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सूडान: ख़तरनाक हालात के बीच यूएन की मौजूदगी, IOM मिशन प्रमुख

सूडान: ख़तरनाक हालात के बीच यूएन की मौजूदगी, IOM मिशन प्रमुख

सूडान में हिंसक टकराव क़रीब नौ महीने शुरू हुआ था. यूएन मानवतावादी कार्यालय ने इसे तेज़ी से उभरने वाले वैश्विक संकटों में क़रार दिया है, जहाँ 74 लाख लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं. 

एक अनुमान के अनुसार, देश की लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और हज़ारों लोग हैज़ा और अन्य बीमारियों के प्रकोप से पीड़ित हैं.  

पिछले साल सूडान में मध्य-अप्रैल में लड़ाई भड़की, जिसके बाद क़रीब पाँच लाख लोगों ने जान बचाने के लिए पड़ोसी देश, दक्षिण सूडान में शरण ली, जोकि विश्व के सर्वाधिक निर्धन देशों में है.

हज़ारों अन्य लोग आने वाले दिनों में सुरक्षा की तलाश में सूडान छोड़कर जा सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा हालात में दुर्व्यवहार की भयावह घटनाओं और मानवाधिकारों के उल्लंघन मामलों में जानकारी जुटाई है. 

बताया गया है कि राहत सामग्री से लदे ट्रक, भीषण लड़ाई के कारण ज़रूरतमन्द आबादी तक मदद पहुँचाने में असमर्थ हैं, ड्राइवरों को पीटा गया है, उनसे धन की उगाही की गई है और राहतकर्मियों को हिरासत में लिया गया है और उन्हें जान से मार दिए जाने की ख़बरें हैं. 

सूडान में यूएन प्रवासन एजेंसी के मिशन प्रमुख पीटर किओए ने पूर्वी शहर पोर्ट सूडान में अपने अस्थाई कार्यालय से यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में बताया कि सूडानी नागरिकों को बेहद ख़तरनाक हालात का सामना करना पड़ रहा है और मानवीय सहायताकर्मी उन तक राहत पहुँचाने में जुटे हैं. 

अपर नाइल प्रान्त में स्थित जोडा सीमा चौकी पर स्थित एक चौकी पर दक्षिणी सूडान से वापिस आने वाले लोग पहुँच रहे हैं.

पीटर किओए: मानवतावादी समुदाय के पास उन इलाक़ों में पहुँचने या उनका निरीक्षण करने की कोई क्षमता नहीं है, जहाँ लोग जान बचाने के लिए शरण ले रहे हैं या वे जिन स्थानों से बचकर भाग रहे हैं.

इससे उनके लिए अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण अधिकारों को सुनिश्चित करना वास्तव में कठिन हो जाता है, जबकि वे इसके हक़दार हैं.

मानवीय सहायता का अभाव उन्हें और अधिक निर्बल बनाता है. सूडान में मानवतावादी समुदाय के लिए सहायता मार्ग की सुलभता एक बड़ा मुद्दा है.

हमें मानवीय सहायताकर्मियों के लिए और अधिक सुरक्षित मार्ग सुलभ बनाए जाने की ज़रूरत है. दोनों पक्षों ने शान्ति वार्ता के दौरान मानवीय राहत के लिए रास्ता दिए जाने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब भी यह वादा पूरा नही किया जा रहा है.

यूएन न्यूज़: क्या ज़मीन पर मानवीय सहायताकर्मी अब भी मौजूद हैं?

पीटर किओए: कुल इलाक़ों में लोग मौजूद नहीं हैं, चूँकि यह बहुत ख़तरनाक है और मानवतावादी प्रयासों के लिए ज़मीन सिकुड़ रही है. हाल ही में यह टकराव अल जज़ीराह और व्हाइट नाइल प्रान्त तक पहुँच गया, जिसका अर्थ है कि मानवीय सहायताकर्मियों को वहाँ से हटना पड़ा. 

ट्रक ड्राइवर ऐसे कुछ इलाक़ों में राहत सामग्री पहुँचाते समय सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं.  

अप्रैल 2015 में सूडान में लड़ाई भड़कने के बाद हज़ारों लोगों ने सूडान और इथियोपिया की सीमा पर स्थित मेटेमा सहर में शरण ली.

यूएन न्यूज़: IOM के कर्मचारी किस तरह से प्रभावित हुए हैं?

पीटर किओए: संकट के शुरुआती दिनों में एक कर्मचारी की जान चली गई और हमें कस्साल, अल क़दारिफ़ और पोर्ट सूडान में अपने कार्यालयों में फिर से जुटना पड़ा.

मगर, हमें यह नहीं पता कि कितने दिनों तक. अर्द्धसैनिक बल (RSF) ने कहा है कि वे पूर्व में पोर्ट सूडान की ओर बढ़ रहे हैं. हमें यह नहीं पता कि कितनी जल्दी वे आगे बढ़ेंगे, इसलिए हम फ़िलहाल एक ख़तरनाक स्थिति में हैं. 

हमें यह नहीं पता कि अगले दो महीनों या फिर अगले दो हफ़्तों में क्या होगा. 

फ़िलहाल, पोर्ट सूडान में हालात अपेक्षाकृत स्थिर और शान्तिपूर्ण हैं, लेकिन यह शायद एक झूठा ऐहसास है, चूँकि हमें हमें नहीं पता है कि शहर में या उसके इर्दगिर्द क्या हो रहा है.

इसलिए, ख़ारतूम में हुए घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए हमने सतर्कता बनाए रखी है.

यूएन न्यूज़: क्या आप ख़ारतूम में अप्रैल 2023 के घटनाक्रम को बता सकते हैं, जब आपको वहाँ से हटना पड़ा?  

पीटर किओए: मेरे विचार में यह एक ऐसी स्थिति है, जिसका आप फिर सामना नहीं करना चाहेंगे. वो बेहद उथलपुथल भरा था. 

हर तरफ़ गोलियाँ चल रही थीं, लोग आने जाने में असमर्थ थे और अपने घरों में फ़र्नीचर के नीचे या कोने में शरण ढूंढ रहे थे. वो उम्मीद कर रहे थे कि कोई गोली खिड़की से ना आ जाए.

वो एक ऐसा दुस्वप्न था, जिससे होकर कोई नहीं गुज़रना चाहेगा, या इच्छा करेगा कि किसी दूसरे के साथ ऐसा हो.  

सूडान से जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में शरणार्थी, चाड पहुंचे हैं.

किसी को यह आशा नहीं थी कि ख़ारतूम को लड़ाई का सबसे ज़्यादा ख़ामियज़ा भुगतना पड़ेगा और इसलिए आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया गया था. 

इस वजह से यह बहुत भयभीत कर देने वाला अनुभव हो गया, विशेष रूप से परिवारों के लिए. 

मुझे याद है कि हम अपने कर्मचारियों के साथ समन्वय स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे, ताकि वहाँ से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए कुछ चिन्हित स्थानों पर एकत्र हो सकें.

विद्रोहियों और सरकारी सुरक्षा बलों द्वारा स्थापित की गई चौकियों की संख्या के कारण यह अपेक्षाकृत शान्त इलाक़ों में भी कठिन था. हमें अन्दाज़ा नहीं था कि सैनिकों की क्या प्रतिक्रिया होगी.

यूएन न्यूज़: पोर्ट सूडान में यूएन की टीम में किस तरह का हौसला है?

पीटर किओए: हम राहत पहुँचाने के लिए अब भी वहीँ पर रुके हुए हैं, हमारे पास क्षमता भी है, लेकिन हम उन लोगों तक मदद नहीं पहुँचा सकते हैं, जिन्हें हमारे समर्थन की आवश्यकता है. और यह बेहद हताश करने वाला है.

मगर, आशावान बने रहने की कुछ वजह भी हैं.

उदाहरणस्वरूप, हमने सीमा-पार चाड से दारफ़ूर में समर्थन और अहम मानवीय राहत पहुँचाई. लेकिन यह अब भी चुनौतीपूर्ण है. हमें आशा है कि बातचीत जारी रहने से मानवतावादी समुदाय के लिए राहत मार्गों को उपलब्ध कराया जा सकेगा.

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