यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने वर्ष 2023 पर एक नज़र डालते हुए अपने संगठन की अहम उपलब्धियों को रेखांकित और अगले वर्ष के लिए अपनी प्राथमिकताओं का खाका प्रस्तुत किया.
2023 में ही यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए हैं.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने अपने एक वीडियो सन्देश में ध्यान दिलाया कि मई महीने में उन्होंने कोविड-19 की, अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के रूप में अन्त करने की घोषणा की.
“विश्व में तीन साल के संकट, पीड़ा और हर स्थान पर जनहानि के बाद, यह एक बड़ा मोड़ था. मुझे यह देखकर ख़ुशी है कि सामान्य जीवन लौट आया है.”
नई वैक्सीन
डॉक्टर टैड्रॉस ने अन्य उपलब्धियों का भी उल्लेख किया, जिनमें एमपॉक्स का एक वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति के रूप में अन्त, डेंगू, मेनिनजाइटिस और मलेरिया के लिए नए टीकों को स्वीकृति मिलना है.
अज़रबैजान, ताजिकिस्तान और बेलिज़ को मलेरिया से मुक्त घोषित कर दिया गया और अनेक देशों में उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली बीमारियों के उन्मूलन की दिशा में प्रगति हुई.
इनमें घाना में sleeping sickness, बेनिन, माली और इराक़ में trachoma, और बांग्लादेश व लाओ में filariasis समेत अन्य बीमारियाँ हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख के अनुसार, वैक्सीन के ज़रिये पोलियो की रोकथाम, और इस बीमारी का उन्मूलन सम्भव है और इस सफ़र के अन्तिम पड़ाव पर पहुँचा जा रहा है.
वहीं 30 और देशों में HPV वैक्सीन अब मुहैया कराई गई है, जिससे सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन की ओर क़दम बढ़ाए जा रहे हैं.
जलवायु प्रभाव
वर्ष 2023 में जलवायु संकट के स्वास्थ्य प्रभावों पर भी ध्यान बढ़ा. दुबई में कॉप28 जलवायु सम्मेलन के दौरान, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे जलवायु एजेंडा पर रहे और जलवायु व स्वास्थ्य पर एक वैश्विक घोषणापत्र पारित किया गया.
वहीं, सितम्बर महीने में यूएन महासभा में राष्ट्राध्यक्षों ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को साकार करने, तपेदिक का अन्त करने और विश्व आबादी की भावी महामाहियों से रक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि ये हर एक उपलब्धि और अनेक अन्य, विज्ञान, समाधान व एकजुटता में निहित शक्ति को प्रदर्शित करती हैं.
अपार पीड़ा
डॉक्टर टैड्रॉस ने क्षोभ प्रकट किया कि वर्ष 2023 में लोगों को असीम पीड़ा का अनुभव करना पड़ा, जिसकी रोकथाम की जा सकती थी.
दक्षिणी इसराइल में हमास द्वारा किए गए हमलों में एक हज़ार 200 से अधिक इसराइलियो की मौत हुई, जिसके बाद इसराइली कार्रवाई में अब तक 20 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं. 53 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं
ग़ाज़ा में बंधकों के साथ बुरे बर्ताव और लिंग-आधारित हिंसा की ख़बरें क्षोभजनक थीं.
‘शान्ति के बिना स्वास्थ्य नहीं’
डॉक्टर टैड्रॉस ने गहरी चिन्ता जताई कि ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के कारण स्वास्थ्य ढाँचे को भीषण नुक़सान पहुँचा है. 22 दिसम्बर को 36 में से केवल 9 स्वास्थ्य केन्द्रों पर आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है.
वहीँ, उत्तरी ग़ाज़ा में केवल चार केन्द्रों पर बुनियादी सेवाएँ उपलब्ध हैं. मौजूदा हालात के मद्देनज़र, उन्होंने ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की अपील दोहराई है.
इससे इतर, सूडान, यूक्रेन, इथियोपिया और म्याँमार में हिंसक टकराव और असुरक्षा के कारण हालात चुनौतीपूर्ण बने रहे.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि शान्ति के बिना स्वास्थ्य नहीं है और स्वास्थ्य के बिना शान्ति स्थापित नहीं हो सकती. इस पृष्ठभूमि में उन्होंने निर्धनता, स्वच्छ जल व स्वच्छता की सुलभता के अभाव और उससे होने वाली संक्रामक बीमारियों समेत अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों पर विशेष रूप से चिन्ता व्यक्त की.
2024 पर एक नज़र
महानिदेशक घेबरेयेसस ने वर्ष 2024 को, भावी महामारियों से निपटने के लिए प्रयासों के नज़रिये से अहम बताया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि देशों की सरकारें फ़िलहाल एक वैश्विक समझौते को तैयार करने में जुटी हैं, जोकि भावी महामारियों के विरुद्ध लड़ाई में सहयोग, समता को बढ़ाने पर लक्षित है.
इस समझौते के ज़रिये, एक सुरक्षित व स्वस्थ दुनिया की ओर क़दम बढ़ाने के इरादे से अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामन को मज़बूती प्रदान की योजना तैयार की जाएगी.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने अपने सन्देश का समापन करते हुए स्वास्थ्यकर्मियों, यूएन एजेंसी के साझीदार संगठनों व सहकर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए सर्वजन के स्वास्थ्य के लिए साझा यात्रा की अहमियत को रेखांकित किया.