भारतीय अधिकारियों (Indian officials) ने उस इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार पाकिस्तानी आतंकवादियों की टारगेटेड किलिंग (Targeted Killings Of Terrorists in Pakistan) कर रहा है। दरअसल, ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने दावा किया है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान में आतंकियों की हत्या करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति बनाई है और उसी रणनीति के हिस्से के रूप में पाकिस्तान में एक गुप्त ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
खुफिया अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2020 से अब तक 20 हत्याएं की गई हैं। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण बताया है। घटनाक्रम से परिचित अधिकारियों ने CNN-न्यूज18 को बताया कि द गार्जियन का लेख “झूठा और मनगढ़ंत” है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने पाकिस्तान की कुख्यात जासूसी एजेंसी पर हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भारत कहता है कि “हम आतंकवादियों को उनके घर में घुसकर खत्म करेंगे”, तो इसका मतलब केवल सीमा क्षेत्र में तनाव और वहां मौजूद आतंकवादियों को खत्म करना है जो भारत की संप्रभुता के लिए खतरा हैं। भारत सरकार ने अखबार के दावों का खंडन करते हुए कहा कि भारत कभी टारगेटेड किलिंग नहीं करता है।
अखबार का सनसनीखेज दावा?
द गार्जियन ने अज्ञात खुफिया अधिकारियों का हवाला देते हुए 2020 के बाद से लगभग 20 हत्याओं का उल्लेख किया है जिन्हें पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा अंजाम दिया गया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में हत्याओं में काफी वृद्धि हुई। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने द गार्जियन को बताया, “पाकिस्तान में हत्याएं आयोजित करने वाले भारतीय एजेंटों की यह नीति रातोरात विकसित नहीं हुई है। हमारा मानना है कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में इन स्लीपर सेल को स्थापित करने के लिए लगभग दो वर्षों तक काम किया है जो ज्यादातर फांसी की सजा का आयोजन कर रहे हैं। उसके बाद, हमने कई हत्याएं देखना शुरू कर दिया।”
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने संयुक्त अरब अमीरात में एक स्लीपर सेल विकसित किया और वहीं से हत्याओं की साजिश रची। आर्टिकल में कहा गया है कि हत्याओं को अंजाम देने के लिए भारतीय अधिकारियों ने गरीब पाकिस्तानियों को बड़ी मात्रा में पैसे दिए और कई मौकों पर जिहादियों से यह काम करवाया, जिन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि वे “काफिरों” को मार रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान सार्वजनिक रूप से हत्याओं को स्वीकार करने में अनिच्छुक रहा है, क्योंकि ज्यादातर निशाने पर जाने-माने आतंकवादी और प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के सहयोगी हैं, जिन्हें इस्लामाबाद लंबे समय से शरण देने से इनकार करता रहा है।
विदेश मंत्रालय ने किया खारिज
‘द गार्जियन’ ने यह भी बताया कि भारत के विदेश मंत्रालय ने आरोपों को खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि ये “झूठे और दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी प्रचार” है। खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार की पिछले साल मई में लाहौर में हत्या कर दी गई थी।
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के जिया-उर रहमान और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के करीबी सहयोगी मुफ्ती कैसर फारूक सितंबर में मारे गए थे। इसके अलावा पठानकोट में भारतीय वायुसेना अड्डे पर 2016 में हुए हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी शाहिद लतीफ की अक्टूबर में पाकिस्तान के सियालकोट के दस्का शहर की एक मस्जिद में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।