Semiconductor Stocks: मार्च महीने की शुरुआत से ही भारतीय शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। खासतौर से मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों में तगड़ी बिकवाली हुई है। हालांकि इसके बावजूद सेमीकंडक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में लगातार तेजी देखी जा रही है। भारत सरकार का भी देश को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर फोकस बढ़ा है, जिससे बाजार में इन कंपनियों को लेकर सेंटीमेंट और मजबूत हुआ है। यही कारण है कि पिछले एक साल में SPEL सेमीकंडक्टर, ASM टेक्नोलॉजी, CG पावर और लिंडे इंडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में 70% से लेकर 200% तक का जबरदस्त उछाल आया है।
हालांकि, एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि अधिकतर मामलों में इन शेयरों का वैल्यूएशन अब महंगा हो गया है, और शॉर्ट-टर्म में इनमें गिरावट देखने को मिल सकती है।
सेमीकंडक्टर पर जोर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल की शुरुआत में 1.26 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ देश में 3 सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसमें से दो प्लांट गुजरात में और एक प्लांट असम में लगना है। प्रस्तावों में 91,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से गुजरात के धोलेरा में लगने वाला पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट भी शामिल है। इसे टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लगा रही है।
वहीं ताइवन की कंपनी पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (PSMC) भी धोलेरा में प्लांट लगाएगी। इसके अलावा मेमोरी चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी माइक्रोन (Micron) ने भी हे 22,516 करोड़ रुपये की लागत से देश में एक चिप असेंबली प्लांट लगाने का ऐलान किया है।
दिसंबर तक आ जाएगा पहला ‘मेड इन इंडिया’ चिप
हाल ही में नेटवर्क18 के ‘राइजिंग भारत समिट 2024’ में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत को इस साल दिसंबर तक पहले ‘मेड इन इंडिया’ सेमीकंडक्टर चिप मिलने की उम्मीद है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट, गौरांग शाह ने कहा “अगर हमारे पास 2024 के अंत तक मेड-इन-इंडिया चिप आ जाता है, तो ताइवान और खासतौर से चीन पर जो हमारी निर्भरता थी वह अतीत की बात हो जाएगी। इससे न केवल इंडस्ट्री को लाभ मिलेगा, बल्कि रोजगार भी बढ़ेगा।”
चीन पर निर्भरता होगी कम
ट्रेंडफोर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2023 तक ताइवान के पास ग्लोबल सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता का 46% हिस्सा था। इसके बाद चीन (26 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (12 प्रतिशत), अमेरिका (6 प्रतिशत) और जापान (2 प्रतिशत) का स्थान है। अब भारत भी इस रेस में कूद गया है और इससे खासतौर से उन कंपनियों को फायदा मिलेगा, जो सेमीकंडक्टर के मामले में चीन पर निर्भरता कम करना चाह रही हैं।