उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने सोमवार को टिकाऊ विकास पर उच्च स्तरीय राजनैतिक मंच (HPLF) के मंत्री स्तरीय सत्र को सम्बोधित करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की धीमी गति को तेज़ करने के लिए, तत्काल और निर्णायक कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई है.
आमिना मोहम्मद ने इस सत्र को यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की तरफ़ से सम्बोधित करते हुए कहा, “ग़ाज़ा, सूडान, यूक्रेन और अन्य स्थानों पर युद्ध व टकराव, जान-माल का भारी नुक़सान कर रहे हैं और राजनैतिक ध्यान व पहले से क़िल्लत का सामना कर रहे संसाधनों को, निर्धनता उन्मूलन व जलवायु आपदा को टालने के प्रयासों से हटा रहे हैं.”
उन्होंने सैन्य बजटों में कटौती करने और संसाधनों को शान्ति और विकास पर ख़र्च किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
एसडीजी की हालत जर्जर
आमिना मोहम्मद ने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की मौजूदा जर्जर हालत को रेखांकित करते हुए ध्यान दिलाया कि इनमें से केवल 17 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति का सही रास्ते पर हैं, जबकि 2030 की समय सीमा बहुत निकट है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “भविष्य की पीढ़ियों को टिकाऊ विकास के 17 प्रतिशत से कहीं अधिक का हक़ है.”
यूएन उप प्रमुख ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की 2030 की समय सीमा हासिल करने के लिए, चार बिन्दुओं वाली एक रणनीति का ख़ाका भी पेश किया.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कि पहला क़दम होगा शान्ति स्थापना जिसमें राजनैतिक और वित्तीय संसाधनों को, टकरावों से हटाकर विकास प्रयासों की तरफ़ मोड़ना.
उन्होंने हरित व डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाए जाने की महत्ता पर भी ज़ोर दिया और देशों से अपनी जलवायु कार्रवाई को, वर्ष 2025 तक आगे बढ़ाने का आग्रह किया. ये कार्रवाई पेरिस जलवायु समझौते में सहमत तापमान वृद्धि की दर को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य से मेल खानी चाहिए. उन्होंने साथ ही डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार में संसाधन निवेश किए जाने पर भी ज़ोर दिया.
शान्ति में संसाधन निवेश
आमिना मोहम्मद ने एसडीजी प्रगति को बाधित करने वाली वित्तीय चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए, अनेक विकासशील देशों में बढ़ती वित्तीय खाई और अस्थिर होती वित्तीय परिस्थितियों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया.
उन्होंने एसडीजी के वादे – किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना – की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया. इसमें उन्होंने निर्बल परिस्थितियों वाली आबादियों को प्राथमिकता पर रखने, विकलांगता वाले व्यक्तियों के अधिकारों को बरक़रार रखने और लैंगिक विषमता का मुक़ाबला करने पर भी ज़ोर दिया.
देशों को कार्रवाई करनी होगी
यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने भी कार्रवाई की तात्कालिकता पर ज़ोर दिया और अनेक तरह की निर्धनता में रहने वाले लगभग एक अरब 10 करोड़ लोगों की पीड़ा की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.
उन्होंने इस सत्र को सम्बोधित करते हुए आगाह किया, “आज 1.1 अरब लोग बहुकोणीय निर्धनता में जीवन जीने को मजबूर हैं. अगर हमने कारगर कार्रवाई नहीं की तो, दुनिया की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा, यानि क़रीब 68 करोड़ लोग, वर्ष 2030 तक खाद्य क़िल्लत के गर्त में चले जाएंगे.”