केंद्र सरकार 20 दिसंबर को कमर्शियल कोयला खदानों के लिए 9वें राउंड की नीलामी शुरू करेगी। कोयला मंत्रालय ने बताया कि इस राउंड में कुल 26 कोयला खदानों की पेशकश की जाएगी। 3 कोयला खदानों को कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 2015 के तहत नीलामी के लिए पेश किया जाएगा, जबकि 23 खदानों की नीलामी माइंस एंड मिनरल्स (डिवेलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट 1957 के तहत की जाएगी। जिन 26 कोयला खदानों की नीलामी की जानी है, इनमें से 12 मध्य प्रदेश में हैं, जबकि 8 छत्तीसगढ़, 5 झारखंड और 1 तेलंगाना में है।
भारत कम से कम एक दशक तक बिजली के उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भर रहेगा। देश में साल 2023 तक बिजली की मांग बढ़कर 335 गीगावॉट हो जाने का अनुमान है, जबकि फिलहाल यह मांग 240 गीगावॉट है। बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने कोयला आधारित प्लांट्स की क्षमता को बढ़ाने से जुड़े अपने प्लान में संशोधन किया है।
पहले सरकार की योजना कोयला आधारित बिजली की क्षमता 2023 तक 51 गीगावॉट तक बढ़ाने की थी, जबकि अब इस क्षमता को 80 गीगावॉट तक बढ़ाने का प्लान है। इसका मतलब है कि थर्मल पावर प्लांट्स के लिए और कोयले की जरूरत होगी।
जिन 26 कोयला खदानों की नीलामी की जा रही है, उनमें से 7 खदानों को पूरी तरह से एक्सप्लोर किया गया है जबकि 7 को आंशिक तौर पर एक्सप्लोर किया गया है। इसके अलावा 5 कोयला खदानों को 7वें दौर की कमर्शियल कोयला नीलामी के दूसरे प्रयास के तहत पेश किया जा रहा है। कोयला मंत्रालय के बयान के मुताबिक, इनमें 4 खदानों को पूरी तरह से एक्सप्लोर किया गया है, जबकि एक को आंशिक तौर पर एक्सप्लोर किया गया है।
कोयला मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘पिछले कमर्शियल कोल माइन ऑक्शन के उलट इस बार कोयले की बिक्री या इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं है। उल्लेखनीय बात यह है कि योग्यता की शर्तों को हटा दिया गया है और इसके तहत इस नीलामी में भागीदारी के लिए सभी तरह की तकनीकी या वित्तीय बाधाओं को दूर किया गया है।’ ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत कोयला मंत्रालय ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम का कॉन्सेप्ट तैयार किया है।
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