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स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार, भावी पीढ़ियों के लिए माताओं की पुकार, ‘फिर कभी नहीं’

स्रेब्रेनीत्सा में बोसनियाई मुसलमानों का यह जनसंहार, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए यहूदियों के जनसंहार के बाद, योरोप में इनसानों का सबसे बड़ा क़त्लेआम था.

इस जनसंहार ने, जीवित बचे लोगों, मारे गए लोगों के परिवारों और कुल मिलाकर पूरे बोसनिया हरज़ेगोविना समाज पर गहरे भावनात्मक घाव छोड़े हैं.

स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार 1992 में शुरू हुए यूगोस्लाविया के विघटन के दौरान भड़के युद्धों और नस्लीय सफ़ाए की एक परिणति था.

स्रेब्रेनीत्सा में हुए क़त्लेआम को अपनी आँखों से देखने की विवशता से गुज़रने वालों में एक थीं कादा हॉटिक, जिन्होंने उस जनसंहार में अपने पति, पुत्र और अन्य 50 परिजन को खो दिया था.

कादा हॉटिक, स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार में जीवित बचे लगभग 6 हज़ार लोगों के एक पैरोकारी समूह की सदस्य हैं, जिसका नाम है – “Mother of Srebrenica” यानि “स्रेब्रेनीत्सा की माँ”. उन्होंने अपनी जीवन, बोसनिया हरज़ेगोविना के एक ऐसे नए भविष्य के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया है जहाँ लोग अपनी नस्लीय पहचान की परवाह किए बिना, शान्ति के साथ ज़िन्दगी जी सकें.

बच्चों को जागरूक बनाएँ

कादा हॉटिक, गुरूवार को इस दिवस के अवसर पर, यूएन मुख्यालय में मौजूद थीं और उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में, स्रेब्रेनीत्सा में हुए जनसंहार की स्मृति जीवित रखने और जो कुछ हुआ उस पर आत्ममन्थन करने की महत्ता पर ज़ोर दिया.

कादा हॉटिक ने कहा, “यह भावी पीढ़ियों के लिए एक चेतावनी है ताकि ऐसा किसी के भी साथ, फिर कभी नहीं हो.”

“बच्चे जागरूक व शिक्षित हों ताकि वो यह जान सकें कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है, और इस तरह के वीभत्स युद्ध, किस तरह की अमानवीय हरकतें दिखाते हैं… हमें युद्धों की दरकार नहीं है, हमें ज़िन्दगी को चुनने के लिए वोट देने की ज़रूरत है, नाकि जीवन में तकलीफ़ें उठाने के लिए.”

अन्तरराष्ट्रीय दिवस

1995 में हुए स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार की स्मृति और आत्ममन्थन का प्रथम दिवस, यूएन महासभा द्वारा 11 जुलाई को चिन्हित किए जाने के सन्दर्भ में, गुरूवार का कार्यक्रम आयोजित हुआ है.

यूएन महासभा ने मई (2024) में इस सम्बन्ध में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके समर्थन में 4 वोट पड़े, जबकि 19 वोट विरोध में पड़े और 68 देशों ने मतदान में शिरकत नहीं की. इस प्रस्ताव में सदस्य देशों से सत्यापित तथ्यों को संरक्षित किए जाने के लिए कहा गया है. इनमें शिक्षा व जागरूकता प्रसार का सहारा लिया जाना भी शामिल है जो स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के बारे में वास्तविकता का खंडन करने और उसे तोड़-मरोड़कर पेश करने को रोकने और भविष्य में इस तरह के जनसंहार फिर नहीं होने देने पर लक्षित हो.

इस प्रस्ताव के विरोध में मत करने वाले देशों में प्रमुख थे – सर्बिया जिसके राष्ट्रपति ने प्रस्ताव के मसौदे को “राजनैतिक रूपर से अति भड़काऊ” क़रार दिया था और कहा था कि इससे “विवादों का एक नया पिटारा” खुल जाएगा.

स्रेब्रेनीत्सा में जनसंहार

स्रेब्रेनीत्सा में हुआ जनसंहार, पूर्व यूगोस्लाविया के विघटन के बाद भड़के युद्ध का, एक काला अध्याय है.

जुलाई 1995 में, बोसनिया की सर्ब सेना ने स्रेब्रेनीत्सा पर क़ब्ज़ा कर लिया था, जबकि सुरक्षा परिषद ने अतीत में स्रेब्रेनीत्सा को सुरक्षित स्थान घोषित कर दिया था. सर्ब सेना ने स्रेब्रेनीत्सा में हज़ारों पुरुषों और किशोरों की हत्या कर दी, और वहाँ से लगभग 20 हज़ार लोगों को बाहर निकाल दिया.

नैदरलैंड के शान्तिसैनिकों की एक छोटी टुकड़ी वहाँ मौजूद थी, जिसके पास हल्के हथियार थे और वो बोसनियाई सर्ब सेना का मुक़ाबला नहीं करने में असमर्थ थी.

बोसनियाई सर्ब सेना द्वारा, स्रेब्रेनीत्सा में बोसनियाई मुसलमानों की क्रूर हत्या को, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और पूर्व यूगोस्लाविया के लिए अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक ट्राइब्यूनल ने, जनसंहार क़रार दिया था.

स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार से प्रभावित विस्थापित लोगों के लिए बनाया गया एक शिविर. उसके चारों तरफ़ बाड़ लगाई गई ताकि लोग आसपास के मैदानों में नहीं जा सकें, वहाँ बारूदी सुरंगें बिछी होने का डर था.

सदैव सतर्क रहें

यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने गुरूवार के इस उच्च स्तरीय स्मृति कार्यक्रम में कहा कि “स्रेब्रेनीत्सा के सबक़, स्पष्ट हैं.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “असहनशीलता और नफ़रत को जब फलने-फूलने की अनुमति दी जाती है तो उसका अंजाम ऐसे अत्याचारों के रूप में होता है जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.”

उन्होंने आग्रह करने के अन्दाज़ में कहा, “हम सदैव सतर्क रहना होगा और ऐसे भड़काऊ बयानों का मुक़ाबला करना होगा जो इनसानों को बदनाम करें, उनकी गरिमा का खंडन करें, और किसी विशेष मानवीय समूह के विरुद्ध भेदभाव करें… क्योंकि भड़काऊ भाषा की जडड़ हमेशा नफ़रत में होती है – और अगर उसे बेक़ाबू छोड़ दिया जाए तो वो सदैव ही ऐसी बुराई छोड़ती है जिसे बयान नहीं किया जा सकता.”

जनसंहार की रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरीमू न्देरीतू ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की और महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का सन्देश पढ़कर सुनाया.

यूएन प्रमुख के इस सन्देश में कहा गया, “29 वर्ष पहले, संयुक्त राष्ट्र और पूरा विश्व, स्रेब्रेनीत्सा में लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहे थे… आज, हम उस जनसंहार का शिकार हुए लोगों की स्मृति का सम्मान करते हैं और जीवित बचे लोगों के सात एकजुटता से खड़े हैं.”

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