जम्मू-कश्मीर के पुंछ-रजौरी में कुछ आतंकियों ने कश्मीर में रहने वाले आम लोगों की मदद से सेना के वाहन में हमला किया। इस हमले में भारतीय सेना के 5 जवान शहीद हो गये। सेना पर जिस दौरान हमला किया गया उस दौरान आतंकियों ने मौके का पूरा फायदा उठाया।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ-रजौरी हमले में कुछ आतंकियों ने कश्मीर में रहने वाले आम लोगों की मदद से सेना के वाहन में हमला किया। इस हमले में भारतीय सेना के 5 जवान शहीद हो गये। सेना पर जिस दौरान हमला किया गया उस दौरान आतंकियों ने मौके का पूरा फायदा उठाया। कश्मीर के लोकल लोगों की मदद, जंगल में आतंकी मोर्चा बनाकर और कुछ महीनों से रेकी करके आतंकियों ने सेना के बारे में तमाम जानकारी इकठ्ठा की और फिर 21 दिसंबर को अपनी साजिश को अंजाम दिया। मौके से आये दृश्य दहला देने वाले थे। जिस तरह से भारतीय सैनिकों के शव क्षत-विक्षत अवस्था में थे वे हर भारतीय के जहन में आक्रोश पैदा करते हैं। पूरा देश सरकार से आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग कर रहा हैं।
आतंकियों को कंट्रोल करने का जिम्मा राष्ट्रीय राइफल्स के पास है?
भारतीय सेना की विशेष साखा राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिक अशांत स्थान की ओर जाने वाली जर्जर सड़क पर पहरा देते हैं। राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिक कश्मीर के आतंकियों पर लगाम लगा कर रखते हैं। इस समय राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों की संख्या कम है क्योंकि राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों सो भारत-चीन के बॉर्डर पर टेंशन बढ़ने के बाद भेज दिया गया। ऐसे में पाकिस्तान के बॉर्डर से राष्ट्रीय राइफल्स में जवानों की संख्या कम हो गया। अब आतंकी हमलों के बढ़ने का कारण कुछ एक्सपर्ट इसको भी मान रहे हैं। राष्ट्रीय राइफल्स की टुकड़ियां रजौरी, पुंछ, सूरनकोट, सुंदरबनी, नौशेरा जैसे इलाके साउथ ऑफ पीर पंजाल में तैनात ज्यादा थी लेकिन इन इलाकों में राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों की संख्या कम हो गयी है।
राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों की संख्या कम होने के कारण आतंकी हुए एक्टिंव?
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि पुंछ और रजौरी सूरनकोट जैसी जगहों में काफी ज्यादा आतंकी घटनाएं बढ़ गयी है। पीर पंजाल इलाका काफी ज्यादा असुरक्षित हो गया है। पहले इन इलाकों में आतंकियों को कंट्रोल कर लिया गया था। लेकिन अब एक बार यहां पर खतरा और ज्यादा पढ़ गया है। पहले नॉर्थ ऑफ पीर पंजाल से आतंकी ज्यादा घुसपैठ करते थे क्यों कि वहां पर काफी बड़े पहाड़ थे तो सुरक्षा ग्रीडों की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती थी उसकी तुलना में साउथ ऑफ पीर पंजाल में पहाड़ कम थे इस लिए इस तरफ से खतरा ज्यादा होता था। घुसपैठ करने के लिए बहुत बड़ी पहाड़ी को पार नहीं करना होता था। वहां पर सुरक्षा ग्रिड मजबूत होने के बात आतंकी घुसपैठ को कंट्रोल कर लिया गया। आतंकवाद की घटनाएं कम होने के बाद यहां से राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों की संख्या कम कर दी गयी थी क्योंकि चीन की तरफ ज्यादा खतरा बढ़ रहा था। राष्ट्रीय राइफल्स एक अलग तरह से काम करती हैं वह घुसपैठियों को धर दबौचती हैं। लेकिन ऐसा लगता है अब अक बार फिर से पीर पंजाल में आतंकी डेरा डाल चुके हैं। अह तक इस इलाके में 10 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। इसके अलावा अक्टूबर 2021 में यहीं के जंगल वाले इलाके में दो अलग-अलग आतंकी हमलों में 9 सैनिक शहीद हो गए।
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