बिजली एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने गुरुवार को कहा कि इस दशक के अंत तक भारत की कुल ऊर्जा क्षमता (renewable energy) में से 65 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के सम्मेलन 2023 को संबोधित करते हुए कहा सिंह ने कहा कि देश में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की पहले ही सबसे कम लागत है।
उन्होंने कहा कि इस समय खपत हो रही बिजली में से 45 प्रतिशत पहले ही हरित ऊर्जा है। सिंह ने कहा कि क्षमता बढ़ाना चुनौती है लेकिन यह एक अवसर भी है क्योंकि भारत तेजी से बढ़ते देशों में एक है, जहां बिजली की मांग सबसे ज्यादा है और इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है। सिंह ने कहा कि करीब 15,000 मेगावॉट पनबिजली क्षमता निर्माणाधीन है और 30,000 मेगावॉट की जरूरत है। देश में अक्षय ऊर्जा जरूरतों को संतुलित करने पनबिजली जरूरी है।
बहरहाल भारत 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 175 गीगावॉट करने का लक्ष्य हासिल नहीं कर सका है। यह लक्ष्य 2015 में तय किया गया था, जिसमें 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा, 10 गीगावॉट बायो ऊर्जा और 5 गीगावॉट लघु पनबिजली की क्षमता तैयार करने का लक्ष्य था।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 28 फरवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता 1669 गीगावॉट है, वहीं 82 गीगावॉट क्षमता लागू होने के विविध चरणों में है और 41 गीगावॉट निविदा के स्तर पर है।
Also read: विप्रो का मुनाफा घटा, चेयरमैन प्रेमजी का 50 फीसदी वेतन कटा
सिंह ने बिजली परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं करने वाले डेवलपर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि जो भी डेवलपर वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की तारीख या समयसीमा से चूकेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इन सभी परियोजनाओं को बोली प्रक्रिया के तहत हासिल किया है और अगर वे परिचालन की अनुसूचित वाणिज्यिक तिथि (SCOD) से चूकते हैं, तो संबंधित डेवलपर को एक साल के लिए किसी परियोजना की बोली प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया जाएगा।
