इनमें सेनेगल की युवा गायिका और रैपर ओऊमी गुएये भी शामिल हैं, जो OMG के नाम से भी जानी जाती हैं. औउमी, जलवायु कार्रवाई को अपनाने के लिए तब प्रेरित हुईं, जब सेनेगल की राजधानी डकार के पूर्व में स्थित बार्गनी में, उनके दादा-दादी का घर, बढ़ते समुद्री स्तर के कारण तबाह हो गया था.
वह साहेल में मानवीय कारणों की पैरोकारी करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय OCHA के साथ सहयोग कर रही हैं. साहेल में मानवीय परिस्थितियों को, दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती मानवीय आपात स्थितियों में से एक माना जाता है.
ओएमजी, क्षेत्र के पाँच अन्य प्रमुख कलाकारों के साथ ‘My Sahel’ नामक परियोजना का हिस्सा हैं. उन्होंने एक साथ मिलकर, एक ट्रैक जारी किया, जिससे प्राप्त आय को, योगदान देने वाले कलाकारों और पश्चिम व मध्य अफ़्रीका के लिए OCHA द्वारा प्रबन्धित मानवीय कोष के बीच विभाजित किया जाता है.
ओएमजी ने यूएन न्यूज़ से बात करते हुए, उस कठिन परिस्थिति का वर्णन किया जिसमें उनके देश में, उनके साथी तेज़ी से ख़ुद को पा रहे हैं. बढ़ते तापमान और, सेनेगल के मामले में, समुद्र का स्तर आजीविकाओं व और घरों को नष्ट कर रहा है, ग़रीबी, हिंसा बढ़ा रहा है और ख़तरनाक मार्गों से प्रवास को बढ़ावा दे रहा है.
उन्होंने कहा, “युवा लोग अपने लिए बेहतर स्थिति की ख़ातिर, समुद्र से यात्रा करने का जोखिम उठाते हैं, और कुछ लोग अपनी जान गँवा देते हैं – जो समुदायों और उनके देशों के भविष्य के लिए एक त्रासदी है.”
नया जलवायु कार्रवाई खाता
दुबई सम्मेलन में, जलवायु संकट का मानवीय प्रभाव सुर्ख़ियों में है. संयुक्त राष्ट्र के केन्द्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष (CERF) के हिस्से के रूप में, OCHA ने एक जलवायु कार्रवाई खाता शुरू किया. इस खाते के तहत, बाढ़ सूखा, तूफान और अत्यधिक गर्मी जैसी जलवायु सम्बन्धी आपदाओं के लिए, मानवीय प्रतिक्रियाओं के वित्तपोषण और सहनशीलता निर्माण के लिए, एक अतिरिक्त अवसर प्रदान किया जाएगा.
प्रत्येक वर्ष, सीईआरएफ़ निधि का एक चौथाई से एक तिहाई हिस्सा, पहले से ही चरम मौसम सम्बन्धी आपदाओं के लिए ख़र्च किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र की उप आपातकालीन राहत प्रमुख जॉयस मसुया ने इस निधि को बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर दिया “क्योंकि हम एक ऐसी दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें जलवायु परिवर्तन, लोगों की बढ़ती संख्या पर ‘डैमोकल्स की तलवार’ की तरह लटका हुआ है”.
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अन्तर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के अनुसार, लगभग 3.5 अरब लोग, यानि लगभग आधी मानवता, जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में रहते हैं.
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