एलॉन मस्क के भारत दौरे से कुछ दिनों पहले 16 अप्रैल को फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सैटेलाइट संबंधी गतिविधियों में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) की सीमा बढ़ाकर 100% कर दी है। इसके लिए फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (नॉन-डेट इंस्ट्रूमेंट्स) रूल्स, 2019 में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है।
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने स्पेस सेक्टर में कुछ गतिविधियों के लिए ऑटोमेटिक रूट के जरिये फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट की सीमा 100 पर्सेंट तक बढ़ाने को मंजूरी दी थी। इन गतिविधियों में सैटेलाइट्स से जुड़े कंपोनेंट्स और अन्य सिस्टम की मैन्युफैक्चरिंग शामिल है।
यह नोटिफिकेशन 16 अप्रैल से लागू हो गया है। सरकार ने यह नोटिफिकेशन दुनिया के प्रमुख उद्यमी और स्पेसX के CEO एलॉन मस्क के भारत दौरे से ठीक पहले जारी किया है। मस्क 22 अप्रैल को भारत दौरे पर आएंगे और यहां उनकी मुलाकात भारत की स्पेस टेक स्टार्टअप्स के प्रतिनिधियों से भी हो सकती है।
नोटिफिकेशन के तहत सैटेलाइट्स से जुड़े कंपोनेंट्स और सिस्टम व सब-सिस्टम की मैन्युफैक्चरिंग के लिए ऑटोमैटिक रूट के जरिये 100% एफडीआई की मंजूरी दी गई है, जबकि सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग और ऑपरेशन, सैटेलाइट डेटा प्रोडक्ट्स और ग्राउंड सेगमेंट व यूजर सेगमेंट के लिए 75 पर्सेंट एफडीआई की अनुमति होगी। इन गतिविधियों में 74% से ज्यादा एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। लॉन्च व्हीकल और इससे जुड़े सिस्टम एवं सब-सिस्टम आदि के लिए 49% एफडीआई की अनुमति दी गई है। इस सीमा से ज्यादा विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।
नोटिफिकेशन के मुताबिक, ‘इनवेस्ट करने वाली इकाई को स्पेस डिपार्टमेंट द्वारा संबंधित सेक्टर के लिए समय-समय पर जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करना होगा।’ सरकार का मकसद स्पेस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाना है, ताकि इससे रोजगार और आधुनिक तकनीक को बढ़ावा मिल सके और यह सेक्टर आत्मनिर्भर बन सके। स्पेस सेक्टर में एफडीआई सीमा बढ़ने से भारतीय कंपनियों बेहतर तरीके से ग्लोबल वैल्यू चेन से जुड़ सकेंगी। सरकार ने फरवरी में कहा था, ‘इसके साथ ही कंपनियां देश में ही अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी तैयार कर सकेंगी।’