खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पद के लिए संजय सिंह (Sanjay Singh) के चुनाव के विरोध में बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) का पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Award) लौटाने का फैसला व्यक्तिगत है। हालांकि, फिर भी उन्हें इस कदम पर दोबारा विचार करने के लिए समझाने की कोशिश की जाएगी। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान पूनिया ने बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के विश्वासपात्र संजय सिंह के WFI में शीर्ष पद के लिए चुने जाने के एक दिन बाद पद्मश्री सम्मान लौटाने का फैसला किया।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, लेकिन खेल मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि WFI के चुनाव स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से हुए थे। मंत्रालय के एक अधिकारी ने PTI को बताया, “पद्मश्री लौटाना बजरंग पूनिया का व्यक्तिगत फैसला है। WFI के चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए थे।”
उन्होंने कहा, “फिर भी हम बजरंग को पद्मश्री लौटाने के अपने फैसले को पलटने के लिए समझाने का प्रयास करेंगे।”
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र में, बजरंग ने लिखा, “माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ्य होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे, लेकिन मैं देश के पहलवानों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह लिख रहा हूं।
इसमे लिखा, “आप जानते ही होंगे कि इसी साल जनवरी में देश की महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। मैं भी उनके विरोध में शामिल हुआ। सरकार की तरफ से कड़ी कार्रवाई का वादा करने के बाद विरोध खत्म कर दिया गया।”
अपनी निराशा जताते हुए, स्टार पहलवान ने कहा, “लेकिन तीन महीने बाद भी बृज भूषण के खिलाफ कोई FIR नहीं हुई। हम अप्रैल में फिर से सड़कों पर उतरे ताकि पुलिस कम से कम उनके खिलाफ FIR दर्ज करे।”
उन्होंने कहा, “जनवरी में 19 शिकायतकर्ता थे, लेकिन अप्रैल तक यह संख्या घटकर 7 रह गई। इसका मतलब है कि बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों पर अपने रसूख के चलते उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।”
पूनिया ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर एक विरोध पत्र सौंपने की कोशिश की लेकिन दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने उन्हें कर्तव्य पथ पर ही रोक दिया, क्योंकि उनके पास कोई पूर्व अनुमति नहीं थी। इसी पत्र में उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का जिक्र किया था।