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2024: वैश्विक व्यापार में उछाल, $33 ट्रिलियन पहुँचने की सम्भावना, मगर अनिश्चितताएँ भी

2024: वैश्विक व्यापार में उछाल,  ट्रिलियन पहुँचने की सम्भावना, मगर अनिश्चितताएँ भी

यूएन एजेंसी ने गुरूवार को ‘Global Trade Update’ नामक अपना एक नया विश्लेषण जारी किया है, जिसके अनुसार वैश्विक व्यापार में उछाल आया है. वर्ष 2024 में यह 33 हज़ार अरब डॉलर (33 ट्रिलियन) तक पहुँच सकता है, जोकि अब तक का सबसे ऊँचा स्तर होगा.

यह 2023 की तुलना में एक हज़ार अरब डॉलर की वृद्धि को दर्शाता है. इस 3.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की एक बड़ी वजह सेवा व्यापार क्षेत्र में 7 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया जाना है, जिससे 500 अरब डॉलर का योगदान हुआ है.

लेकिन सामान उत्पाद में व्यापार इस वर्ष धीमा साबित हुआ और उसमें 2 प्रतिशत की ही बढ़ोत्तरी नज़र आई. 2022 में अपने सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच जाने के बाद इसमें गिरावट आई है.

2024 की तीसरी तिमाही में, मांग में स्थिरता और व्यवसाय के लिए बेहतर माहौल के फलस्वरूप, विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में व्यापार की रफ़्तार में तेज़ी दर्ज की गई.

विकसित देशों द्वारा किए जाने वाले आयात में 3 फ़ीसदी की वृद्धि और निर्यात में 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. जापान में सामान व सेवा निर्यात, अमेरिका में व्यापारिक माल के आयात व निर्यात, और योरोपीय संघ में सेवा व्यापार में वृद्धि हुई.

वहीं, विकासशील देश इस अवधि में संघर्ष करते हुए नज़र आए. विकासशील देशों के बीच व्यापार में, अतीत के रुझान पलटे और इसमें 1 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि वार्षिक प्रदर्शन के नज़रिये से विकासशील देशों के बीच व्यापार सकारात्मक रहा और 3 प्रतिशत की गति से बढ़ा.

उतार-चढ़ाव से भरी तिमाही

2024 की तीसरी तिमाही में, चीन में सामान के आयात व निर्यात, सेवा आयात में गिरावट आई, लेकिन सेवा निर्यात का बढ़ना जारी रहा. सेवा आयात में भी वृद्धि बनी रही. भारत में सामान आयात व सामान निर्यात में गिरावट आई, मगर सेवा आयात व निर्यात में वृद्धि हुई है. पूर्वी एशिया क्षेत्र में व्यापार में ठहराव है – आयात में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई जबकि इस तिमाही में निर्यात में केवल 1 फ़ीसदी की बढ़त हुई.

2022 में नई ऊँचाई को छूने के बाद 2023 में वैश्विक व्यापार में 3 फ़ीसदी की गिरावट आई थी और यह घटकर 31 ट्रिलियन तक पहुँच गया था. इसकी एक प्रमुख वजह विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मांग का घटना और पूर्वी एशिया व लातिन अमेरिका में व्यापार में आई कमज़ोरी थी.

अन्तरराष्ट्रीय संचार व टैक्नॉलॉजी और परिधान सैक्टर में मज़बूती नज़र आई है, जबकि ऑटो क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है. संचार उपकरणों में व्यापार इस तिमाही में 13 फ़ीसदी बढ़ा, वहीं कार्यस्थल पर उपकरणों में आयात व निर्यात में 13 प्रतिशत का उछाल आया. इस तिमाही में परिधान सैक्टर में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

सड़क वाहनों की मांग घटी है, ऊर्जा व्यापार, धातु के आयात-निर्यात में गिरावट आई है और टेक्सटाइल व्यापार भी घटा है.

2025 की अनिश्चितताएँ

अगले वर्ष व्यापार क्षेत्र में अनिश्चितताएँ मंडरा रही है, जिसका एक बड़ा कारण अमेरिकी व्यापार नीतियों में आने वाले ऐसे सम्भावित बदलाव हैं, जिनसे वैश्विक वैल्यू चेन में व्यवधान आ सकता है और महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों पर असर होगा.

अमेरिका द्वारा टैरिफ़ समेत अन्य सख़्त क़दम उठाने के असर अनेक अन्य उद्योगों व अर्थव्यवस्थाओं में महसूस किए जा सकते हैं, और बदले की भावना से क़दम उठाए जाने की आशंका गहराएगी. अनिश्चितता बढ़ने, और व्यापार, निवेश और आर्थिक प्रगति में कमज़ोरी आने का भी जोखिम होगा.

अमेरिकी व्यापार नीतियों में बदलाव का सबसे अधिक असर उन देशों पर अधिक होगा, जिनका अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (trade surplus) है, यानि उनके द्वारा अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात का स्तर, अमेरिका से किए गए आयात से अधिक है. 

चीन, भारत, योरोपीय संघ और वियताम पर असर होने की आशंका है. मगर, कैनेडा, जापान, मैक्सिको व कोरिया गणराज्य भी प्रभावित हो सकते हैं.

यूएन एजेंसी ने विकासशील देशों से ऐसी नीतियाँ अपनाने का आग्रह किया है, जिनसे व्यापार में विविधता को मज़बूती मिले और जोखिमों में कमी लाने के लिए अहम सैक्टर में निवेश किया जाए.

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