संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चिन्ता जताते हुए कहा है कि मानवता, पृथ्वी को आग के हवाले कर रही है और उसकी क़ीमत चुका रही है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी ने अपने विश्लेषण के लिए जनवरी-सितम्बर 2024 की अवधि में छह अन्तरराष्ट्रीय डेटासेट का अध्ययन किया और बढ़ते तापमानों के रुझानों को उजागर किया है.
रिपोर्ट में सेशेल्स, मॉरिशस, लाओस और आयरलैंड समेत अन्य देशों में कारगर जलवायु सेवाओं के विकास पर जानकारी साझा की गई है, मगर तथ्य स्पष्टता से दर्शाते हैं कि जलवायु संकट तेज़ी से गहरा रहा है.
पिछले वर्ष अक्टूबर महीने के बाद 2024 का अक्टूबर महीना तापमान के मामले में दूसरे स्थान पर है. यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान वृद्धि का इस रुझान के समानान्तर उनके कारण होने वाली आपदाएँ भी नज़र आ रही हैं.
2020 और मध्य-2024 के दौरान, ताप सम्बन्धी जोखिम सबसे ख़तरनाक मौसमी ख़तरे के रूप में उभर रहे हैं और मौसम, जलवायु व जल-सम्बन्धी कारणों से होने वाली मौतों के 57 प्रतिशत के लिए ज़िम्मेदार हैं.
जलवायु सेवाओं में निवेश
WMO की महासचिव सेलेस्ते साउलो ने कहा कि अभूतपूर्व पर्यावरणी बदलावों के मद्देनज़र, जलवायु सूचना को विकिसित करना, उसे पहुँचाना और फिर इस्तेमाल में लाना, जलवायु कार्रवाई के नज़रिये से कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा.
‘The State of Climate Services’ नामक इस रिपोर्ट में अहम जलवायु सूचना को सही स्थान तक पहुँचाने में हुई प्रगति और मौजूदा चुनौतियों का वर्णन किया गया है.
विश्व भर में अब एक तिहाई राष्ट्रीय मौसम विज्ञान व जल विज्ञान सेवाओं के ज़रिये अति-आवश्यक जलवायु सेवाओं को प्रदान किया जा रहा है, मगर अब भी एक बड़ी खाई बरक़रार है.
जलवायु अनुकूलन के लिए आवंटित किए गए 63 अरब डॉलर में से केवल चार से पाँच अरब डॉलर ही जलवायु सेवाओं और समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों को समर्थन देने के लिए ख़र्च किए जाते हैं.
महासचिव साउलो ने कहा कि एक टिकाऊ भविष्य में आवश्यक निवेश किए जाने होंगे. कोई भी क़दम ना उठाने की क़ीमत, कार्रवाई की क़ीमत से कई गुना अधिक होगी.
महत्वाकाँक्षी लक्ष्य
इस बीच, बाकू में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से ठीक पहले विश्व नेताओं से अनेक मोर्चों पर महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई की पुकार लगाई गई है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि बाकू में नेताओं को महत्वाकाँक्षी योजनाओं के साथ आना होगा जिनमें मौजूदा संकट के स्तर व तात्कालिकता को ध्यान में रखा जाए.
इस क्रम में, उन्होंने नई राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं का भी आग्रह किया है, जिनमें तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के उपाय पेश किए गए हों.