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हिमाचल प्रदेश में सियासी आपदा, एक्शन पैक रहा दिन, लेकिन बोल बच्चन ज्यादा, जानें सुबह से लेकर शाम तक हुई उठापटक की पूरा कहानी

हिमाचल प्रदेश में सियासी आपदा, एक्शन पैक रहा दिन, लेकिन बोल बच्चन ज्यादा, जानें सुबह से लेकर शाम तक हुई उठापटक की पूरा कहानी

Himachal Political Crisis: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश सियासी आपदा से जूझ रहा है और ये सब शुरू कैसे हुए? मंगलवार को राज्यसभा की एक सीट पर हुई वोटिंग के बाद से, ये सीट जानी तो कांग्रेस के खेमे में चाहिए थी, लेकिन गई बीजेपी के पास, क्योंकि कांग्रेस के 6 और निर्दलीय तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। जिसका नतीजा ये हुआ कि 40 विधायकों का बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस हार गई। अब बुधवार सुबह एक नया बवाल शुरू हुआ, जब कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने PWD मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी और CM सुक्खू पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंप रहा हूं।” विक्रमादित्य ने कहा, “मुझे अपमानित और कमजोर करने की कोशिश की गई, लेकिन आपत्तियों के बावजूद मैंने सरकार का समर्थन किया।”

विक्रमादित्य सिंह ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि वह पिछले दो दिनों के घटनाक्रम से बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि कांग्रेस के लिए क्या गलत हुआ।

BJP के 15 विधायक निलंबित

इधर विक्रमादित्य के इस्तीफे से कांग्रेस समझ चुकी थी कि उसकी सरकार पर जल्द ही कोई पहाड़ टूटने वाला है। दूसरी ओर विधानसभा सत्र शुरू हुआ, जिसमें राज्य सरकार के बजट प्रस्ताव को पास किया जाना था। सत्र शुरू होने के बाद पता चला कि स्पीकर ने बीजेपी के 15 विधायकों को सदन में हंगामा करने और गलत व्यवहार करने के चलते निलंबित कर दिया। फिर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। हालांकि, बीजेपी सदस्यों ने सदन से जाने से इनकार कर दिया। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि मार्शल्स ने उनको साथ धक्का मुक्की की।

दरअसल संसदीय मामलों के मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने विधानसभा अध्यक्ष का अपमान करने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में भाजपा सदस्यों को निलंबित करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया।

सदन की तरफ से ध्वनि मत से प्रस्ताव को पारित किए जाने पर चौहान ने कहा कि सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए इन विधायकों को निलंबित किया जाना चाहिए।

राज्यपाल से सुबह ही मिल आए बीजेपी नेता

बीजेपी इस मामले में एक कदम आगे निकली, क्योंकि उसके नेता सुबह ही राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात कर आए थे और उनके सामने ये आशंका जता चुके थे कि विधानसभा अध्यक्ष उनके विधायकों और ‘क्रॉस वोटिंग’ करने वाले कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं। इसलिए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की। साथ ही बीजेपी विधायक विधानसभा के बाहर धरने पर भी बैठ गए।

हिमाचल में आए सियासी भूकंप के झटके कांग्रेस आलाकमन ने भी महसूस किए और उसने तीन ऑब्जर्वर को विधायकों से मिलने और बातचीत करने के लिए शिमला जाने को कहा.. ये तीन नेता है- छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कर्नाटक डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार।

इस बीच क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस विधायक और तीन निर्दलीय विधायक भी विधानसभा पहुंचे। विधायक राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के बाद मंगलवार को शिमला से हरियाणा चले गये थे और रातभर पंचकूला के एक होटल में रहे।

‘जय श्री राम, बन गया काम’

वे सभी बुधवार सुबह पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम से हेलीकॉप्टर से रवाना हुए। जब नौ विधायक सदन में आये तो BJP सदस्यों ने मेज थपथपाकर और ‘‘जय श्री राम, बन गया काम’’ जैसे नारे लगाकर उनका स्वागत किया। हालांकि, इसके बाद ये विधायक यहां किसी अज्ञात जगह पर चले गए।

ये सब चल ही रहा था कि खबर आई कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने पद से इस्तीफा देने को मान गए हैं। पार्टी आलाकमान ने उनसे इस्तीफा देने के लिए तैयार रहने को कहा। खैर सीएम का इस्तीफा तो नहीं आया, बल्कि खुद सीएम ने सामने से आकर इन सभी खबरों का खंडन कर दिया कि न उनसे किसी ने इस्तीफा मांगा है और न ही उन्होंने इस्तीफा दिया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया कि वे पूरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे। सुक्खू ने PTI के सवाल पर कहा, “न तो केंद्रीय नेतृत्व ने और न ही किसी और ने मुझे इस्तीफा देने को कहा है और ऐसी कोई बात नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, “जिस तरह का काम राज्य के BJP नेताओं की तरफ से किया गया है। वे अपने ही लोगों पर भरोसा नहीं करते। सीआरपीएफ तैनात की गई थी। हरियाणा पुलिस तैनात की गई थी। हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया।”

विधानसभा से बजट पास हो गया

इतनी गहमागमी के बीच विधानसभा से बजट पास हो गया। इसके बाद विक्रमादित्य सिंह फिर से मीडिया के सामने आए और बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर कहा कि अभी तो ऐसा कुछ नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उनकी बात प्रियंका गांधी से भी हुई है।

वहीं मुख्यमंत्री ने भी नरम रुख अपनाते हुए विक्रमादित्य सिंह को अपना छोटा भाई बताया और कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार करने का कोई मतलब नहीं है और उन्हें मना लिया जाएग। इस पर विक्रमादित्य ने भी बड़ा ही सही जवाब दिया। उन्होंने कहा, “ये तो मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है।”

वहीं जब पत्रकारों ने उनेस पूछा कि आप दिनभर प्रेशर में दिखाई दिए, तो उन्होंने बड़े ही हल्के फुल्के अंदाज में कहा, “मैं प्रेशर लेता नहीं, देता हूं।”

‘बजट पास करने के लिए हमें निलंबित किया’

उधर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व CM जयराम ठाकुर ने बताया कि स्पीकर ने बीजेपी के 15 विधायक क्यों सस्पेंड किए। उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास 25 विधायक हैं। राज्यसभा में वोटिंग के बाद यह संख्या बढ़कर 34 हो गई। इससे सरकार के लिए खतरा पैदा हो गया। उन्हें किसी तरह बजट पास कराना था वरना सरकार गिर जाती। इसके लिए उन्हें बीजेपी विधायकों के नंबर कम करने पड़े। मेरे सहित 15 विधायकों को निलंबित कर दिया गया है। हमें कांग्रेस सरकार बचाने के लिए निलंबित किया गया था। हमारे निलंबन के बाद, उन्होंने बजट पारित किया।”

बीजेपी के निलंबत विधायकों में जयराम ठाकुर के अलावा विपिन परमार, विनोद कुमार, हंस राज, जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जामवाल, दीप राज, सुरेंद्र शौरी, पूरन ठाकुर, इंद्र सिंह गांधी, दिलीप ठाकुर, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार और रणवीर सिंह भी शामिल हैं।

खैर शाम होते-होते मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में सरकार की साजिश नाकामयाब हो गई है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम तो सबको माफ करने वाले लोग हैं, हम बदले की भावना से काम करने वाले लोग नहीं हैं।

वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री ने एक याचिका दी थी, जिस पर क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों को नोटिस जारी किया गया। विधानसभा में इस पर सुनवाई हुई और स्पीकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, तो वहीं बीजेपी अपने 15 विधायकों के निलंबन के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख कर सकती है।

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