विश्व

2023 में, साढ़े सात करोड़ लोग आन्तरिक रूप से विस्थापित

आन्तरिक रूप से विस्थापित से तात्पर्य उन लोगों से है, जो हिंसक टकराव, युद्ध, भूकम्प, वनों में आग लगने या किसी अन्य वजह से अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं, मगर उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाओं को पार नहीं किया है.

आन्तरिक विस्थापन निगरानी केन्द्र (IDMC) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार कुल साढ़े सात करोड़ विस्थापितों में से 4.7 करोड़ पिछले साल ही विस्थापन का शिकार हुए हैं. 

आन्तरिक विस्थापन पर वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, सूडान और फ़लस्तीन में हिंसक टकराव भड़कने से लाखों लोग, 2023 में अपने घरों से विस्थापित हुए, जबकि उनसे पहले लाखों अन्य सशस्त्र टकरावों के कारण विस्थापित के रूप में जीवन गुज़ार रहे थे.

इसके मद्देनज़र, यूएन प्रवासन एजेंसी ने देशों की सीमाओं के भीतर विस्थापित होने वाले लोगों की रक्षा करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए तत्काल क़दम उठाने पर बल दिया गया है.

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के उपमहानिदेशक उगोची डेनियल्स ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया हिंसक टकरावों और आपदाओं से जूझ रही है, 4.7 करोड़ नए आन्तरिक विस्थापितों का आँकड़ा एक भयावह व्यथा को दर्शाता है.

“यह रिपोर्ट कठोरता से ध्यान दिलाती है कि आपदा जोखिम में कमी लाने, शान्तिनिर्माण को समर्थन देने, मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने और जहाँ तक सम्भव हो, विस्थापन होने से पहले ही उसे टालने के लिए तुरन्त, समन्वित कार्रवाई का दायरा बढ़ाने की ज़रूरत है.”

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से भी हर वर्ष लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं. 

2023 में, दक्षिणपूर्वी अफ़्रीका में चक्रवाती तूफ़ान ‘फ़्रेडी’, तुर्कीये और सीरिया में भूकम्प और हिन्द महासागर में साइक्लोन ‘मोका’ के कारण 2.64 करोड़ लोग घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए. यह कुल नए विस्थापितों की संख्या का 56 प्रतिशत है.

उच्च-आय वाले देशों में भी आपदाओं की वजह से विस्थापितों की संख्या में वृद्धि हुई है. उदाहरणस्वरूप, कैनेडा में अभूतपूर्व पैमाने पर जंगलों में आग लगने की घटनाओं से 1.85 लाख विस्थापित हुए.

भावी चुनौतियाँ

विस्थापन के विषय में किसी स्थाई समाधान के अभाव में, आन्तरिक विस्थापितों की संख्या बढ़ने की सम्भावना जताई गई है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, आगामी वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की बारम्बरता, अवधि और गहनता बद से बदतर होने और उसके साथ ही विस्थापितों की संख्या बढ़ने की आशंका है.

जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में यह रुझान तेज़ी पकड़ सकता है, जैसाकि हाल के दिनों में ब्राज़ील और केनया में आई बाढ़ के रूप में देखा गया है. 

इन चुनौतियों के बावजूद, ज्ञान सम्बन्धी कमियाँ अब भी हैं, और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी समझ व बचाव उपाय विकसित करने के लिए बेहतर डेटा व जानकारी की आवश्यकता है.

आपदाओं की रोकथाम करने, उनके लिए बेहतर प्रबन्धन और हिंसक टकराव के कारण होने वाली विस्थापन घटनाओं पर विराम लगाने के लिए यह ज़रूरी है.

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