यातना और क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक व्यवहार व दंड सम्बन्धी मामलों पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर ऐलिस जिल एडवर्ड्स ने यूक्रेन की अपनी आधिकारिक यात्रा के समापन पर रविवार को एक वक्तव्य जारी किया.
उन्होंने बताया युद्ध के दौरान रूसी प्राधिकरण द्वारा आम नागरिकों और युद्धबन्दियों के विरुद्ध यातना व अन्य अमानवीय कृत्यों को अंजाम दिए जाने के विश्वसनीय आरोप, अनवरत से प्रतीत होते हैं.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, इन गम्भीर कृत्यों को एक राजसत्ता नीति के हिस्से के तौर पर अंजाम दिया जा रहा है, ताकि लोगों को डराया धमकाया जा सके, उनमें डर पैदा किया जाए, उनसे जानकारी या स्वीकारोक्ति ली जा सके.
यूएन विशेषज्ञ ने अनेक पीड़ितों की व्यथा सुनी और उन्हें बताया गया कि किस तरह कानों व जननांगों पर बिजली के झटके दिए गए, हर प्रकार की पिटाई की गई, डुबाने का एहसास कराया गया, दबाव भरी मुद्राओं में खड़ा होने के लिए मजबूर किया गया, बलात्कार और जान से मारने की धमकी दी गई और अन्य तरीक़ों से अपमान किया गया.
वापिस लौटने वाली यूक्रेनी नागरिकों और सैनिकों ने भीड़ भरे तहखानों और बन्दीगृहों में क़ैद किए जाने, और पर्याप्त मात्रा में भोजन ना दिए जाने के अनुभव साझा किए, जिनमें से कई लोगों के वजन में ख़तरनाक स्तर तक कमी दर्ज की गई.
विशेष रैपोर्टेयर जिल एडवर्ड्स ने बताया कि इन कृत्यों को यातना या अन्य क्रूरतापूर्ण, अमानवीय और अपमानजक बर्ताव या दंड की श्रेणी में रखा जा सकता है, जिन पर अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवतावादी क़ानून के तहत हर हाल में पाबन्दी है.
यूक्रेन यात्रा
विशेष रैपोर्टेयर ने 4-10 सितम्बर तक अपनी यात्रा के दौरान, सशस्त्र संघर्ष के सन्दर्भ में यातना के ऐसे अपराधों की जाँच और अभियोजन कार्रवाई की प्रक्रियाओं और तौर-तरीक़ों की समीक्षा की.
यूक्रेन सरकार के आँकड़ों के अनुसार, एक लाख तीन हज़ार से अधिक युद्ध अपराध सम्बन्धी प्रक्रियाओं का अब तक पंजीकरण किया गया है.
जिल एडवर्ड्स ने ज़ोर देकर कहा कि यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों व अपराधों की जाँच और अभियोजन कार्रवाई का अन्तरराष्ट्रीय दायित्व युद्ध या अन्य अभूतपूर्व हालात की वजह से नहीं बदल जाता.
“मगर, ये हालात किसी भी प्रणाली के लिए विशाल चुनौतियों को पेश करेंगे.”
विशेष रैपोर्टेयर को न्याय प्रक्रिया में मौजूद विविध प्रकार की बाधाओं के बारे में भी जानकारी दी गई, जैसेकि फ़िलहाल क़ाबिज़ इलाक़ों में ना पहुँच पाना, महत्वपूर्ण साक्ष्यों का प्राप्त ना होना, और अपराध व जाँच शुरू होने के बीच लम्बा समय बीत जाने समेत अन्य अवरोध.
बताया गया है कि यूक्रेन सरकार ने सचल जाँच इकाइयों को स्थापित किया गया है, फ़ोरेंसिक विशेषज्ञता व परीक्षण केन्द्रों का विस्तार किया गया है और नवीनमत टैक्नॉलॉजी की मदद ली जा रही है.
रूसी युद्धबन्दी
जिल एडवर्ड्स ने अपनी सात-दिवसीय यूक्रेन के दौरान, विभिन्न स्थानों व केन्द्रों का दौर किया, और हिंसक संघर्ष सम्बन्धी अपराधों के आरोपितों और रूसी युद्धबन्दियों के साथ किए जा रहे बर्ताव की समीक्षा की.
उन्होंने बताया कि यूक्रेन सरकार ने रूसी युद्धबन्दियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने के प्रयास किए हैं, क़ैदियों को सफ़ाई भरे माहौल व व्यवस्थित ढंग से रखा गया है, उन्हें अच्छे से खाना खिलाया जा रहा है, और चिकित्सा व्यवस्था का भी ख़्याल रखा गया है.
विशेष रैपोर्टेयर अपनी यात्रा के निष्कर्षों को, मार्च 2024 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सम्मुख प्रस्तुत करेंगी.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.
ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.