पिछले वर्ष अप्रैल महीने में सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच लड़ाई भड़क उठी थी, जिसके बाद से ही देश हिंसक टकराव की चपेट में है और मानवीय व संरक्षण संकट उपजा है.
क़रीब ढ़ाई करोड़ लोग, यानि सूडान में आधी से अधिक आबादी को सहायता की आवश्यकता है, और 1.77 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.
मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने सचेत किया है कि लड़ाई और सख़्त पाबन्दियों के कारण नाज़ुक हालात से जूझ रहे लोगों तक सहायता पहुँचाने का रास्ता सीमित है, जिससे यह संकट और गहरा हुआ है, विशेष रूप से दारफ़ूर में.
हताशा भरे हालात
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) में पूर्वी अफ़्रीका के लिए क्षेत्रीय निदेशक माइकल डुनफ़ोर्ड ने बताया कि लड़ाई में फँसे आम नागरिक बहुत हताश हो चुके हैं.
उन्होंने बताया कि यूएन एजेंसी को बिना किसी पाबन्दी के सहायता मार्ग की आवश्यकता है और गुज़र-बसर के लिए जूझ रहे परिवारों तक मदद पहुँचाने के लिए सुरक्षा गारंटी दी जानी होगी.
“परिस्थितियाँ बेहद गम्भीर हैं. लोग घास व मूंगफली के छिलके खाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. यदि उन तक समय पर सहायता नहीं पहुँची, तो हम दारफ़ूर व सूडान के अन्य हिंसक टकराव प्रभावित इलाक़ों में बड़े पैमाने पर भुखमरी व मौतें देखेंगे.”
यूएन खाद्य कार्यक्रम के वरिष्ठ अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि मानवीय सहायताकर्मियों को चाड से लगी आद्रे सीमा चौकी का इस्तेमाल करने की अनुमति और पोर्ट सूडान से दारफ़ूर में ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने दी जानी चाहिए.
उत्तरी दारफ़ूर में झड़पों में तेज़ी आने के बाद से अब तक कम से कम 43 लोगों की जान गई है, जिनमें महिलाएँ व बच्चे भी हैं.
हाल ही में कई गाँवों पर हमले किए जाने के दौरान यौन हिंसा को अंजाम दिए जाने की भी घटनाएँ हुईं और हताहतों में बच्चे भी हैं.
‘अक्षम्य हिंसा’
अल-फ़शर में हथियारबन्द गुटों द्वारा घेराबन्दी किए जाने और आवाजाही पर पाबन्दी लगाने से परिवारों के लिए वहाँ से बाहर निकल पाना और मुश्किल हो गया है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने लड़ाई से बच्चों पर होने वाले असर पर क्षोभ व्यक्त किया.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि ये चिन्ताजनक घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब सूडान में बर्बर हिंसा, देश को हिसंक टकराव के कारण उपजने वाले अकाल और जनहानि की ओर धकेल रही है.
उन्होंने सभी पक्षों से तनाव में कमी लाने, आम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का रास्ता देने और नागरिक प्रतिष्ठानों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने की पुकार लगाई है.
कार्यकारी निदेशक के अनुसार, सूडान में बच्चे अक्षम्य हिंसा की पीड़ा झेल रहे हैं, जबकि उनके अभिभावक व अन्य परिजन के पास, अतीत की हिंसा के घाव अब भी हैं. “हम इसे जारी रहने नहीं दे सकते हैं.”
तनाव घटाने की अपील
इस बीच, सूडान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के निजी दूत रामतने लमाम्रा, देश में पसरे तनाव में कमी लाने के इरादे से विभिन्न पक्षों के साथ सम्पर्क व बातचीत में जुटे हैं.
यूएन प्रमुख के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने बताया कि महासचिव के निजी दूत ने सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) से अल-फ़शर में लड़ाई से बचने का आग्रह किया है.
उनका मानना है कि शहर पर हमला किए जाने के नागरिक आबादी के लिए विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं.
पिछले महीने अप्रैल में सूडान संकट के मुद्दे पर फ़्राँस की राजधानी पेरिस में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें निजी दूत लमाम्रा ने भी शिरकत की थी.
उन्होंने इसके बाद से चाड, इथियोपिया और ऐरीट्रिया का दौरा किया है, जहाँ उनकी अफ़्रीकी संघ व अन्य क्षेत्रीय नेताओं के साथ, मौजूदा संकट से बाहर निकलने के उपायों पर चर्चा हुई.