संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने, इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन – कॉप28 का चौथा दिन शुरू होने पर कहा, “जीवाश्म ईंधन उद्योग अन्ततः जागना शुरू कर रहा है, लेकिन किए गए वादे स्पष्ट रूप से आवश्यकता से कम हैं.”
एंतोनियो गुटेरेश ने, कई प्रमुख तेल और गैस कम्पनियों द्वारा 2030 तक अपनी पाइपलाइनों से मीथेन गैस के रिसाव को कम करने के लिए, शनिवार को घोषित प्रतिज्ञा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह “सही दिशा में एक क़दम” है, मगर यह वादा एक मुख्य मुद्दे पर ध्यान देने में विफल रहा और वो है – जीवाश्म ईंधन की खपत से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को समाप्त करना.
मीथेन (CH4) प्राकृतिक गैस का एक प्राथमिक घटक है और आज हम जो ग्रहीय तापमान देखते हैं उसके लगभग एक तिहाई के लिए ज़िम्मेदार है. यह अल्पकालिक है लेकिन कार्बन डाइ ऑक्साइड से अधिक शक्तिशाली है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार ग्रीनहाउस गैस है. गम्भीर कार्रवाई के बिना, वैश्विक मानवजनित मीथेन उत्सर्जन, अब से 2030 के बीच 13 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है.
(मीथेन गैस के बारे में अधिक जानकारी यहाँ देखी जा सकती है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, तेल और गैस कम्पनियों को “जलवायु संकट के पीछे के दिग्गज” क़रार देते हुए, यह भी कहा कि यह प्रतिज्ञा, 2050 तक नैट-शून्य के लक्ष्य तक पहुँचने के मार्ग पर, स्पष्टता नहीं देती करती है, जो “सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए बिल्कुल आवश्यक है.” ”
उन्होंने ऐतिहासिक 2015 पेरिस जलवायु समझौते द्वारा निर्धारित प्रमुख लक्ष्यों में से एक का ज़िक्र करते हुए दोहराया. “विज्ञान स्पष्ट है: हमें वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 सैल्सियस तक सीमित करने के साथ मेल खाने वाली समय सीमा के भीतर, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीक़े से समाप्त करने की आवश्यकता है,”
यूएन प्रमुख ने, भ्रामक विपणन और स्थिरता के झूठे दावों को बढ़ावा देने में शामिल ख़तरों का ज़िक्र करते हुए कहा, “ग्रीनवाशिंग के लिए कोई जगह नहीं हो सकती.”
‘ग्रीनवाशिंग’ तरीक़ों के बारे में और जानकारी यहाँ देखी जा सकती है
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