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सूडान: मानवाधिकार हनन मामले रोकने के लिए, हथियारों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर पाबन्दी की मांग

सूडान: मानवाधिकार हनन मामले रोकने के लिए, हथियारों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर पाबन्दी की मांग

सूडान के लिए स्वतंत्र, अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मिशन ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि मध्य-अप्रैल 2023 से अब तक, सूडान में हिंसक टकराव, देश के 18 प्रान्तों में से 14 में फैल चुका है, जिससे पूरा देश व क्षेत्र प्रभावित हुआ है.

मिशन के प्रमुख मोहम्मद चान्डे ओथमान के अनुसार, 80 लाख से अधिक सूडानी नागरिक लड़ाई के कारण देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं, जबकि 20 लाख से अधिक पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हु ऐसे ए हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने जिनीवा में अक्टूबर 2023 में स्वतंत्र तथ्य-खोजी मिशन को गठित किया था, जिसके बाद सूडान संकट पर यह पहली रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

रिपोर्ट बताती है कि सूडानी सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) और उनके सहयोगी गुटों के बीच बड़े पैमाने पर ताबड़तोड़ लड़ाई, हवाई हमले और गोलाबारी हुई और आम नागरिको पर भी सीधे हमले हुए.

आम नागरिकों के अलावा, स्कूलों, अस्पतालों, संचार नैटवर्क, जल व बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निशाना बनाया गया, जबकि ग़ैर-युद्धकों की रक्षा सुनिश्चित करने के प्रति पूर्ण रूप से बेपरवाही बरती गई.

मिशन ने ज़ोर देकर कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन मामलों के लिए पूरी ज़िम्मेदारी, दोनों पक्षों और उनके सहयोगी गुटों की है, और इनमें से कई हनन मामलों को अन्तरराष्ट्रीय अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, सूडानी सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल ने घनी आबादी वाले इलाक़ों में लड़ाई लड़ी, और ख़ारतूम व दारफ़ूर के विभिन्न शहरों में निरन्तर हमले व गोलाबारी की गई.

जीवित बचे पीड़ितों का साहस

सूडान की सरकार ने स्वतंत्र, अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मिशन के साथ सहयोग से इन्क़ार कर दिया है, मगर इसके बावजूद, मानवाधिकार जाँचकर्ताओं ने 182 जीवित बचे पीड़ितों, परिजन और प्रत्यक्षदर्शियों की ग़वाही दर्ज की है.

इसके अलावा, विशेषज्ञों और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं के साथ विस्तृत चर्चा की गई है, ताकि अन्य पक्षों से मिली जानकारी की पुष्टि की जा सके. स्वतंत्र मिशन के अनुसार, अर्द्धसैनिक बल RSF ने विशेष रूप से दारफ़ूर क्षेत्र और ग्रेटर ख़ारतूम इलाक़े में बड़े पैमाने पर यौन हिंसा को अंजाम दिया.

पीड़ितों ने बताया कि उनके घरों पर हमले हुए, उन्हें पीटा गया, बच्चों या रिश्तेदारों को जान से मार देने की धमकियाँ दी गईं और फिर एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा बलात्कार किया गया.

जान बचाकर भागने के दौरान भी पीड़ितों को यौन हिंसा का शिकार बनाया गया, और कुछ मामलों में RSF सदस्यों द्वारा अगवा कर लिए जाने के बाद महिलाओं को यौन दासता के लिए मजबूर किए जाने के साक्ष्य मिले हैं.

अन्तरराष्ट्रीय मिशन ने बताया कि सूडानी सैन्य बल शहरों और शरण स्थलों पर आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने में विफल रहे.

इसके मद्देनज़र, मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि दारफ़ूर में हथियारों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर लागू पाबन्दी को पूरे देश में लागू किया जाना होगा, ताकि हिंसक टकराव में कमी लाई जा सके.

जवाबदेही तय किए जाने पर बल

मानवाधिकार जाँचकर्ताओं ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सूडान के लिए एक शान्तिरक्षा बल स्थापित किए जाने का आग्रह किया गया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र या किसी अन्य क्षेत्रीय निकाय के तहत शुरू किया जा सकता है.

मिशन टीम के अनुसार, सूडान में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति ढह चुकी है, और बच्चों की लड़ाकों के रूप में बड़े पैमाने पर भर्ती की जा रही है.

इन अपराधों के लिए दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने पर बल दिया गया है, जिसके लिए अन्तरराष्ट्रीय न्यायिकतंत्र के तहत एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन अहम होगा, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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