गांधी बनाम गांधी चुनावी लड़ाई 1989 में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के वंशजों के बीच हुई थी। 1989 के लोकसभा चुनाव में अमेठी के लोग दुविधा में थे क्योंकि उन्हें ‘असली गांधी’ के बीच एक प्रतिनिधि चुनना था। चुनावी लड़ाई बराबरी की नहीं थी क्योंकि एक तरफ विशाल जन समर्थन वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और दूसरी तरफ एक सज्जन गांधीवादी थे। जनता दल के उम्मीदवार राजमोहन गांधी को उनकी पार्टी और संजय सिंह के समर्थकों और अमेठी के विधानसभा उम्मीदवार का समर्थन प्राप्त था। फिर भी वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता राजीव गांधी की लोकप्रियता को मात देने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
राजमोहन गांधी को मिली थी करारी हार
1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी ने 2,71,407 वोट (67.43 प्रतिशत वोट) पाकर राजमोहन गांधी को हरा दिया। वहीं महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी को महज 69,269 वोट (17.21 फीसदी वोट) हासिल हुए। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता कांशीराम भी चुनावी मैदान में थे और 25,400 वोट (6.31 प्रतिशत वोट) के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
इस दौरान अमेठी लोकसभा क्षेत्र में चुनावी हिंसा की कुछ घटनाएं देखी गईं, जिसके कारण चुनाव आयोग को 18 प्रतिशत वोटों को अवैध घोषित करना पड़ा और 97 बूथों पर पुनर्मतदान का आदेश देना पड़ा था।