उन्होंने सोमवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि देश में 2.5 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और उनकी पीड़ा दिनोंदिन बढ़ रही है.
“हज़ारों आम नागरिकों की जान जा रही है और अनगिनत अन्य लोग बड़े पैमाने पर बलात्कार व यौन हमलों समेत ऐसे अत्याचारों को सहन कर रहे हैं, जिन्हें बयाँ नहीं किया जा सकता है.”
हाल के दिनों में सूडान के अल जज़ीरा प्रान्त में सामूहिक हत्याओं और यौन हिंसा के मामले सामने आए हैं. महासचिव ने कहा कि सूडान में हालात से पूरे क्षेत्र में अस्थिरता उत्पन्न होने का ख़तरा है, जिसका असर सहेल क्षेत्र से लाल सागर तक महसूस किया जा सकता है.
देश के नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त में विस्थापितों के शिविरों में अकाल जैसी परिस्थितियाँ और साढ़े सात से अधिक लोग भुखमरी के कगार पर हैं.
वहीं, अन्य हिस्सों में लाखों लोग अपना पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हैज़ा, मलेरिया, डेंगू समेत अन्य बीमारियों का प्रकोप है जबकि स्वास्थ्य प्रणालियाँ दरक चुकी है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि सूडान, विश्व में सबसे बड़ा विस्थापन संकट है और पिछले वर्ष अप्रैल महीने से अब तक 1.1 करोड़ लोग बेघर हो चुके हैं. इनमें 30 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.
विकट हालात के मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) से लड़ाई रोकने और वार्ता के ज़रिये शान्ति हासिल करने का आग्रह किया है.
“मगर, तनाव में कमी लाने के बजाय वे सैन्य कार्रवाई में तेज़ी ला रहे हैं. इस बीच, बाहरी शक्तियाँ इस आग को और भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद ने जून में प्रस्ताव 2736 को पारित करके एक कड़ा सन्देश दिया था, मगर अब ज़मीन पर क़दम उठाए जाने की ज़रूरत है.
अहम सिफ़ारिशें
यूएन प्रमुख ने सूडान में आम नागरिकों की रक्षा के लिए अपनी सिफ़ारिशों को साझा किया, जिन्हें उन्होंने पिछले सप्ताह प्रस्तुत किया था.
इस क्रम में, एंतोनियो गुटेरेश ने अपनी तीन प्राथमिकताओं को पेश किया:
- हिंसक टकराव पर तुरन्त विराम लगाया जाना होगा. दोनों पक्षों को युद्धविराम और लड़ाई में मानवीय आधार पर ठहराव पर सहमत होना होगा, ताकि शान्ति वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो सके.
- दूसरा, सूडान में आम नागरिकों की रक्षा के लिए कठोर क़दम उठाए जाने होंगे. युद्ध अपराधों के लिए ज़िम्मेदार की जवाबदेही को तय किया जाना होगा और सूडान में हथियारों व आयुध सामग्री के प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रवाह को रोकना होगा.
- तीसरा, देश में ज़रूरतमन्द आबादी तक राहत पहुँचाने के लिए बिना किसी अवरोध के मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराया जाना होगा. यूएन और मानवीय सहायता संगठनों के प्रयासों के बावजूद लाखों लोगों को मदद नहीं मिल पा रही है.
यूएन प्रमुख ने दानदाताओं से सहायता धनराशि प्रदान करने का भी आग्रह किया है और ध्यान दिलाया है कि 2.7 अरब डॉलर की अपील की गई थी, लेकिन फ़िलहाल 56 फ़ीसदी ही जुटाना सम्भव हो पाया है.