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सैलरी मांगने का हक नहीं, FIITJEE के फाउंडर के इस बवाल पर क्या है आपका जवाब!

अगर आप किसी से पूछे कि आप नौकरी क्यों करते हैं तो लगभग हर शख्स का जवाब यही होगा कि पैसों के लिए। लेकिन इस बात को FIITJEE के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर दिनेश कुमार गोयल गलत मानते हैं। उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है कि सब लोग हैरान हो चुके हैं। इस महीने की शुरुआत में ही उन्होंने अपने कर्मचारियों को कहा था, “सैलरी मांगना किसी का अधिकार नहीं।”

इतना ही नहीं गोयल ने फरवरी में कर्मचारियों की सैलरी भी रोक कर रखी है। अभी तक कर्मचारियों को सिर्फ जनवरी की आधी सैलरी मिली है। कंपनी ने अपने इस एक्शन को सही भी ठहराया है। मनीकंट्रोल ने अपनी पहली रिपोर्ट में यह बताया था कि FIITJEE का मैनेजमेंट इसे “Wakeup Call” कह रहा है। वेकअप कॉल का मतलब आप ये समझ लीजिए कि कंपनी चेतावनी दे रही है कि अब और काम का प्रेशर बढ़ने वाला है।

यह खबर आते ही सोशल मीडिया पर बयानों की बाढ़ आ गई है और सब इसकी गोयल के इस एक्शन पर सवाल उठ रहे हैं। अब गोयल ने जो किया वो कितना सही है.. क्या ऐसा करना लीगल है? आपके मन में भी ऐसा सवाल आया है?

इसलिए मनीकंट्रोल ने कुछ लीगल प्रोफेशनल्स और HR स्पेशलिस्ट से बात करके यह जानने की कोशिशकी है कि FIITJEE के बॉस ने जो कदम उठाया है वह किस हद तक सही है। और क्या कर्मचारी इस कदम के खिलाफ अदालत में जा सकते हैं।

FIITJEE का सैलरी रोकना सही है या गलत?

स्टाफिंग कंपनी टीमलीज सर्विसेज (TeamLease Services) की कोफाउंडर रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि कई बार ऐसे मौके आते हैं जब बिजनेस लीडर्स को कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। हालांकि किसी भी हाल में कोई कंपनी अपने कर्मचारियों की सैलरी नहीं रोक सकती है।

चक्रवर्ती के मुताबिक, “कई बार आपको हालात को देखते हुए कड़े फैसले लेने पड़ते हैं लेकिन फिर भी आप इतना गलत फैसला नहीं ले सकते हैं।”

Sarvada Legal के को-फाउंडर और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड टी सुंदर रामनाथन ने कहा कि यह किसी भी कंपनी के उसूल के खिलाफ है क्योंकि कोई भी कर्मचारी सैलरी के लिए काम करते हैं।

उन्होंने ये भी कहा, “अगर ये कहा जाए कि कर्मचारी भी कंपनी के मालिक हैं तो उन कर्मचारियों को भी कंपनी का फायदा मिलना चाहिए।”

FIITJEE ने जुटाया कितना फंड?

Tracxn के मुताबिक FIITJEE ने जुलाई 2009 में मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया और कोटक इनवेस्टमेंट बैंकिंग से 2.1 करोड़ डॉलर जुटाया था। तब कंपनी का वैल्यूएशन 34.7 करोड़ डॉलर था। आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनी ने 2011 में एकबार फिर फंडिंग जुटाई थी। हालांकि इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कंपनी ने किससे और कितना फंड जुटाया है।

Traya Law के पार्टनर और सुप्रीम कोर्ट के Advocate-on-Record अजीत कुमार ने कहा, “यह गवर्नेंस का मामला है। बोर्ड इस बात का फैसला लेगा कि आगे इस मामले में क्या एक्शन लिया जाएगा।”

आखिर FIITJEE ने यह फैसला क्यों लिया?

कंपनी ने अपने कर्मचारियों को एक मेल लिखकर कहा कि उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं है। और इस वजह से चेयरमैन और मैनेजमेंट टीम ने दूसरे कई सुझावों के साथ यह सलाह दी कि कर्मचारियों की सैलरी रोक ली जाए।

FIITJEE की कब हुई थी शुरुआत

गोयल ने FIITJEE की शुरुआथ 1992 में की थी। उन्होंने IIT दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया था। FIITJEE का काम स्टूडेंट्स को ITI-JEE के टेस्ट और दूसरी परीक्षाओं के लिए तैयार करना था। देशभर में कंपनी के 100 से ज्यादा सेंटर हैं। इसके पास 4000 से ज्यादा टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मचारी हैं।

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