राजनीति

सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर स्थानीय अदालत 12 जनवरी को फैसला सुनाएगी

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन के एक मामले में पिछले साल गिरफ्तार किये गये तमिलनाडु सरकार के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर एक स्थानीय सत्र अदालत 12 जनवरी को फैसला सुनाएगी।
मंगलवार को प्रधान सत्र न्यायाधीश एस अल्ली ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमसुंदरम और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ए आर एल सुंदरेसन की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद 12 जनवरी के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।
आर्यमसुंदरम ने कहा कि याचिकाकर्ता 207 दिनों तक कैद में रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और हिरासत में पूछताछ भी समाप्त हो गयी है।

उन्होंने कहा, इसके अलावा, अभियोजन पक्ष द्वारा जिन सभी बयानों और दस्तावेजों पर भरोसा किया गया, वे सभी ईडी के पास हैं, तो उन्हें कैद में रखना सजा देने के बराबर होगा।
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता, बालाजी ने यह बताने के लिये अपने मामले को पुख्ता किया है कि इस अदालत के पास यह विश्वास करने के पर्याप्त कारण हैं कि मामले में वह दोषी नहीं हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं है। उन्होंने कहा, सारी आय बैंक में जमा कर दी गई है और आयकर विभाग ने याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल रिटर्न को स्वीकार कर लिया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिवक्ता सुंदरेसन ने कहा कि याचिका में उठाए गए सभी तर्कों पर पहले ही बहस हो चुकी है और इस अदालत ने उसे खारिज करते हुए एक तर्कसंगत आदेश पारित किया है।

उन्होंने कहा कि पहली जमानत याचिका शिकायत दर्ज करने से पहले दायर की गई थी और इसे खारिज कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज होने और उसकी एक प्रति आरोपी को देने के बाद दूसरी जमानत अर्जी दायर की गयी, इसे भी गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर यह तीसरी जमानत अर्जी है और इसलिए अदालत इस पर विचार नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि विधेय अपराध नौकरियों के बदले नकद लेना और लोगो को धोखा देने का है। उन्होंने कहा कि एक बार जब यह हो गया, तो अपराध की आय को एकत्र करना, उसे छिपाना, उसे रखना और उसका उपयोग करना धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा तीन के तहत आता है।

उन्होंने कहा, यदि विधेयात्मक अपराध में दोषसिद्धि होती है तो पीएमएलए के तहत अपराध में भी अंतत: दोषसिद्धि होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘रिटर्न फाइल करने से धन वैध नहीं हो जायेगा। आय का कोई स्रोत नहीं है। आय के स्रोत की व्याख्या नहीं की गयी है। याचिकाकर्ता लगातार बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं। इसलिये उनके चरित्र पर भी गौर किया जाना चाहिये। याचिकाकर्ता एवं अन्य ने पिछले साल आयकर अधिकारियों पर हमला किया था। परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसलिये, वह हर महीने जमानत अर्जी दाखिल नहीं कर सकते हैं।’’
पीएमएलए अधिनियम के तहत आरोपी को हिरासत में रहना होता है। अगर सुनवाई तय वक्त में नहीं होती है तो आरोपी की रिहाई पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईडी इस मामले में मुकदमा चलाने के लिए तैयार है।

बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने नौकरी के बादले नकदी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। यह घटनाक्रम उस वक्त हुआ था जब अन्नाद्रमुक सत्ता में थी और वह परिवहन मंत्री थे।
गिरफ्तारी के तुरंत बाद एक निजी अस्पताल में उनकी बाइपास सर्जरी हुयी थी। बाद में ईडी ने पूछताछ के लिये उन्हें हिरासत में लिया था, और इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, जिसे अदालत समय-समय पर बढ़ती आ रही है।
बालाजी के खिलाफ जांच एजेंसी ने इस मामले में 12 अगस्त को 3000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था। बालाजी की जमानत याचिका की अर्जी को पिछले साल 19 अक्टूबर को मद्रास उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इससे पहले भी दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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