सूडान और चाड के दरम्यान ऐड्रो सीमा चौकी, कई वर्षों से बन्द पड़ी थी. यह सीमा चौकी, सूडान के दारफ़ूर क्षेत्र में लाखों लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए, बहुत सीधा और बाधा रहित मार्ग है.
दारफ़ूर क्षेत्र में, अत्यन्त गम्भीर स्तर का भूख संकट व्याप्त है, जिससे लाखों लोग त्रस्त हैं.
खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने हाल ही में घोषणा की थी कि सूडान की प्रतिद्वन्द्वी सेनाओं के बीच अप्रैल 2023 में भड़के युद्ध ने, उत्तरी दारफ़ूर क्षेत्र के कुछ इलाक़ों को अकाल में धकेल दिया है.
अकाल से, ज़मज़म शिविर इलाक़ा विशेष रूप से प्रभावित है जहाँ पाँच लाख से अधिक विस्थापित लोग पनाह लिए हुए हैं.
मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति
यूएन प्रमुख के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने एक वक्तव्य में कहा है कि महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मानवीय सहायता की आपूर्ति और आम लोगों के संरक्षण के लिए, ठोस व टिकाऊ उपायों की महत्ता को अहम बताया है.
ऐसा किया जाना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और पूर्व सहमत नियमों व औपचारिकताओं के तहत, सूडानी पक्षों की ज़िम्मेदारियाँ हैं.
प्रवक्ता ने कहा, “मानवीय सहायता संगठनों को दारफ़ूर व देश के अन्य इलाक़ों में, मानवीय सहायता के ज़रूरतमन्द लोगों तक पहँचने के लिए, पूर्ण, सुरक्षित और निर्बाध रास्ता मुहैया कराना होगा.”
सहायता में वृद्धि
सूडानी अधिकारियों ने ऐड्रे सीमा चौकी का इस्तेमाल किए जाने की अनुमति फ़रवरी 2024 में रद्द कर दी थी, जिसके बाद, चाड से मानवीय सहायता सामग्री देश में पहुँचाने के लिए, केवल टाइन सीमा चौकी ही एक मात्र रास्ता बचा था.
संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियाँ भी ऐड्रे सीमा चौकी को खोले जाने का स्वागत कर चुकी हैं, जिनमें विश्व खाद्य कार्यक्रम भी शामिल है.
ऐड्रे सीमा चौकी के खोले जाने से, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को दारफ़ूर, कोरदोफ़ान, ख़ारतूम और अल जज़ीराह में अकाल का सामना कर रहे 14 इलाक़ों तक खाद्य सामग्री की आपूर्ति में बढ़ोत्तरी करने में आसानी होगी.
इस मिशन का मक़सद, वर्ष 2024 के अन्त तक लगभग 84 लाख लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाना है.