Budget 2024- प्राइवेट कैपेक्स, महिला सशक्तिकरण और ऊर्जा परिवर्तन तीन ऐसे थीम्स हैं जिन पर मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के सौरभ मुखर्जी (Marcellus Investment Managers’ Saurabh Mukherjea) अगले कुछ महीनों में निवेश करने के लिए विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले तीन बजटों के दौरान सार्वजनिक सेक्टर का कैपेक्स लगातार बढ़ा है। लेकिन अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कैपेक्स बढ़ाने के लिए प्राइवेट सेक्टर पर फोकस करने की बात कही है। उन्होंने कहा, “मार्सेलस इनवेस्टमेंट में हम प्राइवेट सेक्टर के कैपेक्स की पहचान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।”
मुखर्जी ने कहा कि अगली थीम महिला सशक्तिकरण या “नारी शक्ति” है। मुखर्जी के अनुसार, एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो आकांक्षी है, सुशिक्षित है और तेजी से आय और रोजगार हासिल कर रहा है। “हम ऐसे और स्टॉक्स की तलाश कर रहे हैं जो उन महिलाओं की जरूरतों को पूरा करें। एक तरह से, अगर मैं इसके बारे में सोचूं तो नायका (Nykaa), मामा अर्थ (Mama Earth) आदि महिला फोकस्ड स्टॉक्स हैं। मैं बस यही चाहता हूं कि वे थोड़ा और पैसा कमाएं। हमारे लिए निवेश करना आसान बनाएं। हम निश्चित रूप से ऐसी और कंपनियों के बाजार में आने उम्मीद कर रहे हैं।” ऐसा उन्होंने कहा।
पुरुषों से ज्यादा बैंक खाते और पैसे महिलाओं के पास
मुखर्जी ने आरबीआई (RBI) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बैंक खातों में अधिक पैसा जमा है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बैंक खाते अधिक हैं। “यह महिलाएं बहुत शक्तिशाली है और मुझे यकीन है कि दिल्ली में मौजूद सरकार ने महसूस किया है कि महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में अधिक नौकरियां, अधिक बैंक खाते और उन बैंक खातों में अधिक पैसा है। हम, शेयर बाजार के रूप में उन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने मजेदार लहजे में ऐसा कहा।
उन्होंने कहा कि तीसरी थीम ऊर्जा परिवर्तन (energy transition) बनी रहेगा। “हमें चीन की गलतियों को दोहराना नहीं है। हम जितनी जल्दी EVs में बदलाव करेंगे, हमारे लिए उतना बेहतर होगा। अगर हमारा EVs इकोसिस्टम निर्यातक बनने के लिए पर्याप्त रूप से कुशल है, तो यह देश के लिए नौकरियां पैदा करने वाला सेक्टर भी बन सकता है।” उन्होंने कहा कि मार्सेलस में हम इस विषय को भी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्ण बजट से उम्मीदें
मुखर्जी को पहली उम्मीद है कि जुलाई के बजट में कुछ टैक्स बदलावों की घोषणा हो सकती है। दूसरी उम्मीद में उनको लगता है कि विनिवेश को बढ़ावा मिल सकता है। “कई वर्षों से विनिवेश में कई चूक हुई हैं। जाहिर तौर पर चुनाव से पहले एक बड़े पीएसयू के विनिवेश की कोशिश का कोई मतलब नहीं है। यह तर्कसंगत भी नहीं है।” उन्होंने कहा कि तीसरी उम्मीद व्यापार संधियां या करार हैं जिसे पूर्ण बजट में शामिल किया जा सकता है। वे कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि सरकार चुनाव से पहले व्यापार संधियों पर हस्ताक्षर करेगी। लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि चुनाव के बाद हम ऐसा कुछ होते हुए देखेंगे।”
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